दिल्ली विधानसभा चुनावों के प्रचार के बीच आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका लगा है। राजधानी के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने AAP की “संजिवनी योजना” के पंजीकरण अभियान पर सवाल उठाए हैं। इस योजना के तहत 60 साल से अधिक उम्र के दिल्लीवासियों को निजी और सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज देने का वादा किया गया है। इसके अलावा, महिला एवं बाल विकास विभाग ने “महिला सम्मान योजना” से पल्ला झाड़ लिया है, जिसमें महिलाओं को हर महीने ₹2,100 देने का दावा किया गया था।
स्वास्थ्य विभाग ने अखबारों में जारी एक सार्वजनिक नोटिस में कहा है कि “संजिवनी योजना” नाम की कोई योजना अस्तित्व में नहीं है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने किसी को बुजुर्ग नागरिकों का व्यक्तिगत डेटा इकट्ठा करने या किसी कार्ड जारी करने की अनुमति नहीं दी है।
AAP के नेताओं, जिनमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आतिशी शामिल हैं, ने कई इलाकों का दौरा कर इन योजनाओं के लिए घर-घर जाकर पंजीकरण अभियान शुरू किया था। इसके अलावा, AAP ने अरविंद केजरीवाल को सांता क्लॉज के अवतार में दिखाने वाला एक एआई विज्ञापन भी जारी किया है।
विभाग ने चेतावनी दी है कि जो भी व्यक्ति या राजनीतिक दल इस योजना के तहत फॉर्म भरवा रहा है, वह “धोखाधड़ी और गैर-अधिकृत” है। नोटिस में जनता से अपील की गई है कि:
- “संजिवनी योजना” के नाम पर मुफ्त इलाज के वादे पर भरोसा न करें।
- किसी को भी अपना व्यक्तिगत विवरण न दें।
- किसी भी दस्तावेज़ पर अनजाने में हस्ताक्षर या अंगूठा न लगाएं।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने भी स्पष्ट किया है कि “महिला सम्मान योजना” नाम की कोई योजना अधिसूचित नहीं की गई है। विभाग ने कहा, “यदि ऐसी कोई योजना अधिसूचित की जाती है, तो पात्र व्यक्तियों के लिए आवेदन की प्रक्रिया और शर्तें विभाग द्वारा डिजिटल पोर्टल के माध्यम से घोषित की जाएंगी। अभी तक ऐसी कोई योजना अस्तित्व में नहीं है, इसलिए किसी भी फॉर्म या जानकारी को जमा करना धोखाधड़ी है।”
विभाग ने जनता को सतर्क किया है कि सार्वजनिक रूप से व्यक्तिगत जानकारी साझा करना साइबर अपराध का कारण बन सकता है।
केजरीवाल का पलटवार
नोटिस जारी होने के तुरंत बाद अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “महिला सम्मान योजना और संजिवनी योजना ने इन्हें हिला दिया है। अगले कुछ दिनों में ये आतिशी जी को एक फर्जी मामले में गिरफ्तार करने की योजना बना रहे हैं। इससे पहले वरिष्ठ AAP नेताओं के यहां छापे मारे जाएंगे।”
दिल्ली बनाम केंद्र का संघर्ष
यह घटनाक्रम दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच लंबे समय से चल रहे सत्ता संघर्ष के बीच सामने आया है। दिल्ली के सभी विभागों के प्रधान सचिव मुख्य सचिव को रिपोर्ट करते हैं, जो केंद्र सरकार के नियुक्त हैं। इसका मतलब है कि AAP सरकार का दिल्ली अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है, जो पिछले 10 वर्षों में कई बार विवाद का कारण बना है।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को सेवाओं पर नियंत्रण का अधिकार दिया था, लेकिन केंद्र ने एक अध्यादेश और फिर कानून लाकर इसे पलट दिया। इस कानून के तहत “राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण” का गठन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव शामिल हैं। यह प्राधिकरण अधिकारियों के तबादले, पोस्टिंग और अनुशासनात्मक मामलों पर उपराज्यपाल को सिफारिशें देता है। चूंकि मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव केंद्र के नियुक्त होते हैं, वे मुख्यमंत्री को आसानी से पछाड़ सकते हैं।