गर्मियों को मौसम और बच्चों की छुट्टियों के दिन आ गए। गर्मियों की छुट्टियां आते ही घूमने जाने की योजनाएं परवान चढने लगती हैं। हम सभी चाहते है कि ऐसी जगह घूमने जाएं की वह समय लाइफ के यादगार पलों में से एक हो। लेकिन सबसे बड़ी समस्या तब आती है जब सफर के दौरान कोई बीमार पड़ जाये। यात्रा के दौरान, विशेष तौर पर बच्चों को कई तरह की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं जैसे दस्त, संक्रमण, मोशन सिकनेस, जेट लेग इत्यादि का सामना करना पड़ता है, ऐसे मे थोड़ी-सी सावधानी और समझदारी आपके परिवार को एक खुशियों से भरपूर यात्रा अनुभव करा सकती है। तो अपने परिवार के साथ घूमने जाने से पहले जाने यह जरुरी सलाह।
अगर आप विदेश यात्रा कर रहे है तो…
वैक्सीनेशन
अगर आप विदेश जाने का सोच रहे है तो बेहत्तर होगा एक एक बार अपने डॉक्टर से सलाह लें। कुछ देशों मे जैसे उदाहरण के तौर पर अफ्रीका मे येलो फीवर का अधिक खतरा है ऐसे मे वहाँ जाने से पहले डॉक्टर की सलाहनुसार टिका अवश्य लगवाए ।
जेट लेग
गर्मियों की छुट्टियों मे विदेश की यात्रा करना बेहद रोमांचक तो सुनाई पड़ता है और हो भी क्यों न आखिर हमे नए देश, वहां की संस्कृति और लोगों से मिलने का मौका जो मिलता है, परन्तु हम यह समझने मे देरी कर देते है की अलग-अलग देशो का टाइम जोन अलग होता है। हवाई यात्रा के सहारे हम टाइम जोन को तो पार कर लेते है परन्तु हमारी बॉडी क्लॉक बिगड़ जाती जिससे जेट लेग की समस्या हो सकती है।
इसके लक्षण निम्र है नींद न आना, दिन भर सुस्ती रहना, बेवक्त भूक लगना, थकान-सिरदर्द, चक्कर आना और घबराहट होना।
- कैसे बचे
यात्रा करने से दो-तीन दिन पहले ही परिवार का सोने का समय उस देश के अनुकूल बनाने की कोशिश करें, यात्रा करने से पहले जितना हो सके आराम करें और कोशिश करें की फ्लाइट में सो जाएं, डिहाइड्रेशन जेट लेग की समस्या को और गम्भीर कर सकता है इसीलिए थोड़ी-थोड़ी देर मए पानी या जूस पीते रहे और कॉफी, चाय एवं अन्य कफिनटेड पेय न लें ।
कानों में दर्द व असहजता
फ्लाइट के दौरान अक्सर एयर प्रेशर बढने से कानो मे दर्द व असहजता महसूस होती है। कई बार खासकर जब उड़ान के भरने और प्लेन लैंड करने पर कान में दर्द उठता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि जमीन के करीब पहुंचने पर प्लेन के अंदर का दबाव बाहर के दबाव से ज्यादा होता है। यह दबाव हमें कान के पर्दे पर भी महसूस होने लगता है और कान में दर्द होना शुरू हो जाता है। इससे बचने के लिए कुछ मीठा निगलने, जंभाई लेने या च्युइंग गम चबाने की सलाह भी देती हैं।
- लक्षण
कान मे सिटी सी बजना, कम आवाज का सुनाई देना, कान में दर्द होना, कान में हवा भरी होने जैसा महसूस होना, चक्कर आना।
- कैसे बचे
प्लेन लैंडिंग के समय पानी पीएं। इससे आपके कान की यूस्टेकियन टयूब फ्लो में रहेगी, लंबी दूरी की फ्लाइट के दौरान पेन किलर न लें और लैंडिंग के समय जागने की कोशिश करें, लैंडिंग के समय च्युइंग गम चबाना या जम्हाई लेना भी ठीक रहेगा, डॉक्टरी सलाहनुसार फ्लाइट के लैंड करने के एक या दो घंटे पहले सर्दी या खांसी की दवा भी ले सकते हैं।
यात्रा के दौरान आम स्वस्थ्य समस्याएं:
मोशन सिकनेस
मोशन सिकनेस जिसको ट्रेवल सिकनेस के नाम से भी जाना जाता है । यह स्तिथि आँख और कान के बीच संघर्ष के कारण उत्पन्न होती है। मोशन सिकनेस शरीर के संतुलन को महसूस करने से जुड़ी एक समस्या है । हमे अपने शरीर की गति, दिशा और जगह के बारे मे जानकारी भीतरी कान, आँख, त्वचा से पता लगता है। हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम और स्पिनल कॉर्ड इसी जानकारी क आधार पर ही कार्य करती है, परन्तु जब यह मिले-जुले संकेत सेंट्रल नर्वस सिस्टम तक पहुँचते है तो मोशन सिकनेस की समस्या खड़ी होती है।
