वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपीआर) ने सीएसआईआर-केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई), उन्नत भारत अभियान (यूबीए) और विज्ञान भारती (विभा) के सहयोग से 19-20 सितंबर 2024 को मैसूर के केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान में संयुक्त रूप से एक दो दिवसीय “सीएफटीआरआई खाद्य और मोटा अनाज से संबंधित प्रौद्योगिकियों की प्रदर्शनी और नेटवर्किंग बैठक” का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में ग्रामीण आजीविका के सृजन के उद्देश्य से सीएसआईआर-सीएफटीआरआई की नवीन खाद्य प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया। खाद्य विज्ञान अनुसंधान में अग्रणी के रूप में, सीएसआईआर-सीएफटीआरआई खाद्य प्रसंस्करण, कटाई के बाद की तकनीक, खाद्य सुरक्षा और पौष्टिक-औषधीय उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करता है। इनकी तकनीकी प्रगति में अनाज, दालें, फल, सब्जियां, डेयरी, मांस और मछली सहित खाद्य उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है।
इस आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों के हितधारकों के लाभ के लिए सीएसआईआर-सीएफटीआरआई द्वारा विकसित खाद्य प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करना, ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसर पैदा करना, सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए इनके उपयोग को दर्शाना, खाद्य प्रसंस्करण और कृषि उत्पादकता में प्रमुख चुनौतियों की पहचान करना और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने की रणनीतियां बनाना था। इस आयोजन का उद्देश्य एक ऐसा मंच प्रदान करना था, जहां प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचारों को देश भर के विभिन्न हितधारकों, उद्योग पेशेवरों, उद्यमियों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और ग्रामीण समुदायों के सदस्यों के लिए प्रदर्शित किया जा सके ताकि वह सहयोग प्राप्त करने, प्रौद्योगिकी अपनाने, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और व्यावसायीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सीएसआईआर-सीएफटीआरआई प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग के लिए विचारों का आदान-प्रदान कर सके, जिससे खाद्य उद्योग को लाभ प्रदान करने के साथ सतत विकास को बढ़ावा मिले।
इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की शोभा सीएसआईआर-सीएफटीआरआई की निदेशक डॉ. श्रीदेवी अन्नपूर्णा सिंह, सीएसआईआर एनआईएससीपीआर की निदेशक रंजना अग्रवाल, शेवरन लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड, मैसूर के प्रबंध निदेशक सैम चेरियन, उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के राष्ट्रीय समन्वयक प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार विजय और परियोजना निदेशक डॉ. पी. के. सिंह, विभा वाणी के कार्यकारी निदेशक श्री एन.पी. राजीव और सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. योगेश सुमन द्वारा बढ़ाई गई।
इस कार्यक्रम में देश भर से 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत सीएसआईआर-सीएफटीआरआई की निदेशक डॉ. श्रीदेवी अन्नपूर्णा सिंह के स्वागत भाषण से हुई। अपने संबोधन में डॉ. सिंह ने बताया कि अपने शुरुआती वर्षों में सीएसआईआर-सीएफटीआरआई ने देश में सूक्ष्म कुपोषण के साथ-साथ कुपोषण की चुनौती का समाधान करने का प्रयास किया। उन्होंने भैंस के दूध से शिशु आहार, चावल को हल्का उबालने की तकनीक, मसाला और तेल की तकनीक, पारंपरिक भोजन की स्वचालन तकनीक के लिए डोसा मशीन, इडली मशीन, वड़ा मशीन, चपाती मशीन, जैव निम्नीकरणीय के लिए लीफ कप मशीन जैसी सीएसआईआर-सीएफटीआरआई की महत्वपूर्ण तकनीकों का वर्णन करते हुए पौष्टिक-औषधीय उत्पादों के अनुसंधान के लिए किए जाने वाले प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने प्रौद्योगिकी विषय पर सीएसआईआर-सीएफटीआरआई में चलाए जा रहे एमएससी पाठ्यक्रम के माध्यम से खाद्य उद्योग में कुशल जनशक्ति की कमी को पूरा करने के लक्ष्य के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि आटा उद्योग के लिए कुशल जनशक्ति की आवश्यकता को सीएसआईआर-सीएफटीआरआई द्वारा चलाए जा रहे सीएसआईआर-सीएफटीआरआई के इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मिलिंग टेक्नोलॉजी पाठ्यक्रम द्वारा पूरा किया जा रहा है। सीएसआईआर-सीएफटीआरआई को भारत में खाद्य परीक्षण के लिए नोडल खाद्य प्रयोगशाला के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के साथ मिलकर खाद्य पदार्थों के परीक्षण के लिए लगभग 550 परीक्षण उपकरण विकसित कर चुका है।
सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक प्रो. रंजना अग्रवाल ने सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके ग्रामीण भारत में आजीविका और व्यवसाय के अवसरों के सृजन के लिए सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के उन्नत भारत अभियान (यूबीए) और विभा के साथ चल रहे सहयोग की पृष्ठभूमि पर भी चर्चा की। उन्होंने सतत विकास के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ही अवसर पैदा करके ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन को रोकने और उन्नत भारत अभियान और विभा नेटवर्किंग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में हितधारकों की पहचान करने में की जाने वाली सहाय़ता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने इस संयुक्त पहल के अंतर्गत प्राप्त की गई उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला।
प्रो. वीरेंद्र कुमार विजय ने उन्नत भारत अभियान और सीएसआईआर के साथ इसके सहयोग का अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने ग्रामीण विकास की दिशा में यूबीए की पहल पर भी प्रकाश डाला।
उन्नत भारत अभियान के परियोजना निदेशक प्रो. पी.के. सिंह ने अपने संबोधन में यूबीए में कार्यरत विषय विशेषज्ञ समूहों और उनके योगदान के बारे में बताया। उन्होंने हितधारकों द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को लागू करने के लिए यूबीए द्वारा दिए गए समर्थन पर भी प्रकाश डाला।
विभा वाणी के कार्यकारी निदेशक श्री एन.पी. राजीव ने इस दो दिवसीय कार्यक्रम को लोगों की तकनीकी आवश्यकताओं, जिन्हें सीएसआईआर के पास उपलब्ध तकनीकों के माध्यम से हल किया जा सकता है, की पहचान करने के लिए एक प्रारंभिक बिंदु के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने सीएसआईआर-सीएफटीआरआई तकनीकों के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन को बढ़ावा देने में विभा वाणी के सहयोग के बारे में भी बात की। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. योगेश सुमन ने सीएसआईआर तकनीकों का उपयोग करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए इन संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से किए जा रहे प्रयासों के महत्व के बारे में चर्चा की। शेवरन लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड, मैसूर के प्रबंध निदेशक सैम चेरियन ने देश में खाद्य उद्योग, खाद्य सुरक्षा और खाद्य स्थिरता के लिए सीएसआईआर-सीएफटीआरआई के प्रयासों और योगदान पर प्रकाश डाला।
तकनीकी सत्र में डॉ. आशुतोष इनामदार ने सीएसआईआर-सीएफटीआरआई में की जा रही विभिन्न अनुसंधान गतिविधियों और नवाचार, उद्यमिता, स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र विकास और सहयोग एवं साझेदारी को बढ़ावा देने के माध्यम से हितधारकों के लाभ के लिए उनके कार्यान्वयन पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के दूसरे दिन की शुरुआत श्री आशीष इनामदार द्वारा संचालित नेटवर्किंग सत्र से हुई, जहां प्रतिभागियों ने सीएसआईआर-सीएफटीआरआई प्रौद्योगिकी के उपयोग संबंधी विशिष्ट अवसरों की पहचान करने के लिए प्रौद्योगिकी विकास वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की। सीएसआईआर-सीएफटीआरआई की ओर से डॉ. उमेश हेब्बर एच, डॉ. प्रदीप सिंह नेगी, डॉ. मीरा एमएस, डॉ. अत्तर सिंह चौहान, डॉ. पीवी सुरेश, डॉ. पुष्पा एस मूर्ति और डॉ. आशुतोष इनामदार पैनल में शामिल हुए। उन्होंने फलों और सब्जियों, अनाज, पारंपरिक भोजन, मांस प्रसंस्करण, काली मिर्च, हल्दी, अदरक मसालों आदि का प्रयोग करके मूल्य वर्धित उत्पाद बनाने के क्षेत्रों में सीएसआईआर-सीएफटीआरआई द्वारा विकसित की गई विभिन्न तकनीकों के बारे में चर्चा की। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. योगेश सुमन ने ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से आजीविका सृजन की दिशा में सीएसआईआर के प्रयासों पर प्रकाश डाला।
इस दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान डॉ. राघवेंद्र सी.के. द्वारा संचालित एक संवादात्मक सत्र का भी आयोजन किया गया, जिसमें कृषि के क्षेत्र में विभिन्न सरकारी योजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार बैंकिंग क्षेत्र की सरकारी एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कृषि के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी को अपनाने और उद्यम तथा स्टार्ट-अप स्थापित करने के लिए उपलब्ध वित्तपोषण योजनाओं के बारे में चर्चा की। इस चर्चा में केएपीपीईसी कर्नाटक से श्री चंद्र कुमार, मडिकेरी से श्री चंद्रशेखर, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से श्री सैय्यद रिजवी और भारतीय स्टेट बैंक, मैसूर से श्री कृष्णमूर्ति शामिल हुए। उन्होंने प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग इंटरप्राइजेज (पीएफएमई), कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ), और खुदरा परिसंपत्ति ऋण केंद्र (आरएसीसी) जैसी वित्तपोषण योजनाओं और इकाईयों की स्थापना के लिए अन्य अल्पकालिक और दीर्घकालिक वित्तपोषण योजनाओं के बारे में बात की।