वर्ष 2024 में शिक्षा, पोषण और कौशल विकास के क्षेत्र में समग्र विकास की ओर तेजी से आगे बढ़ी अनिल अग्रवाल फाउंडेशन (आफ) की पहल, नंद घर

आफ की प्रमुख पहल, नंद घर ने इस वर्ष विकास और प्रभाव के मामले में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं। ग्रामीण समुदायों में महिलाओं और बच्चों के जीवन को सुधारने के लिए समर्पित इस परियोजना ने अपने समग्र विकास के मिशन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। अब तक, नंद घर 15 राज्यों में 6,600 से अधिक आँगनवाड़ी केंद्रों को उन्नत बना चुका है। इस पहल से 2,60,000 बच्चों और 1,90,000 महिलाओं को लाभ मिला है, जिससे समुदायों को सशक्त बनाने और स्थायी बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।

वर्ष की शुरुआत फरवरी में दिल्ली हाट में आयोजित हुए वेदांता कल्चर फेस्टिवल के साथ हुई। इस फेस्टिवल ने भारत की कला और सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित किया, जिसमें विभिन्न शिल्पकारों और सांस्कृतिक परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन किया गया। भारत की विविध कलाओं का अनुभव प्रदान करने पर आधारित वेदांता और आफ द्वारा आयोजित इस महोत्सव में देशभर के शिल्पकारों ने भाग लिया। जयपुर में नंद घर से जुड़ीं सुश्री राजनी राठौर और जहोता गाओं के सरपंच, श्री श्याम सिंह राठौर ने समोता माता स्वयं सहायता समूह के तहत मोमबत्ती बनाने का प्रदर्शन किया। यह पहल महिला शिल्पकारों को सशक्त बनाने के साथ ही उनमें कौशल विकास तथा उद्यमिता को बढ़ाने का माध्यम भी रही।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2024 में नंद घर, सोशल इंपैक्ट पार्टनर के रूप में शामिल हुआ, जहाँ ग्रामीण महिलाओं और बच्चों के लिए प्रारंभिक शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण में सुधार के प्रयासों को प्रदर्शित किया। इस महोत्सव में आफ ने ‘नंद घर बागान’ नामक एक जीवंत अनुभव केंद्र स्थापित किया। यह भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाने पर आधारित केंद्र है, जिसमें मोमबत्ती बनाने, ब्लॉक प्रिंटिंग, कठपुतली और बाजरे के लड्डू जैसे स्वदेशी व्यंजनों को पकाने जैसी गतिविधियों के लिए कौशल विकास वर्कशॉप्स आयोजित की गईं। यह स्थानीय महिलाओं को सशक्त बनाने और महिला स्वयं सहायता समूहों की भूमिका को उजागर करने का सार्थक माध्यम बना। 

मई में, नंद घर ने ‘खाना खाया क्या?’ अभियान की शुरुआत की, जिसमें मनोज बाजपेयी को जोड़ा गया, ताकि बच्चों के पोषण को राष्ट्रीय प्राथमिकता दी जा सके। इस अभियान का उद्देश्य दान, स्वयंसेवी कार्य और साझेदारी के माध्यम से सार्वजनिक कार्रवाई को प्रेरित करना था। प्रसिद्ध अभिनेता मनोज बाजपेयी ने इस आंदोलन के पहले एंबेसडर के रूप में भाग लिया, और इसके माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि “कोई भी बच्चा भूखा नहीं सोना चाहिए”। एक सरल-से सवाल, “खाना खाया क्या?” ने 1.4 अरब भारतीयों को भारत के भविष्य के सपनों को पोषित करने के लिए प्रेरित किया। इस अभियान में 600 से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया, और इसे साझेदारियों और वित्तीय योगदान के माध्यम से भारी समर्थन मिला।

प्रिया अग्रवाल हेब्बर, हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड की चेयरपर्सन और वेदांता की नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, ने कहा, “यह वर्ष हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि हम राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में अपने प्रभाव का विस्तार करके, 15 राज्यों में 6,600 से अधिक आँगनवाड़ियों को नंद घर में बदलने में सक्षम रहे हैं, जिससे हजारों महिलाओं और बच्चों के जीवन में सुधार हुआ है। मैं सभी साझेदारों, स्वयंसेवकों और उन सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त करती हूँ, जिन्होंने नंद घर आंदोलन को आगे बढ़ाने में योगदान दिया। हम आगे भी इन प्रयासों को बढ़ाने और भारत की आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थायी बदलाव लाने, साथ ही 7 करोड़ बच्चों और 2 करोड़ महिलाओं के जीवन में सकारात्मक प्रभाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

