प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से महाराष्ट्र में 11,200 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन और लोकार्पण किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से महाराष्ट्र में 11,200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन और लोकार्पण किया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने दो दिन पहले खराब मौसम के कारण पुणे में अपने कार्यक्रम के रद्द हो जाने की याद दिलाई और आज के वर्चुअल कार्यक्रम के लिए प्रौद्योगिकी को श्रेय देते हुए कहा कि महान व्यक्तित्वों की प्रेरणा की यह भूमि, महाराष्ट्र के विकास का एक नया अध्याय देख रही है। श्री मोदी ने जिला न्यायालय से स्वारगेट तक पुणे मेट्रो खंड के उद्घाटन और पुणे मेट्रो चरण-1 के स्वारगेट-कात्रज विस्तार की आधारशिला रखने का उल्लेख किया। उन्होंने भिड़ेवाड़ा में क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले के पहले बालिका विद्यालय के स्मारक की आधारशिला रखने का भी जिक्र किया और पुणे में जीवन यापन को आसान बनाने की दिशा में तेजी से हो रही प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने सोलापुर से सीधा हवाई संपर्क सुविधा स्थापित करने के लिए सोलापुर हवाई अड्डे के उद्घाटन का जिक्र करते हुए कहा, “भगवान विट्ठल के भक्तों को भी आज एक विशेष उपहार मिला है।” उन्होंने बताया कि मौजूदा हवाई अड्डे को उन्नत करने का काम पूरा होने के बाद टर्मिनल की क्षमता में वृद्धि हुई है और यात्रियों के लिए नई सेवाएं और सुविधाएं तैयार की गई हैं, जिससे भगवान विट्ठल के भक्तों के लिए सुविधा बढ़ी है। उन्होंने आगे कहा कि हवाई अड्डे से व्यापार, उद्योग और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने आज की विकास परियोजनाओं के लिए महाराष्ट्र के लोगों को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने कहा, “आज महाराष्ट्र को नए संकल्पों के साथ बड़े लक्ष्यों की जरूरत है।” उन्होंने पुणे जैसे शहरों को प्रगति और शहरी विकास का केंद्र बनाने की जरूरत पर जोर दिया। पुणे की प्रगति और बढ़ती आबादी के दबाव के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास और क्षमता बढ़ाने के लिए अभी से कदम उठाए जाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मौजूदा राज्य सरकार पुणे के सार्वजनिक परिवहन को आधुनिक बनाने और शहर के विस्तार के साथ परिवहन-संपर्क को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण के साथ काम कर रही है।

प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि पुणे मेट्रो के बारे में 2008 में चर्चा शुरू हुई थी, लेकिन इसकी आधारशिला 2016 में रखी गई थी, जब उनकी सरकार ने तेजी से निर्णय लिए थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, आज पुणे मेट्रो गति प्राप्त रही है और अपना विस्तार कर रही है। आज की परियोजनाओं का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि एक तरफ़ पुणे मेट्रो के जिला न्यायालय से स्वारगेट खंड का उद्घाटन हुआ है, वहीं दूसरी तरफ़ स्वारगेट से कात्रज लाइन की आधारशिला भी रखी गई है। उन्होंने इस साल मार्च में रूबी हॉल क्लिनिक से रामवाड़ी तक मेट्रो सेवा के उद्घाटन को याद किया। प्रधानमंत्री ने 2016 से अब तक पुणे मेट्रो के विस्तार के लिए किए गए काम की सराहना की, क्योंकि इसके लिए तेज़ी से निर्णय लिए गए और बाधाओं को दूर किया गया। उन्होंने बताया कि मौजूदा सरकार ने पुणे में मेट्रो का आधुनिक नेटवर्क तैयार किया है, जबकि पिछली सरकार 8 साल में एक भी मेट्रो पिलर तक नहीं बना पाई थी।

श्री मोदी ने महाराष्ट्र की प्रगति सुनिश्चित करने में विकास-संचालित शासन के महत्व को रेखांकित किया और इस बात पर जोर दिया कि इस निरंतरता में कोई भी व्यवधान राज्य के लिए महत्वपूर्ण नुकसान का कारण बन सकता है। उन्होंने मेट्रो पहल से लेकर मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन और किसानों के लिए महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं तक विभिन्न रुकी हुई परियोजनाओं पर प्रकाश डाला, जिनमें डबल इंजन सरकार के आने से पहले ही देरी हो गई थी।

प्रधानमंत्री ने बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र के बारे में बात की, जो तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के कार्यकाल के दौरान परिकल्पित ऑरिक सिटी का एक महत्वपूर्ण घटक है। दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे पर स्थित इस परियोजना को बाधाओं का सामना करना पड़ा था, लेकिन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार में इसे पुनर्जीवित किया गया। श्री मोदी ने बिडकिन औद्योगिक नोड को राष्ट्र को समर्पित करने की घोषणा की और इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश और रोजगार के अवसर लाने की इसकी क्षमता पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहा, “8,000 एकड़ में फैले बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र के विकास से महाराष्ट्र में हजारों करोड़ का निवेश आएगा, जिससे हजारों युवाओं के लिए रोजगार पैदा होंगे।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निवेश के जरिए रोजगार सृजन का मंत्र आज महाराष्ट्र के युवाओं की बड़ी ताकत बन रहा है। श्री मोदी ने दोहराया कि आधुनिकीकरण देश के मूलभूत मूल्यों पर आधारित होना चाहिए और इस बात पर जोर दिया कि भारत अपनी समृद्ध विरासत के साथ आगे बढ़ते हुए आधुनिकीकरण करेगा और विकसित होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए तैयार अवसंरचना और हर वर्ग तक पहुंचने वाले विकास के लाभ महाराष्ट्र के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह तभी हकीकत बन सकता है, जब समाज का हर वर्ग देश के विकास में भाग ले।

