क्रांतिवीरों की अनकही गाथाओं से समृद्ध होगी पुस्तक : प्रमोद दीक्षित
शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज : विजय प्रकाश
अतर्रा (बांदा)। इतिहास लेखन एक जिम्मेदारी भरा कार्य है। जब कोई ऐतिहासिक लेख पुस्तक के रूप में छपता है तो यह अभिलेख बन जाता है। एक तरफ पाठक इसे प्रामाणिक रूप में स्वीकार करने लगते हैं तो दूसरे तरफ शोधार्थी अपने शोध आलेखों में संदर्भ ग्रंथ के रूप में इसका प्रयोग करते हैं। ऐसे में यदि पुस्तक में कोई संदर्भ या तथ्यात्मक त्रुटि रह जाए तो लेखक और संपादक दोनों की छवि खराब होती है। इसलिए यह अति आवश्यक है कि क्रांतिकारियों की अनकही गाथाएं लिखते समय हम सूक्ष्म अवलोकन और गहन अध्ययन अवश्य करें तथा उन्हीं तथ्यों को शामिल करें जो हमें प्रामाणिक स्रोतों से प्राप्त हो रहे हैं। इसके लिए शिलापटों पर अंकित, पुस्तकों में लिखित या संबंधित क्रांतिकारी से जुड़े पारिवारिक व्यक्तियों के कथन को शामिल किया जा सकता है। इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के सत्यता की जांच आवश्यक है।
उक्त बातें वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षक प्रमोद दीक्षित ‘मलय’ ने शैक्षिक संवाद मंच द्वारा गत दिवस आयोजित ऑनलाइन रचनाकार संवाद में कही। जानकारी देते हुए सहयोगी रचनाकार शिक्षक दुर्गेश्वर राय ने बताया कि शैक्षिक संवाद मंच द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के प्रमुख उद्देश्य “गुमनाम क्रांतिकारियों की गाथाओं को आम जनमानस तक पहुंचाने” की दिशा में सार्थक प्रयास किया जा रहा है। 49 क्रांतिकारियों के जीवनीपरक लेखों से समृद्ध पुस्तक “राष्ट्र साधना के पथिक” पाठकों द्वारा बहुत सराही गई। 33 क्रांतिकारियों की गाथाओं और घटनाओं से सजी पुस्तक “क्रांतिपथ के राही” का प्रथम भाग नवंबर माह में चित्रकूट में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में विमोचित होगा। इसी पुस्तक के दूसरे भाग के रचनाकारों को संबोधित करते हुए संपादक प्रमोद दीक्षित ने लेखों में शब्द चयन, स्थानीय भाषा के प्रयोग, लोककथाओं की वैधानिकता, पाठक को हुक करने की तकनीक आदिक बिंदुओं का गहन विश्लेषण किया।
इस अवसर पर राजस्थान के सुप्रसिद्ध लेखक एवं शिक्षक विजय प्रकाश जैन ने शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण होने वाली इस पुस्तक को विवादित मुद्दों से दूर रखने की सलाह दी। कार्यक्रम में रचनाकारों के विभिन्न प्रकार की जिज्ञासाओं को समाधान मिला। इस कार्यशाला में डा. अरविंद कुमार द्विवेदी, साधना मिश्रा, वन्दना मिश्रा, दीप्ति राय, प्रीति भारती, दुर्गेश्वर राय, आलोक श्रीवास्तव, वंदना यादव, मीरा रविकुल, अनीता यादव, कमलेश कुमार पाण्डेय, विनीत मिश्रा, विनोद कुमार, पवन तिवारी, विवेक श्रीवास्तव सहित दो दर्जन से अधिक लेखकों ने प्रतिभाग किया।