न्यायधानी में लगातार गहराता जल संकट

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बिलासपुर: शहर का भूजल स्तर  प्रतिवर्ष लगातार रसातल की ओर जाने लगा है। अभी गर्मी शुरू हुई भी  नहीं हुई है कि नहीं शहर के अनेक मोहल्ले में पानी की त्राहि त्राहि मचनी शुरू हो गई है। यही हाल कमोबेश शहर ही नहीं वरन प्रदेश के अनेक नगर व कस्बों में देखने को मिल रहा है। तोरवा, राजकिशोर नगर, सिरगिट्टी, हिरीं, चकरभाठा में पीने के पानी के लिए खुदे ट्यूबवेल भी सूख गए हैं। पानी की ज्यादा उपयोगिता के कारण नदी, नाले और ट्यूबवेल सूख रहे हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि आज पानी की उपयोगिता कम नहीं की गई तो कल पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा। 

जल संकट का मंडराया खतरा

शहर में पानी सप्लाई बोरिंग और टंकी के माध्यम से किया जा रहा है। जिससे शहर के लोगों को पानी की कमी का खतरा महूसस नहीं हो रहा है लेकिन ग्रामीण इलाकों के हैंडपंप सूखने लगे हैं। अभी मार्च का महीना ही हुआ था कि भीषण गर्मी में जिले के कुछ विकासखंड और पंचायतों में वॉटर लेवल खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। पानी कम खर्च करने या फिर पानी बचाने के लिए शासन स्तर से कोई काम नहीं हो रहा है जिससे जिले में जल संकट का खतरा मंडराने लगा है। 

न्यायधानी में कहां-कहां पानी की ज्यादा किल्लत

नगर के चकरभाठा,सिरगिट्टी, मिनी बस्ती, तालापारा, मगरपारा, सहित एफसीआई गोदाम के पास राजकिशोर नगर, वार्ड क्रमांक 62 शास्त्री नगर, 10 गुरु गोविंद सिंह नगर, 12 बुद्धदेव नगर, चेलकर गली तालापारा, आवासपारा अमेरी, कांटीखार उस्लापुर, शांतिनगर, देवांगनपारा, शिव मंदिर रमेश यादव के घर के पास, प्राथमिक स्कूल घुरू रामगोपाल तिवारी नगर चिल्हाटी, धनुहारपारा, 52 श्यामनगर, लिंगियाडीह, आंगनबाड़ी अपोलो हास्पिटल, एलआईसी सिटी मोपका, राजकिशोर नगर हनुमान मंदिर, डबरीपारा, बहतराई, खमतराई, मोपका, चांटीडीह और चिंगराजपारा शामिल है। मिनीमाता बस्ती, संजय नगर, नागदौने कालोनी, दुबे बाड़ा, शीतला मंदिर के पास, यादव मोहल्ला, रविदास मंदिर के पीछे और फकीर मोहल्ले के पीछे के लोग गर्मी आते ही  निगम के टैंकर के भरोसे रह जाते हैं।

पानी की क्यों हो रही कमी

शहर में कंक्रीट से बनी सीसी गलियों और बिल्डिंगों का जाल फैलता जा रहा है। ठीक उसी अनुपात में शहर की हरियाली और पेड़ पौधे चारों तरफ नष्ट किया जा रहे हैं, काटे जा रहे हैं। यहीं वजह है कि बारिश के दिनों में पानी सड़कों से नाली और नाली से सीधे नदी में पहुंच जा रहा है। कंक्रीट के कारण जमीन को पानी मिल ही नहीं पा रहा है। यही वजह है कि भूजल संकट का खतरा लाल निशान से भी ऊपर पहुंच गया है। भू वैज्ञानिक बार-बार जनता के साथ प्रशासन को आगाह कर रहे हैं कि जमीन के पानी का रीचार्ज नहीं हो पा रहा है। सके अलावा जो पानी है उसका भी दुरुपयोग हो रहा है। न्यायधानी की स्थिति ये है कि बिल्हा, मस्तूरी विकास में जलस्तर 400 से 500 फीट नीचे चला गया है।