- लक्षण
उबकाई आना, ठन्डे पसीना छूटना, चक्कर आना, उल्टी होना।
- कैसे बचे
खाली पेट मोशन सिकनेस के लक्षण और भी गम्भीर ही सकते है, इसीलिए यह जरुरी है की यात्रा करने से पहले कुछ हल्का नाश्ता करे जो आसानी से पच जाये। छोटी समय की यात्रा के दौरान कुछ न खाये, परन्तु अगर यात्रा लम्बी है तो थोड़ी-थोड़ी देर मे जूस, पानी इत्यादि लें सकते और खाने मे कुछ हल्का-फुल्का ही लें । कार या बस के चलते समय कोशिश करें की अपना ध्यान बाहर की स्तिथ वस्तुओं पर जैसे पेड़, इमारते, बॉर्डस् इत्यादि पर केंद्रित करें । कार या बस की खिडकी थोड़ी खोले रखें ताकि आप ताजी हवा मे सांस लें। ट्रिप के दौरान सुरक्षित जगहों पर ब्रेक लें और थोड़ा चले-फिरे। आप जिस दिशा मे जा रहें है उसकी उलटी दिशा मे न बैठे।
सफर मे मोशन सिकनेस से बचने क लिए डॉक्टर की सलाहनुसार यात्रा शुरू करने से आधे घंटे पहले दवाई लें सकते है ।
डायरिया
यात्रा से जुड़ी एक और आम समस्या है डायरिया। यह बीमारी संक्रमित पानी व खाद्य पदार्थो में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस से फैलती हैं। पर्यटन स्थलों पर में सैलानियों की आयी एकदम से भीड़ के कारण जाहिर तौर पर होटलों में भी खाने-पीने की माँग बढ़ जाती है जिसके कारण अक्सर वह एक साथ बड़ी मात्रा में खाना पक्का कर रख लेते है और जरुरत के हिसाब से बाद में थोड़ा-थोड़ा गर्म कर के परोसते है जिसके कारण खाने में आसानी से बैक्टीरिया और वायरस पनपने लगते है।
- लक्षण
पेट खराब होने के लक्षण उभरने लगते हैं, जैसे पेट में गुडगुड़ाहट, खट्टी डकारें, बेचौनी व घबराहट होना, थोड़ी-थोड़ी देर में पतले दस्त, जिसमें जल की मात्रा ज्यादा हो, ज्यादा संक्रमण से उल्टियां आना, भूख न लगना, बुखार और कमजोरी, मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होना, गला सूखने और डिहाइड्रेशन होने से शरीर की त्वचा ढीली पडना।
- कैसे बचें
सडक पर बिकने वाले कटे हुए फल, निम्बू पानी और दूसरी खाने-पीने की चीजों से बचें, रास्ते में पैक्ड बोतल का पानी ही पिएं, अगर बोतल का पानी न मिले तो अच्छे से पानी को उबाल कर रूम टेम्परेचर में ठंडा कर पिएं, रास्ते में आप ताजे फल खा सकते है, ज्यादा मसालेदार, तला-भुना खाना न लें, अगर पेट खराब होने के लक्षण महसूस हो रहे हो तो ओआरएस का घोल या ताजा नारियल का पानी थोड़ी थोड़ी देर में लें जो शरीर में जरुरी मिनरल्स और पानी की कमी को पूरा करने में सहायक है, अगर 24 घंटो में हालत में सुधार न आये तो बिना देरी के डॉक्टर से सलाह लें,
पैकिंग करते हुए रखे इन बातों को ध्यान:
अपने साथ एक छोटी-सी फर्स्ट ऐड किट अवश्य रखें जिसमे ओआरएस, बैंडेज, एंटीसेप्टिक लोशन, मॉस्क्विटो रेपलैंट क्रीम, एंटीबायोटिक लोशन, पैनकिलर एवं ओटीसी दवाइयाँ, कॉटन, सनस्क्रीन लोशन इत्यादि अवश्य रखें। अगर परिवार के किसी भी सदस्य को अस्थमा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर इत्यादि की शिकायत है तो डॉक्टर से सलाह कर इनहेलर एवं अन्य दवाइयां अपने साथ अवश्य रखें। रास्ते में खाने से पहले हर बार हाथ धोना संभव नहीं होता ऐसे में हैंड सेनीटाईजर रखना समझदारी होगी। अपने फैमिली डॉक्टर का नंबर अवश्य अपने पास रखें।