प्रधानमंत्री ने सामाजिक परिवर्तन में महिला नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने महिला सशक्तिकरण की महाराष्ट्र की विरासत, विशेष रूप से सावित्रीबाई फुले के प्रयासों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने बालिकाओं के लिए पहला विद्यालय खोलकर महिला शिक्षा के अभियान की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री ने सावित्रीबाई फुले स्मारक की आधारशिला रखी, जिसमें एक कौशल विकास केंद्र, एक पुस्तकालय और अन्य आवश्यक सुविधाएं होंगी। श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि यह स्मारक सामाजिक सुधार आंदोलन के लिए एक स्थायी सम्मान के रूप में काम करेगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।

प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता-पूर्व भारत में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों, खासकर शिक्षा तक पहुँच बनाने में, पर प्रकाश डाला और महिलाओं के लिए शिक्षा के द्वार खोलने के लिए सावित्रीबाई फुले जैसी दूरदर्शी महिलाओं की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति  के बावजूद, देश ने अतीत की मानसिकता को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए संघर्ष किया और पिछली सरकारों की ओर इशारा किया, जिन्होंने कई क्षेत्रों में महिलाओं की पहुँच को प्रतिबंधित किया। उन्होंने कहा कि स्कूलों में शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी से लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर बहुत अधिक रहती है। श्री मोदी ने कहा कि वर्तमान सरकार ने सैनिक स्कूलों में महिलाओं के प्रवेश और सशस्त्र बलों में भूमिकाओं सहित पुरानी प्रणालियों को बदल दिया है और गर्भवती महिलाओं को अपना काम छोड़ने के मुद्दे को भी समाधान किया है। प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान के महत्वपूर्ण प्रभाव को रेखांकित किया और कहा कि इसके सबसे बड़े लाभार्थी बेटियाँ और महिलाएँ हैं, जिन्हें खुले में शौच की कठिनाई से मुक्ति मिली है। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल की स्वच्छता में सुधार से लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर में कमी आई है। श्री मोदी ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानूनों और नारी शक्ति वंदन अधिनियम का जिक्र किया, जो भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में महिलाओं का नेतृत्व सुनिश्चित करता है। श्री मोदी ने कहा, ‘‘जब हर क्षेत्र के दरवाजे हमारी बेटियों के लिए खुलेंगे, तभी देश के लिए प्रगति के वास्तविक द्वार खुलेंगे।’’ उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सावित्रीबाई फुले स्मारक इन संकल्पों तथा महिला सशक्तिकरण के अभियान को और ऊर्जा देगा।

संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को विकास में महाराष्ट्र की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में अपने विश्वास की पुष्टि की और कहा, “हम सब मिलकर ‘विकसित महाराष्ट्र, विकसित भारत’ के इस लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।”

इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री सी.पी. राधाकृष्णन, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस और श्री अजीत पवार तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति वर्चुअल रूप से उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने जिला न्यायालय से स्वारगेट तक पुणे मेट्रो खंड का उद्घाटन किया, जो पुणे मेट्रो रेल परियोजना (चरण-1) के पूरा होने का भी प्रतीक है। जिला न्यायालय से स्वारगेट के बीच भूमिगत खंड की लागत लगभग 1,810 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने लगभग 2,955 करोड़ रुपये की लागत से विकसित होने वाले पुणे मेट्रो चरण-1 के स्वारगेट-कात्रज  विस्तार की आधारशिला रखी। लगभग 5.46 किलोमीटर का यह दक्षिणी विस्तार पूरी तरह से भूमिगत है, जिसमें मार्केट यार्ड, पद्मावती और कात्रज नामक तीन स्टेशन हैं।

प्रधानमंत्री ने बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र राष्ट्र को समर्पित किया, जो भारत सरकार के राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत 7,855 एकड़ में फैली एक परिवर्तनकारी परियोजना है। यह महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर से 20 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे के तहत विकसित इस परियोजना में मराठवाड़ा क्षेत्र के लिए एक जीवंत आर्थिक केंद्र के रूप में अपार संभावनाएं हैं। केंद्र सरकार ने 3 चरणों में विकास के लिए 6,400 करोड़ रुपये से अधिक की कुल लागत वाली इस परियोजना को मंजूरी दी है।

प्रधानमंत्री ने सोलापुर हवाई अड्डे का भी उद्घाटन किया, जो हवाई संपर्क सुविधा में उल्लेखनीय सुधार करेगा, जिससे सोलापुर पहुंचना पर्यटकों, व्यापारिक यात्रियों और निवेशकों के लिए और अधिक आसान हो जाएगा। सोलापुर के मौजूदा टर्मिनल भवन को सालाना लगभग 4.1 लाख यात्रियों की सेवा के लिए पुनर्निर्मित किया गया है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने भिड़ेवाड़ा में क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले के पहले बालिका विद्यालय के स्मारक की आधारशिला रखी।   

महाराष्ट्र में विभिन्न परियोजनाओं के उद्घाटन, समर्पण और आधारशिला रखने के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

नमस्कार। 

महाराष्ट्र के गर्वनर सी. पी. राधाकृष्णन जी, महाराष्ट्र के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान एकनाथ शिंदे जी, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस जी, अजीत पवार जी, पुणे के सांसद और मंत्री परिषद के मेरे युवा साथी भाई मुरलीधर, केंद्र के अन्य मंत्री जो वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़़े हुए हैं,  महाराष्ट्र के सभी वरिष्ठ मंत्रीगण भी मेरे सामने मुझे दिखाई दे रहे हैं, सांसदगण, विधायकगण, और इस कार्यक्रम से जुड़े सभी भाइयों एवं बहनों! 