तालाब कुएं हो रहे कम

जानकारों के मुताबिक गिरते जल स्तर का मुख्य कारण ये भी है कि तालाबों  और कुओं का अस्तित्व अब कम होता जा रहा है। पहले जगह जगह तालाब और कुएं हुआ करते थे। लेकिन अब तालाबों में या तो पानी नहीं छोड़ा जा रहा या फिर उन्हें पाट दिया जा रहा है। वहीं शहर में तो अब कुऐं दिखते भी नहीं हैं। जानकारों के मुताबिक, गिरते जल स्तर का मुख्य कारण यह है कि जगह-जगह बोरिंग की जा रही है। इसके चलते नगरर की जीवनदायिनी अरपा नदी इस दिनों सूखी पड़ी है। बिलासपुर, बिल्हा और तखतपुर ब्लॉक में 90 प्रतिशत लोगों के घरों में निजी बोर का पानी पहुंचता है, चाहे वो शहर हो या गांव, पीने का पानी बोर की व्यवस्था पर ही टिकी हुई है।लगातार हो रहे भू जल के दोहन से जल का स्तर काफी नीचे जा चुका है और आने वाले दिनों में ये समस्या और भी बढ़ने वाली है। 

फैक्ट्रियां और छोटे उद्योग बढ़ने से बोरिंग की संख्या बढ़ी

पिछले  सालों में शहर में फैक्ट्रियां, इंडस्ट्रीज और छोटे छोटे उद्योग बढ़ गए हैं। पानी के लिए जगह जगह बोरिंग किए जा रहे हैं, जिसके कारण वॉटर लेवल 300 से 500 फीट नीचे चला गया है।पिछले कुछ सालों में हुए भू जल के दोहन की पूर्ति भी नहीं हो पा रही है। 

जब तक भू जल को उसी लेवल में रीचार्ज नहीं  किया जाएगा तब तक शहर में पानी की किल्लत बनी रहेगी। भूजल वेद विभाग के सहायक अधिकारी श्री परांते का कहना है कि, “12 महीने हरी सब्जी की मांग पर किसान साल में सब्जी की तीन फसल लेते हैं। बारह माह सब्जी लेने ट्यूबवेल से पानी खींचना, वहीं बारिश का पानी पर्याप्त रूप से जमीन में नहीं जाने से ग्राउंड वाटर का रिचार्ज नहीं होना, शहरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार हो रही बोरिंग से भी वॉटर लेवल में कमी हो रही है। आने वाले दिनों में जल संकट से बचने के लिए हमें बरसाती पानी को रोकने, चेक डैम बनाने, वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से वाटर रिचार्ज करने और जबरिया पानी के दुरुपयोग को बंद करना होगा। इन सभी तरीकों से पानी को बचाया जा सकता है। साथ ही आने वाली पीढ़ी को पानी के लिए तरसना नहीं पड़ेगा। – सचिन कुमार परांते, भू जल वैज्ञानिक

वाटर लेवल रिचार्ज हेतु भूजलविदों का सुझाव

भूजल विदों का कहना है कि नगर के वाटर लेवल को अगर सही मात्रा में लाना है तो उसके लिए सबसे पहले शहर के प्रत्येक निवासी को अपने लेवल पर ,अपनी क्षमता पर सबसे महत्वपूर्ण काम करना यह होगा कि उन्हें वाटर हार्वेस्टिंग और पेड़ लगाने का काम अनिवार्य रूप से अभियान के तौर पर शुरू कर देना चाहिए। इसके लिए प्रशासन को भी जन जागरण और सहयोग से काम करना जरूरी होगा। हर घर में वाटर हार्वेस्ट का कार्य शुरू हो और अपने स्तर पर पेड़ लगाने का काम  हर शहरी द्वारा शुरू हो तो निश्चित ही शहर का वाटर लेवल शीघ्र ऊपर आ जाएगा।

गर्मियों में अक्सर शहर के चार जोन में जल संकट बढ़ जाता है। वहीं औद्योगिक क्षेत्र सिरगिट्टी में पानी की अधिक खपत के कारण ज्यादा परेशानी है। इसके अतिरिक्त जोन क्रमांक 6 और 7 में भी पानी की समस्या आती है, पर टैंकर सप्लाई के जरिए लोगों तक पानी पहुंचाया जाता है। उन्होंने बताया कि शहर के वाटर रिचार्ज के लिए कई योजनाएं तैयार की जा रही हैन। शहर की जीवन रेखा अरपा पर भी इसके लिए भी काम शुरू किया गया है। शीघ्र ही वाटर रिचार्ज के लिए किए गए कामों का परिणाम देखने मिल जाएगा। – अमित कुमार, नगर निगम आयुक्त, बिलासपुर

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