शुक्रवार, 28 मार्च 2025 को म्यांमार में 7.7 तीव्रता का जबरदस्त भूकंप आया, जिसने पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया को हिला कर रख दिया। इस विनाशकारी झटके से म्यांमार के साथ-साथ थाईलैंड, बांग्लादेश, भारत और चीन तक धरती कांप उठी। अब तक 23 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल बताए जा रहे हैं।

भूकंप का केंद्र और तीव्रता
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र में था। यह केंद्र सागाइंग शहर से 16 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित था और इसकी गहराई 10 किलोमीटर थी।
विनाश की तस्वीर: प्रभावित क्षेत्र और नुकसान
म्यांमार में तबाही:
- मांडले शहर: ऐतिहासिक मांडले पैलेस का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया।
- सागाइंग क्षेत्र: भूकंप से एक बड़ा पुल पूरी तरह ध्वस्त हो गया।
- राजधानी नेपीता: कई इमारतें गिर गईं, जिससे बड़ी संख्या में लोग मलबे में दब गए।
थाईलैंड में आफत:
- बैंकॉक: राजधानी में एक 30-मंजिला निर्माणाधीन इमारत गिरने से 3 लोगों की मौत हो गई, जबकि 80 से ज्यादा लोग लापता हैं।
- चियांग माई: तेज झटकों के कारण लोग घबराकर घरों से बाहर निकल आए।
अन्य देशों में असर:
- भारत: कोलकाता, इंफाल, मेघालय और ईस्ट कार्गो हिल में भूकंप के झटके महसूस किए गए।
- बांग्लादेश: ढाका और चटगांव समेत कई इलाकों में 7.3 तीव्रता के झटके आए।
- चीन: युन्नान प्रांत में भी धरती कांपी, जिससे अफरा-तफरी मच गई।
आपातकालीन घोषणाएं और राहत कार्य
- थाईलैंड की प्रधानमंत्री पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा ने बैंकॉक में आपातकाल घोषित कर दिया है और राहत सेवाओं को सक्रिय कर दिया गया है।
- म्यांमार सरकार ने छह प्रभावित क्षेत्रों में आपातकाल घोषित कर अंतरराष्ट्रीय सहायता की अपील की है।
सुनामी की आशंका: तटीय क्षेत्रों में अलर्ट जारी
भूकंप के बाद म्यांमार, थाईलैंड और बांग्लादेश के तटीय इलाकों में सुनामी का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि, अब तक कोई आधिकारिक चेतावनी जारी नहीं की गई है, लेकिन समुद्री किनारों पर सतर्कता बरती जा रही है।
भारतीय दूतावास की चेतावनी
बैंकॉक स्थित भारतीय दूतावास ने थाईलैंड में रहने वाले भारतीय नागरिकों के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन जारी की है। किसी भी सहायता के लिए +66 618819218 पर संपर्क किया जा सकता है।
भूकंप का कारण: सागाइंग फॉल्ट का प्रभाव
म्यांमार सागाइंग फॉल्ट लाइन पर स्थित है, जो अंडमान सागर से हिमालय की तलहटी तक फैली हुई है। इस क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल के कारण बार-बार भूकंप आते रहते हैं।
यह भूकंप दक्षिण-पूर्व एशिया में हाल के वर्षों में आया सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक है। प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य जोरों पर हैं, लेकिन नुकसान की व्यापकता और आफ्टरशॉक्स के चलते चुनौतियां बरकरार हैं। स्थानीय प्रशासन और अंतरराष्ट्रीय संगठन इस आपदा से निपटने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।