पुण्यातील माझ्या  सर्व लाडक्या बहिणींना 

आणि लाडक्या भावांना माझा नमस्कार। 

दो दिन पहले मुझे कई बड़ी परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास के लिए पुणे आना था। लेकिन, भारी बारिश के चलते वो कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। उसमें मेरा तो नुकसान है ही, क्योंकि पुणे के कण-कण में राष्ट्रभक्ति है, पुणे के कण-कण में समाजभक्ति है, ऐसे पुणे में आना वो अपने आप में ऊर्जावान बना देता है। तो मेरा तो बड़ा loss है कि मैं आज पुणे नहीं आ पा रहा हूं। लेकिन अब टेक्नोलॉजी के माध्यम से आप सभी के दर्शन करने का मुझे सौभाग्य मिला है। आज पुणे की ये धरती….भारत की महान विभूतियों की प्रेरणा भूमि, महाराष्ट्र के विकास के नए अध्याय की साक्षी बन रही है। अभी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से स्वारगेट सेक्शन रूट का लोकार्पण हुआ है। इस रूट पर भी अब मेट्रो चलना शुरू हो जाएगी। स्वारगेट-कात्रज सेक्शन का आज शिलान्यास भी हुआ है। आज ही हम सबके श्रदेह क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले मेमोरियल की नींव भी रखी गई है। पुणे शहर में Ease of Living बढ़ाने का हमारा जो सपना है, मुझे खुशी है कि हम उस दिशा में तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। 

भाइयों-बहनों, 

आज भगवान विट्ठल के आशीर्वाद से उनके भक्तों को भी स्नेह उपहार मिला है। सोलापुर को सीधे एयर-कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए एयरपोर्ट को अपग्रेड करने का काम पूरा कर लिया गया है। यहां के टर्मिनल बिल्डिंग की क्षमता बढ़ाई गई है। यात्रियों के लिए नई सुविधाएं तैयार की गई हैं। इससे देश विदेश हर स्तर पर विठोबा के भक्तों को काफी सुविधा होगी। भगवान विट्ठल के दर्शन करने के लिए लोग अब सीधे सोलापुर पहुँच सकेंगे। यहां व्यापार, कारोबार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। मैं महाराष्ट्र के लोगों को, आप सबको इन सभी विकास कार्यों के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं। 

साथियों, 

आज महाराष्ट्र को नए संकल्पों के साथ बड़े लक्ष्यों की जरूरत है। इसके लिए हमें पुणे जैसे हमारे शहरों को प्रगति का, urban development का सेंटर बनाना जरूरी है। आज पुणे जिस गति से आगे बढ़ रहा है, यहाँ जनसंख्या का दबाव भी उतनी ही तेजी से बढ़ रहा है। पुणे की बढ़ती जनसंख्या शहर की स्पीड को कम न करे, बल्कि उसका सामर्थ्य बढ़ाए, इसके लिए हमें अभी से कदम उठाने की जरूरत है। ये तब होगा, जब पुणे का पब्लिक ट्रांसपोर्ट आधुनिक होगा, ये तब होगा, जब शहर का विस्तार तो हो लेकिन एक क्षेत्र की दूसरे से कनेक्टिविटी बेहतरीन रहे। आज महायुति की सरकार, इसी सोच और अप्रोच के साथ दिन-रात काम कर रही है। 

साथियों, 

पुणे की आधुनिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बहुत पहले से काम किए जाने की जरूरत थी। पुणे में मेट्रो जैसा advanced ट्रांसपोर्ट सिस्टम बहुत पहले आ जाना चाहिए था। लेकिन दुर्भाग्य से, बीते दशकों में हमारे देश के शहरी विकास में प्लानिंग और विज़न दोनों का अभाव रहा। अगर कोई योजना चर्चा में आती भी थी, तो उसकी फ़ाइल ही कई-कई वर्षों तक अटकी रहती थी। अगर कोई योजना बन भी गई, तो भी एक-एक प्रोजेक्ट कई-कई दशकों तक लटका रहता था। उस पुराने वर्क कल्चर का बहुत बड़ा नुकसान हमारे देश को, महाराष्ट्र को और पुणे को भी हुआ। आप याद करिए, पुणे में मेट्रो बनाने की बात सबसे पहले 2008 में शुरू हुई थी। लेकिन, 2016 में इसकी आधारशिला तब रखी गई जब हमारी सरकार ने अड़चनों को हटाकर तेजी से निर्णय़ लेना शुरू किया। और आज देखिए…आज पुणे मेट्रो रफ्तार भी भर रही है और उसका विस्तार भी हो रहा है। 

आज भी, एक ओर हमने पुराने काम का लोकार्पण किया है, तो साथ ही स्वारगेट सें कात्रज लाइन का शिलान्यास भी किया है। इसी साल मार्च में मैंने रूबी हाल क्लीनिक से रामवाड़ी तक मेट्रो सेवा का लोकार्पण भी किया था। 2016 से अब तक, इन 7-8 वर्षों में पुणे मेट्रो का ये विस्तार….इतने रूट्स पर काम की ये प्रगति और नए शिलान्यास….अगर पुरानी सोच और कार्यपद्धति होती तो इनमें से कोई भी काम पूरे नहीं हो पाते…पिछली सरकार तो 8 साल में मेट्रो का एक पिलर भी खड़ा नहीं कर पाई थी। जबकि हमारी सरकार ने पुणे में मेट्रो का आधुनिक नेटवर्क तैयार कर दिया है। 

