व्यक्तित्व-विकास के लिए अनुभवी लेखक की महत्वपूर्ण कृति स्वर्णिम-जीवन के अनमोल टिप्स

बेशक हम होंगे सफल

उमेश कुमार सिंह

Click on Image to see price on Amazon

मानवीय व्यत्तिफत्व को निखारने के उद्देश्य से बाजार में अनेक पुस्तकें उपलब्ध हैं। लेकिन प्रख्यात लेखक गिरीश पंकज द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘स्वर्णिम जीवन के अनमोल टिप्स’ एक अलग किस्म की कृति है, जिसमें उन्होंने बेहतर जीवन कैसे बने, इस हेतु कुछ महत्वपूर्ण टिप्स दिए हैं। कोई व्यक्ति अपने जीवन में सफल तो हो सकता है, लेकिन उसका जीवन कितना सार्थक है, इस पर विचार-मंथन होना चाहिए। लेखक विभिन्न विषयों के माध्यम से नई पीढ़ी को बेहतर राह सुझाते हैं। जैसे कैरियर के मामले में वे कहते हैं कि जो मन के अनुकूल हो, उसका चयन करके हमें आगे बढ़ना चाहिए। अपने कर्म से हमें ऐसी छवि बनानी चाहिए, जिससे उनका और उनके कुल का नाम रोशन हो। सभी के जीवन में बाधाएँ आती हैं लेकिन उनसे जूझने का आत्मविश्वास ही सफल नागरिक बनाता है। जीवन-जगत में आने वाले बहुत से मुद्दों पर लेखक ने अड़तीस अध्यायों के जरिए जो चिंतन पेश किया है, उसको पढ़ने के बाद विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि हरेक पाठक का जीवन और निखर कर उभरेगा।

गिरीश पंकज का कहना है कि साहित्य और पत्रकारिता की दुनिया में मेरे पैंतालीस साल हो रहे हैं। इस दौरान अनेक अखबारों में काम किया, वहाँ खूब लिखा, पिफर स्वतंत्रा पत्रकारिता और लेखन का रास्ता चुन लिया। संतोष की बात है कि खतरा उठाने के बावजूद मैं सपफल रहा। वरना स्वतंत्र पत्रकारिता करते हुए अनेक मित्रों को बर्बाद होते हुए भी देखा है। लेकिन मैंने अपनी निश्चित योजना बनाई। एक लक्ष्य निर्धरित किया और उसी रास्ते पर चल पड़ा। अपनी साहित्यिक पत्रिका निकाली और स्वतंत्रा होकर देश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लिखने का सिलसिला बनाया। यह अब तक जारी है और जब तक स्वस्थ हूँ, तब तक चलता रहेगा, ऐसा विश्वास है। 

आज युवाओं के सामने बेहतर करियर की चिंता है। उनको सही दिशा देना जरूरी है । इसलिए मैंने उनके लिए भी अपने साहित्यिक लेखन को विराम देकर निरंतर लिखा। ‘सफलता अपनी मुट्टी में’ और उसके बाद ‘मेरे जीवन के अनुभव’ नामक पुस्तक उसी का परिणाम हैं। दूसरी पुस्तक दरअसल पहली पुस्तक का ही एक तरह से परिवर्तित संस्करण थी। ‘मेरे जीवन के अनुभव’ को अप्रत्याशित सफलता मिली। उससे उत्साहित होकर मैंने एक और पुस्तक तैयार करने का मन बनाया और वही पुस्तक आपके सामने है। आज बाजार में सफलता के लिए प्रेरित करने वाली सैकड़ों किताबें हैं। उसी परम्परा में मेरी यह नई पुस्तक जो कि डायमण्ड बुक्स द्वारा प्रकाशित बुक स्वर्णिम जीवन के अनमोल टिप्स भी शामिल हो रही है, जो मनुष्य के व्यक्तित्व विकास के लिए कुछ अनमोल टिप्स देने की कोशिश करेगी। बातें वही सब हैं, जो पहले भी शायद कही जाती रही हैं, फिर भी हर बार कही जाती हैं, अपने-अपने तरीके से। मेरे लेखों को पढ़ कर अगर कुछ युवा भी प्रेरणा ग्रहण कर सकें तो अपने भाग्य को सराहूँगा, अपने लेखन को सार्थक मानूँगा। इसके पहले की पुस्तक में मेरे जीवन के कुछ निजी अनुभव थे। खðे-मीठे। उनमें सुख-दुख की बातें थीं। संघर्षों में से रास्ता बनाने की निजी अनुभूतियाँ थीं। उसे लिखने का उद्देश्य था कि नई पीढ़ी को प्रेरणा मिले। और मुझे संतोष है कि अनेक लोगों को मेरे अनुभवों का लाभ मिला। यह पुस्तक मेरे निजी अनुभवों को निचोड़ नहीं है, वरन् अब तक जीवन में जो देखा-सुना और पढ़ा है, उसका अर्क है। जो ज्ञान पूज्य पिताजी ने दिया, माँ से मिला, बुजुर्गों से मिला और निरंतर अध्ययन से अर्जित किया, वो सब इस पुस्तक में आपको मिलेगा। चूँकि छोटा-सा कवि हूँ इसलिए रोचकता बनाए रखने के लिए हर लेख का अंत अपने एक दोहे से ही किया है। लेख की बातें याद रहें-न-रहें, शायद दोहे याद रह जाएँ। हालाँकि इन दोहों में भी- बहुत संभव है- पारम्परिक दोहों की छाया हो, लेकिन मेरा विश्वास है कि ये पूर्णतः मौलिक हैं। तुलसी, कबीर और रहीम जैसे कालजयी-महान् दोहे लिख पाना इस जन्म में संभव नहीं, फिर भी कोशिश की है कि दोहों के माध्यम से कुछ काम की बातें कर सकूँ। मेरी कोशिश कितनी सफल हुई यह तो सुधी पाठक ही बताएँगे। युवा पाठक भी इसे पढ़ेंगे और उनके विचारों में, उनके जीवन में अगर रत्ती भर भी सकारात्मक बदलाव आ सका, तो मुझे लगेगा, मेरी मेहनत सफल हो गई। अंत में, अपने परम् शुभचिंतक डायमंड बुक्स के निदेशक नरेंद्र कुमार वर्मा जी का भी आभार, जिनका स्नेह मुझे निरंतर मिलता रहा है। उनके कारण ही यह कृति आप तक पहुँच रही है। 


Advertisement:

Loading

Translate »