डीएचएल एक्सप्रेस के एक नए अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) के लिए सस्टेनेबिलिटी एक रणनीतिक अनिवार्यता बन गई है, जो उनके दीर्घकालिक मूल्य और विश्वसनीयता को विशेष रूप से प्रभावित करती है। आपूर्ति श्रृंखला संचालन में सस्टेनेबिलिटी की बढ़ती प्राथमिकता को बेहतर ढंग से समझने के लिए डीएचएल एक्सप्रेस ने 11 वैश्विक बाजारों: यूके, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, चीन, सिंगापुर, जापान, मैक्सिको, कनाडा और भारत में 5,000 एसएमई में निर्णय निर्माताओं का गहन सर्वेक्षण किया।
सर्वेक्षण में पाया गया कि 95% भारतीय एसएमई मानते हैं कि सस्टेनेबिलिटी उनके व्यवसाय के लिए “बहुत महत्वपूर्ण” या “बेहद महत्वपूर्ण” है। यह वैश्विक औसत 75% से काफी अधिक है और भारतीय व्यवसायों के बीच सस्टेनेबिलिटी के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
डीएचएल एक्सप्रेस में कार्यकारी उपाध्यक्ष- ग्लोबल कमर्शियल, मिशेल ग्रीवेन ने कहा, “सस्टेनेबिलिटी अब कई व्यवसायों के एजेंडा में सबसे ऊपर है। लेकिन, सस्टेनेबिलिटी के लिए रणनीति विकसित करने और उसे लागू करने की चुनौती अक्सर भारी लग सकती है। कई सर्वेक्षण उत्तरदाताओं ने बताया कि उन्हें नहीं पता कि इसके लिए शुरुआत कहाँ से की जाए। डीएचएल एक्सप्रेस जैसे विश्वसनीय लॉजिस्टिक्स लीडर के साथ साझेदारी करके, जो कम उत्सर्जन शिपिंग समाधानों के अपने समर्पित पोर्टफोलियो के लिए प्रसिद्ध है, एसएमई खुद को व्यवहार्य, प्रतिस्पर्धी बने रहने और दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित करने की स्थिति में ला सकते हैं”।
डीएचएल एक्सप्रेस के दक्षिण एशिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष आरएस सुब्रमण्यन ने बताया, “व्यवसायों के लिए अब सस्टेनेबिलिटी होना एक ‘विकल्प’ न रहकर विकास को गति देने, ग्राहकों को आकर्षित करने और दीर्घकालिक निवेश को सुरक्षित करने के लिए यह एक आवश्यकता बन गया है। भारतीय एसएमई इसे समझकर अपने संचालन में सस्टेनेबल प्रथाओं को शामिल करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं। वास्तव में, डीएचएल में हमारे सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 51% एसएमई और चीन में 47% एसएमई का मानना है कि उनके ग्राहक सस्टेनेबल शिपिंग के लिए अधिक भुगतान करने को तैयार होंगे, जबकि वैश्विक औसत 23% ही है। ऐसा संभवतः इसलिए है क्योंकि भारत और चीन निर्यात करने वाले पॉवर हाउस हैं और यहां एसएमई पश्चिमी उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए सस्टेनेबिलिटी की रणनीतियों को अपना रहे हैं।”
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