17 अप्रैल रामनवमी श्री राम प्राक्ट्योत्सव पर विशेष-
— सुरेश सिंह बैस
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मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के उपासना अनमोल निधि है यह योग वेदांत और सभी शास्त्रों का सार है। पुराणों, उपनिषदों और स्मृतियों में इसकी महिमा का बखान किया गया है। राम की उपासना करने वाले भक्तों के लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं रह जाता है। वह चारों पुरुषार्थ को आसानी से सुलभ कर सकता है। राम की उपासना सहज है इस नाम की महिमा के बारे में ऋषि जनों ने इतना कहा और लिखा है ,कि इसे समझने में विद्वानों को कई जन्म लग सकते हैं। कन्याकुमारी से कश्मीर तक और आसाम से गुजरात तक हर हिंदू किसी ना किसी रूप में राम का पूजन करता है। सूर्यवंशी राम महा विष्णु के अवतार थे। त्रेता युग में तामसी शक्तियों के विनाश हेतु उन्होंने अवतार लिया था। वे समाज में सतोगुण के प्रसार के लिए महाराजा दशरथ के जेष्ठ पुत्र के रूप में दुनिया में जन्म लिए, और अपने प्रगट होने का प्रयोजन पूरा करने के बाद उन्होंने सरयू के पवित्र जल में समाहित हो कर अपनी लीला समेट ली थी।
श्री राम जी की उपासना जिन मंत्रों से की जा सकती है उनमें कम से कम पचास अति प्रसिद्ध हैं। विष्णु और नारायण की उपासना का सबसे सहज रूप यह है कि आप राम भक्ति में लीन हो जाएं। इन तीनों देव शक्तियों की उपासना में कोई अंतर नहीं है। राम का नाम सहज है, सरल है और इसे हमेशा हर दशा में जपने से आपके सभी अभीष्ट काम पुरे होते रहते हैं। राम नाम अग्नि (र ), अनंत (अ ), और इंदु (म ) का सहयोग है। इन अक्षरों में “रा”बीज बनता है। इसके बाद रामाय नमः पद जोड़ने से छह अक्षरों वाला मंत्र —“रा रामय नमः”बनता है। विद्वानों ने कहा है कि यह मंत्र साधना की सभी कामनाएं पूरी करता है। यह एक ऐसे रत्न के समान है जिससे साधक की सारी इच्छाएं पूरी होती है। यह भक्तों के लिए कामधेनु और कल्पतरु के समान है। इस मंत्र की साधना बहुत आसान है। सवेरे उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करें। “ओम नमो नारायणाय नमः”मंत्र का जाप करें स्मरण करें। यह आठ अक्षरों वाला विष्णु मंत्र साधक का तन मन पवित्र करता है।