-कविताओं में लय प्रवाह होना चाहिए – सूर्य कुमार पांडेय-
दिल्ली, देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था हिंदी की गूंज द्वारा पंचम राष्ट्रीय बाल चौपाल का आयोजन आभासी पटल के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था की मीडिया प्रभारी डॉ ममता श्रीवास्तव ने अपने मधुर कंठ से माँ शारदा की वंदना “हे शारदा माँ अज्ञानता से हमें तार दे माँ“ से किया। दिल्ली से जुड़ी कक्षा छ: की छात्रा भव्या बिष्ट ने कविवर हरिवंश राय बच्चन की कविता सुनाई। चेन्नई से जुड़े कक्षा सात के विद्यार्थी सूर्य सिद्धार्थ वर्मा ने वरिष्ठ बाल साहित्यकार दिविक रमेश की कविता के माध्यम से वर्षा का सुंदर चित्र प्रस्तुत किया। कवयित्री एवं शिक्षिका समिता श्रीवास्तव ने हिन्दी भाषा और प्रकृति परक कविताएं सुनाईं।
धामपुर (बिजनौर) से जुड़े कक्षा सात के विद्यार्थी अर्णव सिंह ने नरेन्द्र सिंह नीहार की कविता “नए साल में नया नवेला कुछ तो हो“ के माध्यम से बच्चों की उम्मीदों को प्रस्तुत किया। चर्चित कहानीकार रंजना जायसवाल ने अपनी बाल कहानी के माध्यम से बच्चों को बुरी आदतों और संगति से दूर रहने का संदेश दिया। गुजरात से जुड़ी नवीं कक्षा की छात्रा आराध्या गुप्ता ने अपनी स्वरचित कविता “क्यों फूलों की खुशबू महके “ सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
देश के प्रसिद्ध बाल साहित्यकार गोविंद शर्मा ने अपनी कहानी “हाथी पर ऊँट“ प्रस्तुत की जिसमें सफेद हाथी पालना , ऊँट के मुँह में जीरा , अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे जैसे मुहावरों के सार्थक प्रयोग ने कथानक को रोचक बना दिया था। दिल्ली से जुड़े कक्षा नौ के छात्र नमन जैन ने पुराने भारत से नए भारत की तुलना करते हुए वीर रस की कविता प्रस्तुत की ।सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार रोचिका अरुण शर्मा ने अपनी कविता “रबर पेंसिल में हुई लड़ाई” के माध्यम से मिलजुलकर रहने का संदेश दिया। छठवीं कक्षा के छात्र कार्तिकेय बिष्ट ने द्वारका प्रसाद माहेश्वरी की कविता “उठो धरा के अमर सपूतो“ सुनाकर पटल से जुड़े वरिष्ठ विद्वजनों को उनके बचपन की याद ताजा करा दी। दिल्ली से जुड़ी कक्षा नौ की छात्रा लक्षिता रतूड़ी ने अपने अनूठे अंदाज़ में जंगल की कहानी प्रस्तुत कर सभी को अपनी वाचन कला से सब को सम्मोहित कर दिया।रांची से जुड़े कक्षा नौ के छात्र अंशुमान मिश्रा ने धूल भरी किताब शीर्षक की कहानी के माध्यम से ई बुक द्वारा पुस्तकों के रोजगार को छीने जाने पर चिंता व्यक्त की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ साहित्यकार सूर्य कुमार पांडे ने अपनी रोचक बाल कविता ”कुछ के पंखे जैसे होते , कुछ के छोटे होते कान“ प्रस्तुत की जिसमे कान पर जूँ न रेंगना , कान लाल होना जैसे मुहावरों जा समावेश था। एक और बाल कविता के माध्यम से उन्होंने कहा “के जी टू में पढ़ती , टू के जी का बस्ता”। अपने उद्बोधन में उन्होंने आजकल कविताओं में छंद टूटने की प्रवृति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा की कविता में लय प्रवाह होना चाहिए। बच्चों को उपदेश न देकर उनका मार्गदर्शन सलाह से किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में हिंदी की गूंज संस्था के संरक्षक गिरीश जोशी ने सभी का धन्यवाद किया। लगभग दो घंटे तक चले इस बालोपयोगी अनूठे कार्यक्रम का सफल संचालन हिंदी की गूंज संस्था के संचालक नरेंद्र सिंह नीहार ने किया जिसमें तीन पीढ़ियों के संगम का भाव निहित था। जहाँ एक ओर नौनिहालों को साहित्य के प्रति रुझान जगाने तो वहीं उनको वरिष्ठ साहित्यकारों का मार्गदर्शन दिलाने का भाव निहित था। निर्मला जोशी , तरुणा पुंडीर तरुनिल, डॉ. संजय सिंह और उर्मिला रौतेला ने अपने संदेशों के माध्यम से सभी रचनाकारों और बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए कार्यक्रम को रोचक बनाये रखा।