साथियों, 

राज्य की प्रगति के लिए विकास को प्राथमिकता देने वाली सरकार की निरंतरता जरूरी होती है। जब-जब इसमें रुकावट आती है, तो महाराष्ट्र को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। आप देखिए, मेट्रो से जुड़े प्रोजेक्ट्स हों, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन हो, या किसानों के लिए सिंचाई से जुड़े कई महत्वपूर्ण काम हों, डबल इंजन सरकार से पहले महाराष्ट्र के विकास के लिए जरूरी ऐसे कितने ही प्रोजेक्ट्स डिरेल हो गए थे। इसी का एक और उदाहरण है- बिडकिन इंडस्ट्रियल एरिया! हमारी सरकार के समय मेरे मित्र देवेन्द्र जी ने ऑरिक सिटी की संकल्पना रखी थी। उन्होंने दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडॉर पर शिंद्रा-बिडकीन इंडस्ट्रीयल एरिया की नींव रखी थी। National Industrial Corridor Development Programme के तहत इस पर काम होना था। लेकिन, बीच में ये काम भी ठप्प हो गया था। अब शिंदे जी के नेतृत्व में डबल इंजन सरकार ने उन अड़चनों को भी हटाने का काम किया है। आज यहाँ बिडकिन इंडस्ट्रियल नोड को भी राष्ट्र को समर्पित किया गया है। छत्रपति संभाजी नगर में लगभग 8 हजार एकड़ में बिडकिन इंडस्ट्रियल एरिया का विस्तार होगा। कई बड़े-बड़े उद्योगों के लिए यहाँ जमीन allot हो गई है। इससे यहाँ हजारों करोड़ का निवेश आएगा। इससे हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा। निवेश से नौकरी पैदा करने का ये मंत्र, आज महाराष्ट्र में युवाओं की बड़ी ताकत बन रहा है। 

विकसित भारत के शिखर पर पहुंचने के लिए हमें कई पड़ाव पार करने हैं। भारत आधुनिक हो…भारत का modernization भी हो…लेकिन हमारे मूलभूत मूल्यों के आधार पर हो। भारत विकसित भी हो…विकास भी करे और विरासत को भी गर्व के साथ लेकर आगे बढ़े। भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर आधुनिक हो…और ये भारत की आवश्यकताओं और भारत की प्राथमिकताओं के आधार पर हो। भारत का समाज एक मन, एक लक्ष्य के साथ तेज गति से आगे बढ़े। इन सारी बातों को ध्यान में रखकर हमें आगे चलना ही है। 

महाराष्ट्र के लिए भी जितना जरूरी future ready इंफ्रास्ट्रक्चर है, उतना ही जरूरी है कि विकास का लाभ हर वर्ग तक पहुंचे। ये तब होगा, जब देश के विकास में हर वर्ग, हर समाज की भागीदारी होगी। ये तब होगा, जब विकसित भारत के संकल्प का नेतृत्व देश की महिलाएं करेंगी। समाज में बदलाव की ज़िम्मेदारी जब महिलाएं उठाती हैं, तो क्या कुछ हो सकता है, महाराष्ट्र की धरती तो इसकी साक्षी रही है। इसी धरती ने और इस धरती से सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं की शिक्षा के लिए इतना बड़ा आंदोलन शुरू किया था। यहाँ बहन-बेटियों के लिए पहला स्कूल खोला गया था। इसकी स्मृति को, इस विरासत को संजो कर रखना जरूरी है। आज मैंने देश के उसी प्रथम गर्ल्स स्कूल में सावित्री बाई फुले मेमोरियल की आधारशिला रखी है। मुझे खुशी है कि इस मेमोरियल में एक स्किल डवलपमेंट सेंटर, library और दूसरी जरूरी सुविधाओं का निर्माण भी किया जा रहा है। ये मेमोरियल सामाजिक चेतना के उस जन-आंदोलन की स्मृतियों को जीवंत करेगा। ये मेमोरियल हमारे समाज को, हमारी नई पीढ़ी को प्रेरणा देगा। 

भाइयों और बहनों, 

आज़ादी के पहले देश में जो सामाजिक हालात थे, जो गरीबी और भेदभाव था, उन हालातों में हमारी बेटियों के लिए शिक्षा बहुत मुश्किल थी। सावित्रीबाई फुले जैसी विभूतियों ने बेटियों के बंद शिक्षा के दरवाजों को खोला। लेकिन, आज़ादी के बाद भी देश उस पुरानी मानसिकता से पूरी तरह मुक्त नहीं हुआ। कितने ही क्षेत्रों में पिछली सरकारों ने महिलाओं की एंट्री बंद करके रखी थी। स्कूलों में शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव था। इसके कारण, स्कूल होने के बावजूद भी स्कूलों के दरवाजे बेटियों के लिए बंद थे। जैसे ही बच्चियाँ थोड़ी बड़ी होती थीं, उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ता था। सैनिक स्कूलों में तो बेटियों के एड्मिशन पर रोक थी। सेना में ज़्यादातर कार्यक्षेत्रों में महिलाओं की नियुक्ति पर रोक थी। इसी तरह, कितनी ही महिलाओं को pregnancy के दौरान नौकरी छोड़नी पड़ती थी। हमने पुरानी सरकारों की उन पुरानी मानसिकताओं को बदला, पुरानी व्यवस्थाओं को बदला। हमने स्वच्छ भारत अभियान चलाया। उसका सबसे बड़ा फायदा देश की बेटियों को, हमारी माताओं-बहनों को हुआ। उन्हें खुले में शौच से छुटकारा मिला। स्कूलों में बनाए गए शौचालयों के कारण और बेटियों के लिए अलग शौचालयों के कारण बेटियों का ड्रॉप आउट रेट कम हुआ। हमने आर्मी स्कूल्स के साथ-साथ सेना में तमाम पदों को महिलाओं के लिए खोल दिया। हमने महिला सुरक्षा पर कड़े कानून बनाए। और इस सबके साथ, देश ने नारीशक्ति वंदन अधिनियम के जरिए लोकतंत्र में महिलाओं के नेतृत्व की गारंटी भी दी है। 

