स्वास्थ्य सचिव ने प्राथमिक स्तर पर गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिए चिकित्सा अधिकारियों के क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया

“चिकित्सा अधिकारियों के लिए क्षमता-निर्माण आवश्यक है क्योंकि इससे उन्हें मूल्यवान ज्ञान और विशेषज्ञता हासिल होती है और उनके व्यावसायिक विकास में योगदान मिलता है। इससे गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोगों (एनएएफएलडी) द्वारा उत्पन्न चुनौतियों को प्रभावी ढंग से निपटने की उनकी क्षमता का विस्तार होता है। क्षमता-निर्माण रोग के जोखिम कारकों, उचित निदान और देश में एनएएफएलडी की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए मानक उपचार को समझने का कौशल प्रदान करता है।”स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री राजेश भूषण ने आज यहां गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोगों के बारे में क्षमता-निर्माण के राष्ट्रीय कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। इस वेबिनार कार्यक्रम में जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के चिकित्सा अधिकारियों ने हिस्सा लिया। वेबिनार में देश भर के 7,000 से अधिक चिकित्सा अधिकारियों ने भाग लिया।

स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि “जैसे-जैसे देश की आर्थिक और जनसांख्यिकीय स्थिति में बदलाव आया है, वैसे-वैसे महामारी विज्ञान प्रोफ़ाइल में भी परिवर्तन आया है, जिससे गैर-संचारी रोगों में वृद्धि हुई है।” उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों की बढ़ती भूमिका पर बल देते हुए कहा कि

“क्योंकि चिकित्सा अधिकारी, समुदाय के साथ प्रत्यक्ष रूप से काम करते हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि उनके पास बड़े पैमाने पर समुदाय को प्रदान करने के लिए सही जानकारी हो और जीवन शैली पर आधारित परिवर्तनों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। इस तरह के क्षमता निर्माण कार्यक्रम हमारे चिकित्सा अधिकारियों को सही जानकारी और उनसे निपटने के उपाय प्रदान करने में अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं ताकि वे अपने कार्य को प्रभावी ढंग से कर सकें।”

गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोगों (एनएएफएलडी) ने स्वास्थ्य चिंताओं को बढ़ा दिया है। इस वेबिनार का प्राथमिक उद्देश्य ज्ञान का आदान-प्रदान, सहयोग विस्तार और गैर-अल्कोहल स्टेटो हेपेटाइटिस (एनएएसएच) तथा देश में चिकित्सा अधिकारियों के बीच वैश्विक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना था।

क्षमता निर्माण कार्यक्रम के दो चरण होंगे। पहले चरण में नियमित वेबिनार आयोजित किये जाएंगे और दूसरे में 3 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल होंगे। सर्वप्रथम मध्य प्रदेश में इस आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ होगा।

वेबिनार के पैनलिस्टों में चंडीगढ़ के स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर) के डॉ. अजय दुसेजा, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर के डॉ. आशीष गोयल, यकृत और पित्त विज्ञान संस्थान के डॉ. एस.के. सरीन और एम्स, नई दिल्ली के डॉ. विनीत आहूजा शामिल थे। वेबिनार ने चिकित्सा अधिकारियों को एनएएफएलडी के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान किया।

इसमें रोग के कारण, जोखिम कारक, नैदानिक और उपलब्ध उपचार विकल्पों पर विचार-विमर्श हुआ। हेपेटोलॉजी और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रसिद्ध विशेषज्ञों ने अपनी विशेषज्ञता और अंतर्दृष्टि साझा करते हुए प्रस्तुतियां दीं। प्रतिभागी इंटरैक्टिव चर्चाओं में शामिल हुए। इससे विचारों का आदान-प्रदान, प्रश्न पूछने और गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोगों (एनएएफएलडी) से संबंधित विषयों पर विस्तृत जानकारी हासिल करने का अवसर मिला।

स्वास्थ्य

गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम एक अग्रणी पहल है। इसका उद्देश्य भारत में गैर-संचारी रोगों के बढ़ते बोझ के बारे में जानकारी प्रदान करना है।

इसके लिए रणनीतिक हस्तक्षेप और सहयोग के माध्यम से रोग निवारक उपायों को बढ़ावा देना, प्रारंभिक पहचान सुनिश्चित करना, गैर-संचारी रोगों का प्रभावी प्रबंधन प्रदान करना और आबादी के समग्र स्वास्थ्य तथा कल्याण में सुधार करना है।

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