महिलाओ में प्रेग्नन्सी को लेकर एक अलग सी दिलचस्पी देखने को मिलती है। वही पुरुषों में भी अब पिता बनने का सपना सही समय पर बढ़ता जा रहा है। यह कहानी कर्मपुरा स्थित झा परिवार की है जहाँ शादी के 3 वर्ष बाद घर में एक बार जोरदार किलकारियां गूंज उठी।
मनीष झा और श्यामा झा दोनों कई समय से अलग अलग उपाय करके डॉक्टर से मिलके इस चीज़ को निभाने में कामयाब रहे। महाराजा अग्रसेन के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. साधना गुप्ता ने बताया की कपल को शादी के बाद सही खान पान, नियमित व्याम, मोटापे पर रोकथाम, और नियमित रूप से जांच करवानी चाहिए। अगर आप गर्भ धारण करने का प्लान कर रही हैं, तो एक सबसे अच्छी चीज जो आप कर सकती हैं वह है अभी से पौष्टिक खाना खाने की आदत डालें। अपने साथी को इसके लिए प्रेरित करें।
प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और फोलिक एसिड प्रचुर मात्रा में खाएं। फल, सूखे मेवे, हरी, पत्तेदार सब्जियां, अनाज, कम वसा वाले डेयरी उत्पाद खाने की आदत डालें। चिप्स, भुनी चीजें, सोडा तथा कैलोरीज वाले अन्य सभी जंक फूड को खाने की आदतों से निकाल बाहर करें। गर्भ धारण करने की कोशिश से तीन महीने पहले खानपान में सुधार लाते हुए तथा हर संभव अपने घर को हरा-भरा रखने का प्रयास करते हुए अपने शरीर को आंतरिक रूप से स्वच्छ और स्वस्थ बनाएं। कॉफी से बनाएं दूरी, अल्कोहल से बचें, स्मोकिंग को कहें बाय-बाय।
महिलाओं को यह भी पता होना चाहिए कि 35 की उम्र के आप जितना पास पहुंचती हैं, आपकी प्रजनन क्षमता घटती जाती है। इसलिए गर्भवती होने के लिए बहुत अधिक अधिक उम्र का इंतजार न करें। महिला के परिवार में सेल एनीमिया, थैलेसीमिया, तय-सेक्स रोग, और सिस्टिक फाइब्रोसिस रोगों का इतिहास होने पर इसकी अनुवांशिकता पर भी विचार करना चाहिए।
अपने पति और माता-पिता से परिवार में बीमारियों का इतिहास जानें। मधुमेह पीड़ित महिलाओं के गर्भ धारण में बच्चों में जन्मजात विकृति की संभावना आम महिलाओं की अपेक्षा दोगुनी होती है। इसलिए ब्लड शुगर को नियंत्रित रखकर शिशुओं में जन्मजात विकृति और जन्म आघातों को रोका जा सकता है। गर्भ धारण करने से पहले और गर्भावस्था के दौरान भी हाइपोथाइरोइडिज्म से पीड़ित महिलाओं को डॉक्टरी सलाह से इसे नियंत्रण में लाना आवश्यक है।
शरीर का वजन संतुलित होना आवश्यक
बहुत अधिक दुबला होना जहां गर्भ धारण करने में समस्या पैदा करता है, वहीं बहुत अधिक मोटा होना भी मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां देकर स्वास्थ्य बिगाड़कर आपकी मुश्किलें बढ़ा सकता है। अच्छी खबर यह है कि नियमित रूप से कुछ हल्के व्यायाम करना स्वस्थ गर्भ धारण में आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। कठिन व्यायाम भी अगर किसी विशेषज्ञ की देखरेख में या ठीक प्रकार से किया जाए तो सप्ताह में 5 से 6 दिन आधे से घंटे का व्यायाम प्रतिदिन अवश्य करें। टहलना, साइकिल चलाना, स्विमिंग करना परंपरागत व्यायाम के अच्छे विकल्प हैं। व्यायाम के बदले नियमित रूप से आप इनमें से कोई भी आदत अपना सकती हैं। या सही निशानिर्देश के लिए ‘पेरेंटल एक्सरसाइज क्लास’ जॉइन करें।
डॉ. साधना गुप्ता ने बताया की मनीष झा और श्यामा झा को में दिल से धन्यवाद् करना चाहती हूँ की उन्होंने मेरी सभी बातो का ख्याल रखते हुए और समय पर सही जांच लेके यह ख़ुशी का पल अपने नाम किया।