– ललित गर्ग –
ओम बिरला को दूसरी बार ध्वनिमत से 18वीं लोकसभा का नया स्पीकर चुना गया। जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नेता विपक्ष राहुल गांधी उन्हें आसन तक लेकर पहुंचे। ध्वनिमत पर विपक्ष ने डिविजन की मांग नहीं की। ओम बिरला के नाम पर विपक्ष का विरोध न करना मोदी सरकार के लिए भी किसी आश्चर्य से कम नहीं रहा। उम्मीद यही की जा रही थी कि विपक्ष वोटिंग की मांग करेगा और फिर पूरी प्रक्रिया के तहत मतदान होगा। लेकिन आज बिरला को नये लोकसभा के अध्यक्ष चुने जाने की सम्पूर्ण प्रक्रिया जहां लोकतांत्रिक मूल्यों की खूबसूरती की छटा बिखेर रही थी, वहीं ऐसी संभावनाओं को बल दिया कि अठाहरवीं लोकसभा के सभी सत्र एक नया इतिहास का सृजन करते हुए उम्मीदभरे होंगे। कोटा से तीसरी बार के सांसद ओम बिरला ने दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनकर इतिहास रच दिया है। वे लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनने वाले तीसरे शख्स हैं। उनसे पहले बलराम जाखड़ 9 सालों तक स्पीकर रहे थे। ओम बिरला का चुना जाना चौंकाता नहीं है, बल्कि जो बात थोड़ी हैरान करने वाली थी वह है इस पद के लिए चुनाव की नौबत लाया जाना। वैसे तो लोकतंत्र में चुनाव किसी भी पद के लिए हो, उसे बुरा मानने का कोई कारण नहीं है। मगर लोकसभा अध्यक्ष का पद ऐसा है जिसमें आम राय को हमेशा तवज्जो दी जाती रही है। वजह यह है कि सदन के सुचारू संचालन के लिए अध्यक्ष को दोनों पक्षों का सहयोग चाहिए होता है। ऐसे में अगर इस पद पर बैठे व्यक्ति का चयन दोनों पक्ष उसमें अपना विश्वास घोषित करते हुए करें तो पद की शोभा कई गुना बढ़ जाती है।
स्वतंत्र भारत में लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए केवल तीन बार 1952, 1967 और 1976 में चुनाव हुए। वर्ष 1952 में कांग्रेस सदस्य जी. वी. मावलंकर को लोकसभा स्पीकर के रूप में चुना गया था। लोकसभा अध्यक्ष पद पर चयन को लेकर सरकार और विपक्षी दलों के बीच सहमति नहीं बन पाई, जिस वजह से चुनाव की नौबत आ गई। केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार के गठन के बाद सरकार और विपक्ष के बीच यह पहला शक्ति प्रदर्शन था। इसलिए भाजपा के रणनीतिकार अपने उम्मीदवार ओम बिरला को ज्यादा से ज्यादा सांसदों के समर्थन के साथ बड़ी जीत दिलवाने के मिशन में जुट गई थी। इंडिया गठबंधन की पूर्व रात्री को हुई बैठक में ही नेताओं का कहना था कि इंडिया गठबंधन के पास संख्या बल नहीं है। इसलिये बिना मतदान के ही ध्वनिमत से बिरला के अध्यक्ष चुने जाने की कार्रवाई को निर्बाध होने दिया एवं संसदीय पटल पर खुशी का माहौल दिखाई दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह सदन का सौभाग्य है कि आप दूसरी बार इस आसन पर विराजमान हो रहे हैं। अमृतकाल के इस महत्वपूर्ण कालखंड में दूसरी बार इस पद पर विराजमान होना बहुत बड़ा दायित्व आपको मिला है, हम सबका विश्वास है कि आप आने वाले 5 साल हम सबका मार्गदर्शन करेंगे। लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी बधाई देते हुए संविधान रक्षा की बात दोहरायी। सदन में तीसरे सबसे बड़े दल के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि जिस पद पर आप बैठे हैं, इससे बहुत गौरवाशाली परंपरा जुड़ी है। इसलिए सबकुछ बिना भेदभाव आगे बढ़ेगा। निष्पक्षता इस महान पद की महान जिम्मेदारी है। आप लोकतंत्र के मुख्य न्यायाधीश की तरह बैठे हैं।’