साथियों, 

“हमारी बेटियों के लिए जब हर क्षेत्र के दरवाजे खुले, तभी हमारे देश के विकास के असली दरवाजे खुल पाए।” मुझे विश्वास है, सावित्रीबाई फुले मेमोरियल हमारे इन संकल्पों को, महिला सशक्तिकरण के हमारे इस अभियान को और ऊर्जा देगा। 

साथियों, 

मुझे भरोसा है, महाराष्ट्र की प्रेरणाएँ, महाराष्ट्र की ये धरती हमेशा की तरह देश का मार्गदर्शन करती रहेगी। हम सब मिलकर ‘विकसित महाराष्ट्र, विकसित भारत’ का ये लक्ष्य पूरा करेंगे। इसी विश्वास के साथ, आप सभी को एक बार फिर इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए हार्दिक बधाई देता हूं। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।

मन की बात की 114वीं कड़ी में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ (29.09.2024)

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। ‘मन की बात’ में एक बार फिर हमें जुड़ने का अवसर मिला है। आज का ये Episode मुझे भावुक करने वाला है, मुझे बहुत सी पुरानी यादों से घेर रहा है – कारण ये है कि ‘मन की बात’ की हमारी इस यात्रा को 10 साल पूरे हो रहे हैं। 10 साल पहले ‘मन की बात’ का प्रारंभ 3 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन हुआ था और ये कितना पवित्र संयोग है, कि, इस साल 3 अक्टूबर को जब ‘मन की बात’ के 10 वर्ष पूरे होंगे, तब, नवरात्रि का पहला दिन होगा। ‘मन की बात’ की इस लंबी यात्रा के कई ऐसे पड़ाव हैं, जिन्हें मैं कभी भूल नहीं सकता। ‘मन की बात’ के करोड़ों श्रोता हमारी इस यात्रा के ऐसे साथी हैं, जिनका मुझे निरंतर सहयोग मिलता रहा। देश के कोने- कोने से उन्होनें जानकारियां उपलब्ध कराई। ‘मन की बात’ के श्रोता ही इस कार्यक्रम के असली सूत्रधार हैं। आमतौर पर एक धारणा ऐसी घर कर गई है, कि जब तक चटपटी बातें न हो, नकारात्मक बातें न हो तब तक उसको ज्यादा तवज्जोह नहीं मिलती है। लेकिन ‘मन की बात’ ने साबित किया है कि देश के लोगों में positive जानकारी की कितनी भूख है। Positive बातें, प्रेरणा से भर देने वाले उदाहरण, हौसला देने वाली गाथाएँ, लोगों को, बहुत पसंद आती हैं। जैसे एक पक्षी होता है ‘चकोर’ जिसके बारे में कहा जाता है कि वो सिर्फ वर्षा की बूंद ही पीता है। ‘मन की बात’ में हमने देखा कि लोग भी चकोर पक्षी की तरह, देश की उपलब्धियों को, लोगों की सामूहिक उपलब्धियों को, कितने गर्व से सुनते हैं। ‘मन की बात’ की 10 वर्ष की यात्रा ने एक ऐसी माला तैयार की है, जिसमें, हर episode के साथ नई गाथाएँ, नए कीर्तिमान, नए व्यक्तित्व जुड़ जाते हैं। हमारे समाज में सामूहिकता की भावना के साथ जो भी काम हो रहा हो, उन्हें ‘मन की बात’ के द्वारा सम्मान मिलता है। मेरा मन भी तभी गर्व से भर जाता है, जब मैं ‘मन की बात’ के लिए आयी  चिट्ठियों को पढ़ता हूँ। हमारे देश में कितने प्रतिभावान लोग हैं, उनमें देश और समाज की सेवा करने का कितना जज्बा है। वो लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर देते हैं। उनके बारे में जानकर मैं ऊर्जा से भर जाता हूँ। ‘मन की बात’ की ये पूरी प्रक्रिया मेरे लिए ऐसी है, जैसे मंदिर जा करके ईश्वर के दर्शन करना। ‘मन की बात’ के हर बात को, हर घटना को, हर चिट्ठी को मैं याद करता हूँ तो ऐसे लगता है मैं जनता जनार्दन जो मेरे लिए ईश्वर का रूप है मैं  उनका दर्शन कर रहा हूँ।

साथियो, मैं आज दूरदर्शन, प्रसार भारती और All India Radio से जुड़े सभी लोगों की भी सराहना करूंगा। उनके अथक प्रयासों से ‘मन की बात’ इस महत्वपूर्ण पड़ाव तक पहुंचा है। मैं विभिन्न TV channels को, Regional TV channels का भी आभारी हूँ जिन्होनें लगातार इसे दिखाया है। ‘मन की बात’ के द्वारा हमने जिन मुद्दों को उठाया, उन्हें लेकर कई Media Houses ने मुहिम भी चलाई। मैं Print media को भी धन्यवाद देता हूँ कि उन्होनें इसे घर-घर तक पहुंचाया। मैं उन YouTubers को भी धन्यवाद दूंगा जिन्होनें ‘मन की बात’ पर अनेक कार्यक्रम किए। इस कार्यक्रम को देश की 22 भाषाओं के साथ 12 विदेशी भाषाओं में भी सुना जा सकता है। मुझे अच्छा लगता है जब लोग ये कहते हैं कि उन्होनें ‘मन की बात’ कार्यक्रम को अपनी स्थानीय भाषा में सुना। आप में से बहुत से लोगों को ये पता होगा कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम पर आधारित एक Quiz Competition भी चल रहा है, जिसमें, कोई भी व्यक्ति हिस्सा ले सकता है। MyGov.in पर जाकर आप इस competition में हिस्सा ले सकते हैं और ईनाम भी जीत सकते हैं। आज इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर, मैं एक बार फिर आप सबसे आशीर्वाद माँगता हूँ। पवित्र मन और पूर्ण समर्पण भाव से, मैं इसी तरह, भारत के लोगों की महानता के गीत गाता रहूँ। देश की सामूहिक शक्ति को, हम सब, इसी तरह celebrate करते रहें – यही मेरी ईश्वर से प्रार्थना है, जनता-जनार्दन से प्रार्थना है।

मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले कुछ सप्ताह से देश के अलग-अलग हिस्सों में जबरदस्त बारिश हो रही है। बारिश का ये मौसम, हमें याद दिलाता है कि ‘जल-संरक्षण’ कितना जरूरी है, पानी बचाना कितना जरूरी है। बारिश के दिनों में बचाया गया पानी, जल संकट के महीनों में बहुत मदद करता है, और यही ‘Catch the Rain‘ जैसे अभियानों की  भावना है। मुझे खुशी है कि पानी के संरक्षण को लेकर कई लोग नई पहल कर रहे हैं। ऐसा ही एक प्रयास उत्तर प्रदेश के झांसी में देखने को मिला है। आप जानते ही हैं कि ‘झांसी’ बुंदेलखंड में है, जिसकी पहचान, पानी की किल्लत से जुड़ी हुई है। यहाँ, झांसी में कुछ महिलाओं ने घुरारी नदी को नया जीवन दिया है। ये महिलाएं Self help group से जुड़ी हैं और उन्होनें ‘जल सहेली’ बनकर इस अभियान का नेतृत्व किया है। इन महिलाओं ने मृतप्राय हो चुकी घुरारी नदी को जिस तरह से बचाया है, उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। इन जल सहेलियों ने बोरियों में बालू भरकर चेकडैम (Check Dam) तैयार किया, बारिश का पानी बर्बाद होने से रोका और नदी को पानी से लबालब कर दिया। इन महिलाओं ने सैकड़ों जलाशयों के निर्माण और उनके Revival में भी बढ़-चढ़कर हाथ बटाया है। इससे इस क्षेत्र के लोगों की पानी की समस्या तो दूर हुई ही है, उनके चेहरों पर, खुशियां भी लौट आई हैं।

साथियो, कहीं नारी-शक्ति, जल-शक्ति को बढ़ाती है तो कहीं जल-शक्ति भी नारी-शक्ति को मजबूत करती है। मुझे मध्य प्रदेश के दो बड़े ही प्रेरणादायी प्रयासों की जानकारी मिली है। यहाँ डिंण्डौरी के रयपुरा गाँव में एक बड़े तालाब के निर्माण से भू-जल स्तर काफी बढ़ गया है। इसका फायदा इस गाँव की महिलाओं को मिला। यहाँ ‘शारदा आजीविका स्वयं सहायता समूह’ इससे जुड़ी महिलाओं को मछली पालन का नया व्यवसाय भी मिल गया। इन महिलाओं ने Fish-Parlour भी शुरू किया है, जहाँ होने वाली मछलियों की बिक्री से उनकी आय भी बढ़ रही है। मध्य प्रदेश के छतरपुर में भी महिलाओं का प्रयास बहुत सराहनीय है। यहाँ के खोंप गाँव का बड़ा तालाब जब सूखने लगा तो महिलाओं ने इसे पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया। ‘हरी बगिया स्वयं सहायता समूह’ की इन महिलाओं ने तालाब से बड़ी मात्रा में गाद निकाली, तालाब से जो गाद निकली उसका उपयोग उन्होंने बंजर जमीन पर fruit forest तैयार करने के लिए किया। इन महिलाओं की मेहनत से ना सिर्फ तालाब में खूब पानी भर गया, बल्कि, फसलों की उपज भी काफी बढ़ी है। देश के कोने-कोने में हो रहे ‘जल संरक्षण’ के ऐसे प्रयास पानी के संकट से निपटने में बहुत मददगार साबित होने वाले हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि आप भी अपने आसपास हो रहे ऐसे प्रयासों से जरूर जुड़ेंगे।

मेरे प्यारे देशवासियो, उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक सीमावर्ती गाँव है ‘झाला’। यहां के युवाओं ने अपने गाँव को स्वच्छ रखने के लिए एक खास पहल शुरू की है। वे अपने गाँव में ‘धन्यवाद प्रकृति’ या कहें ‘Thank you Nature’ अभियान चला रहे हैं। इसके तहत गाँव में रोजाना दो घंटे सफाई की जाती है। गाँव की गलियों में बिखरे हुए कूड़े को समेटकर, उसे, गाँव के बाहर, तय जगह पर, डाला जाता है। इससे झाला गाँव भी स्वच्छ हो रहा है और लोग जागरूक भी हो रहे हैं। आप सोचिए, अगर ऐसे ही हर गाँव, हर गली-हर मोहल्ला, अपने यहां ऐसा ही Thank You अभियान शुरू कर दे, तो कितना बड़ा परिवर्तन आ सकता है।

साथियो, स्वच्छता को लेकर पुडुचेरी के समुद्र तट पर भी जबरदस्त मुहिम चलाई जा रही है। यहां रम्या जी नाम की महिला, माहे municipality और इसके आसपास के क्षेत्र के युवाओं की एक टीम का नेतृत्व कर रही है। इस टीम के लोग अपने प्रयासों से माहे Area और खासकर वहाँ के Beaches को पूरी तरह साफ-सुथरा बना रहे हैं।