विगत वर्ष बच्चों में कुपोषण से निपटने के लिए वितरित किए गए मल्टी-मिलेट न्यूट्री बार की सफलता के बाद, आफ ने सितंबर 2024 में पोषण माह के दौरान नंद घरों में दो चरणों में ‘मिलेट शेक’ वितरण कार्यक्रम आयोजित किया। ये प्रोटीन से भरपूर, डेयरी-फ्री शेक्स 23 आवश्यक विटामिन और खनिजों से समृद्ध हैं, जिन्हें बच्चों को दीर्घकालिक पोषण समर्थन प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। इन शेक्स का उद्देश्य अतिरिक्त पोषण को बढ़ावा देना रहा, और नंद घर ने इनकी पेशकश दैनिक आहार में मिलेट्स की खपत को बढ़ाने के लिए की। पहले चरण में, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड में 6,000 बच्चों को 50,000 से अधिक शेक्स वितरित किए गए। दूसरे चरण में, कार्यक्रम पंजाब, कर्नाटक और गोवा को कवर किया गया, जहाँ 12,500 बच्चों को 52,500 से अधिक मिलेट शेक्स वितरित किए गए।

पोषण और शिक्षा को बढ़ावा देने से लेकर, कौशल विकास और सांस्कृतिक सशक्तिकरण तक, वर्ष 2024 में नंद घर के प्रयास आफ के सामाजिक बदलाव के लिए प्रतिबद्धता के महत्वपूर्ण उदाहरण साबित हुए हैं।

पूरे वर्ष के दौरान, राजस्थान राज्य पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया। यहाँ के 6 जिलों में 550 से अधिक नंद घरों का निर्माण किया गया, जिससे 15 जिलों में नंद घरों की संख्या करीब 3500 हो गई। राज्य में अगले 2 वर्षों में कुल 25,000 नंद घरों को उन्नत करने का संकल्प लिया गया है। इस पहल का उद्देश्य राजस्थान के ग्रामीण समुदायों में बच्चों और महिलाओं के जीवन में स्थायी बदलाव लाना है, जिसमें पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जाएगा।

आफ की योजना ओडिशा के झारसुगुड़ा, कलाहांडी और रायगड़ा जिलों में 700 नंद घर विकसित करने की है। इसके लिए, आफ ने जिला सामाजिक कल्याण कार्यालय (डीएसडब्ल्यूओ) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर भी किए, ताकि झारसुगुड़ा जिले के 500 आँगनवाड़ी केंद्रों को अत्याधुनिक नंद घरों में बदला जा सके। 

नंद घर परियोजना का विस्तार अब अन्य राज्यों में भी किया जाएगा, जिसमें महाराष्ट्र (ठाणे, गढ़चिरौली और वर्धा जिले), आंध्र प्रदेश (विशाखापत्तनम और नेल्लोर), छत्तीसगढ़ (सक्ति जिला) और राजस्थान (उदयपुर, राजसमंद और बारमेर) शामिल हैं।

नंद घर पहल, वेदांता की सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति प्रतिबद्धता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है, जो स्थायी विकास पर ध्यान केंद्रित करती है और भारत की सबसे कमजोर जनसंख्याओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए काम करती है। इन नए विस्तारों के साथ, यह प्रोग्राम लाखों बच्चों और महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए तत्पर है, जिससे भारत की अगली पीढ़ी के लिए एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित होगा। वर्ष 2025 में एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) के 50 वर्ष पूरे होने पर, नंद घर आँगनवाड़ी का आदर्श मॉडल स्थापित करने की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है और उज्जवल तथा बेहतर भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने का प्रयास करेगा।

नंद घर के बारे में

नंद घर, अनिल अग्रवाल फाउंडेशन की एक प्रमुख सामाजिक पहल है, जो देश में आँगनवाड़ी सिस्टम को मजबूत करने के लिए काम कर रही है। पूरे भारत में 15 राज्यों में फैले 6600 नंद घर बदलाव और सतत विकास के प्रतीक हैं और ये अब तक 2.5 लाख बच्चों और 1.95 लाख महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला चुके हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमओडब्ल्यूसीडी) के सहयोग से स्थापित, नंद घर आधुनिक ‘आँगनवाड़ी’ हैं, जो बच्चों में कुपोषण को दूर करने, प्री-प्राइमरी शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण के जरिए सशक्त बनाने के लिए काम कर रही हैं। अत्याधुनिक आँगनवाड़ियों, नंद घर का लक्ष्य देश भर में 13.7 लाख आँगनवाड़ियों में 7 करोड़ बच्चों और 2 करोड़ महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना है। मुस्कान सिंह

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