संसद में हंगामे से पहले ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर बीजेपी और विपक्ष आमने-सामने

संसद के मौजूदा सत्र में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पेश किए जाने से पहले ही सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी दलों के बीच तीखी बहस छिड़ गई है। इस विवादित विधेयक को लेकर संसद में भारी हंगामे की संभावना है। बीजेपी का कहना है कि एक साथ चुनाव कराने से प्रशासनिक प्रक्रिया आसान होगी और चुनावी खर्च में कमी आएगी, जबकि विपक्ष इसे संघीय ढांचे और लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहा है।

कैबिनेट ने दी दो विधेयकों को मंजूरी

सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट ने दो विधेयकों को मंजूरी दी है, जिनमें से एक ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से संबंधित है। फिलहाल यह विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने तक सीमित है। नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए इसे लागू नहीं किया गया है।

कांग्रेस के पास कोई तर्क नहीं: किरण रिजिजू

केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि उनके पास ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के खिलाफ कोई “तर्कसंगत दलील” नहीं है। उन्होंने कहा, “वे इसे असंवैधानिक और संघीय ढांचे के खिलाफ बता रहे हैं। स्वतंत्रता के बाद दो दशकों तक चुनाव एक साथ हुए। क्या तब जवाहरलाल नेहरू की सरकार असंवैधानिक थी?”

उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस ने छह दशकों तक देश पर राज किया और इसे गरीब बनाया। अब मोदी जी के नेतृत्व में देश विकास के रास्ते पर है, लेकिन कांग्रेस इसे बाधित करना चाहती है। देश का मूड ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के पक्ष में है। कांग्रेस को इसे समर्थन देना चाहिए।”

बीजेपी सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के सांसद लावु श्री कृष्ण देवराायालु ने भी विधेयक का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “आंध्र प्रदेश में 2004 से ही एक साथ चुनाव हो रहे हैं। इससे शासन और प्रक्रिया में स्पष्टता आती है। हमने इसका अनुभव किया है और इसे पूरे देश में लागू करना चाहते हैं।”

‘कांग्रेस पूरी तरह विरोध करेगी’: जयराम रमेश

कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का “दृढ़ता से, पूरी तरह और व्यापक रूप से” विरोध करेगी। उन्होंने इसे असंवैधानिक और लोकतंत्र का गला घोंटने वाला कदम बताया।

उन्होंने कहा, “यह सिर्फ पहला कदम है। असली उद्देश्य एक नया संविधान लाना है। आरएसएस और प्रधानमंत्री मोदी का असली लक्ष्य मौजूदा संविधान को बदलना है। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ तो केवल शुरुआत है।”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर कांग्रेस की आपत्तियां दर्ज कराई हैं।

अखिलेश यादव और ममता बनर्जी का कड़ा विरोध

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया। उन्होंने कहा, “एक का विचार लोकतांत्रिक नहीं है। ‘एक’ की सोच अहंकार को जन्म देती है और सत्ता को तानाशाही बनाती है। इससे क्षेत्रीय मुद्दों का महत्व खत्म हो जाएगा।”

उन्होंने आगे कहा, “बीजेपी को सिर्फ चुनाव दिखता है। यह ध्यान भटकाने की साजिश है। असल मुद्दे महंगाई और बेरोजगारी हैं, लेकिन बीजेपी उन्हें नजरअंदाज कर रही है।”

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने इसे “तानाशाही” कानून करार दिया। उन्होंने कहा, “यह विधेयक भारत के संघीय ढांचे और लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश है। बंगाल दिल्ली की तानाशाही के सामने कभी नहीं झुकेगा। हमारे सांसद इस विधेयक का संसद में कड़ा विरोध करेंगे।”

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर देशभर में बहस तेज हो चुकी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद में यह विधेयक कैसे पेश होता है और इसके पक्ष-विपक्ष में क्या नतीजे सामने आते हैं।

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