साथियो, मैंने यहां सिर्फ दो प्रयासों की चर्चा की है, लेकिन, हम आसपास देखें, तो पाएंगे कि देश के हर किसी हिस्से में, ‘स्वच्छता’ को लेकर कोई-ना-कोई अनोखा प्रयास जरूर चल रहा है। कुछ ही दिन बाद आने वाले 2 अक्टूबर को ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के 10 साल पूरे हो रहे हैं। यह अवसर उन लोगों के अभिनंदन का है जिन्होंने इसे भारतीय इतिहास का इतना बड़ा जन-आंदोलन बना दिया। ये महात्मा गांधी जी को भी सच्ची श्रद्धांजलि है, जो जीवनपर्यंत, इस उद्देश्य के लिए समर्पित रहे।

साथियो, आज ये ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की ही सफलता है कि ‘Waste to Wealth’ का मंत्र लोगों में लोकप्रिय हो रहा है। लोग ‘Reduce, Reuse और Recycle’ पर बात करने लगे हैं, उसके उदाहरण देने लगे हैं। अब जैसे मुझे केरला में कोझिकोड में एक शानदार प्रयास के बारे में पता चला। यहां Seventy four (74) year के सुब्रह्मण्यम जी 23 हजार से अधिक कुर्सियों की मरम्मत करके उन्हें दोबारा काम लायक बना चुके हैं। लोग तो उन्हें ‘Reduce, Reuse, और Recycle, यानि, RRR (Triple R) Champion भी कहते हैं। उनके इन अनूठे प्रयासों को कोझिकोड सिविल स्टेशन, PWD और L।C के दफ्तरों में देखा जा सकता है।

साथियो, स्वच्छता को लेकर जारी अभियान से हमें ज्यादा-से- ज्यादा लोगों को जोड़ना है, और यह एक अभियान, किसी एक दिन का, एक साल का, नहीं होता है, यह युगों-युगों तक निरंतर करने वाला काम है। यह जब तक हमारा स्वभाव बन जाए ‘स्वच्छता’, तब तक करने का काम है। मेरा आप सबसे आग्रह है कि आप भी अपने परिवार, दोस्तों, पड़ोसियों या सहकर्मियों के साथ मिलकर स्वच्छता अभियान में हिस्सा जरूर लें। मैं एक बार फिर ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की सफलता पर आप सभी को बधाई देता हूँ।

मेरे प्यारे देशवासियो, हम सभी को अपनी विरासत पर बहुत गर्व है। और मैं तो हमेशा कहता हूँ ‘विकास भी-विरासत भी’। यही वजह है कि मुझे हाल की अपनी अमेरिका यात्रा के एक खास पहलू को लेकर बहुत सारे संदेश मिल रहे हैं। एक बार फिर हमारी प्राचीन कलाकृतियों की वापसी को लेकर बहुत चर्चा हो रही है। मैं इसे लेकर आप सबकी भावनाओं को समझ सकता हूँ और ‘मन की बात’ के श्रोताओं को भी इस बारे में बताना चाहता हूँ।

साथियो, अमेरिका की मेरी यात्रा के दौरान अमेरिकी सरकार ने भारत को करीब 300 प्राचीन कलाकृतियों को वापस लौटाया है। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने पूरा अपनापन दिखाते हुए डेलावेयर (Delaware)  के अपने निजी आवास में इनमें से कुछ कलाकृतियों को मुझे दिखाया। लौटाई गईं कलाकृतियाँ Terracotta, Stone, हाथी के दांत, लकड़ी, तांबा और कांसे जैसी चीजों से बनी हुई हैं। इनमें से कई तो चार हजार साल पुरानी हैं। चार हजार साल पुरानी कलाकृतियों से लेकर 19वीं सदी तक की कलाकृतियों को अमेरिका ने वापस किया है – इनमें फूलदान, देवी-देवताओं की टेराकोटा (Terracotta) पट्टिकाएं, जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाओं के अलावा भगवान बुद्ध और भगवान श्री कृष्ण की मूर्तियाँ भी शामिल हैं। लौटाई गईं चीजों में पशुओं की कई आकृतियाँ भी हैं। पुरुष और महिलाओं की आकृतियों वाली जम्मू-कश्मीर की Terracotta tiles तो बेहद ही दिलचस्प हैं। इनमें कांसे से बनी भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमाएं भी हैं, जो, दक्षिण भारत की हैं। वापस की गई चीजों में बड़ी संख्या में भगवान विष्णु की तस्वीरें भी हैं। ये मुख्य रूप से उत्तर और दक्षिण भारत से जुड़ी हैं। इन कलाकृतियों को देखकर पता चलता है कि हमारे पूर्वज बारीकियों का कितना ध्यान रखते थे। कला को लेकर उनमें गजब की सूझ-बूझ थी। इनमें से बहुत सी कलाकृतियों को तस्करी और दूसरे अवैध तरीकों से देश के बाहर ले जाया गया था – यह गंभीर अपराध है, एक तरह से यह अपनी विरासत को खत्म करने जैसा है, लेकिन मुझे इस बात की बहुत खुशी है, कि पिछले एक दशक में, ऐसी कई कलाकृतियां, और हमारी बहुत सारी प्राचीन धरोहरों की, घर वापसी हुई है। इस दिशा में, आज, भारत कई देशों के साथ मिलकर काम भी कर रहा है। मुझे विश्वास है जब हम अपनी विरासत पर गर्व करते हैं तो दुनिया भी उसका सम्मान करती है, और उसी का नतीजा है कि आज विश्व के कई देश हमारे यहाँ से गई हुई ऐसी कलाकृतियों को हमें वापस दे रहे हैं।

मेरे प्यारे साथियो, अगर मैं पूछूं कि कोई बच्चा कौन सी भाषा सबसे आसानी से और जल्दी सीखता है – तो आपका जवाब होगा ‘मातृ भाषा’। हमारे देश में लगभग बीस हजार भाषाएं और बोलियाँ हैं और ये सब की सब किसी-न-किसी की तो मातृ-भाषा है ही हैं। कुछ भाषाएं ऐसी हैं जिनका उपयोग करने वालों की संख्या बहुत कम है, लेकिन आपको यह जानकर खुशी होगी, कि उन भाषाओं को संरक्षित करने के लिए, आज, अनोखे प्रयास हो रहे हैं। ऐसी ही एक भाषा है हमारी ‘संथाली’ भाषा। ‘संथाली’ को digital Innovation की मदद से नई पहचान देने का अभियान शुरू किया गया है। ‘संथाली’, हमारे देश के कई राज्यों में रह रहे संथाल जनजातीय समुदाय के लोग बोलते हैं। भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में भी संथाली बोलने वाले आदिवासी समुदाय मौजूद हैं। संथाली भाषा की online पहचान तैयार करने के लिए ओडिशा के मयूरभंज में रहने वाले श्रीमान रामजीत टुडु एक अभियान चला रहे हैं। रामजीत जी ने एक ऐसा digital platform तैयार किया है, जहां संथाली भाषा से जुड़े साहित्य को पढ़ा जा सकता है और संथाली भाषा में लिखा जा सकता है। दरअसल कुछ साल पहले जब रामजीत जी ने मोबाईल फोन का इस्तेमाल शुरू किया तो वो इस बात से दुखी हुए कि वो अपनी मातृभाषा में संदेश नहीं दे सकते! इसके बाद वो ‘संथाली भाषा’ की लिपि ‘ओल चिकी’ को टाईप करने की संभावनाएं तलाश करने लगे। अपने कुछ साथियों की मदद से उन्होंने ‘ओल चिकी’ में टाईप करने की तकनीक विकसित कर ली। आज उनके प्रयासों से ‘संथाली’ भाषा में लिखे लेख लाखों लोगों तक पहुँच रहें हैं।

     साथियो, जब हमारे दृढ़ संकल्प के साथ सामूहिक भागीदारी का संगम होता है तो पूरे समाज के लिए अदभुत नतीजे सामने आते हैं। इसका सबसे ताज़ा उदाहरण है ‘एक पेड़ मां के नाम’ – ये अभियान अदभुत अभियान रहा, जन-भागीदारी का ऐसा उदाहरण वाकई बहुत प्रेरित करने वाला है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर शुरू किये गए इस अभियान में देश के कोने-कोने में लोगों ने कमाल कर दिखाया है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना ने लक्ष्य से अधिक संख्या में पौधारोपण  कर नया रिकार्ड बनाया है। इस अभियान के तहत उत्तर प्रदेश में 26 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए गए। गुजरात के  लोगों ने 15 करोड़ से ज़्यादा पौधे रोपे। राजस्थान में केवल अगस्त महीने में ही 6 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए हैं। देश के हजारों स्कूल भी इस अभियान में जोर-शोर से हिस्सा ले रहें हैं।

     साथियो, हमारे देश में पेड़ लगाने के अभियान से जुड़े कितने ही उदाहरण सामने आते रहते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है तेलंगाना के  के.एन.राजशेखर जी का। पेड़ लगाने के लिए उनकी प्रतिबद्धता हम सब को हैरान कर देती है। करीब चार साल पहले उन्होंने पेड़ लगाने की मुहिम  शुरू की। उन्होंने तय किया कि हर रोज एक पेड़ जरूर लगाएगें। उन्होंने इस मुहिम का कठोर व्रत की तरह पालन किया। वो 1500 से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इस साल एक हादसे का शिकार होने के बाद भी वे अपने संकल्प से डिगे नहीं। मैं ऐसे सभी प्रयासों की हृदय  से सराहना करता हूँ। मेरा आपसे भी आग्रह है कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ इस पवित्र अभियान से आप जरूर जुड़िए।

मेरे प्यारे साथियो, आपने देखा होगा, हमारे आस-पास कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आपदा में धैर्य नहीं खोते, बल्कि उससे सीखते हैं। ऐसी ही एक महिला है सुबाश्री, जिन्होंने अपने प्रयास से, दुर्लभ और बहुत उपयोगी जड़ी-बूटियों का एक अद्भुत बगीचा तैयार किया है। वो तमिलनाडु के मदुरई  की रहने वाली हैं। वैसे तो पेशे से वो एक टीचर हैं, लेकिन औषधीय वनस्पतियों, Medical Herbs के प्रति इन्हें गहरा लगाव है। उनका ये लगाव 80 के दशक में तब शुरू हुआ, जब एक बार, उनके पिता को जहरीले सांप ने काट लिया। तब पारंपरिक जड़ी-बूटियों ने उनके पिता की सेहत सुधारने में काफी मदद की थी। इस घटना के बाद उन्होंने पारंपरिक औषधियों और जड़ी-बूटियों की खोज शुरू की। आज, मदुरई के वेरिचियुर गाँव में उनका अनोखा Herbal Garden है, जिसमें, 500 से ज्यादा दुर्लभ औषधीय पौधे हैं। अपने इस बगीचे को तैयार करने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है। एक-एक पौधे को खोजने के लिए उन्होंने दूर-दूर तक यात्राएं कीं, जानकारियाँ जुटाईं और कई बार दूसरे लोगों से मदद भी मांगी। कोविड के समय उन्होंने Immunity बढ़ाने वाली जड़ी-बूटियाँ लोगों तक पहुँचाई। आज उनके Herbal Garden को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। वो सभी को Herbal पौधों की जानकारी और उनके उपयोग के बारे में बताती हैं। सुबाश्री हमारी उस पारंपरिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं, जो सैकड़ों वर्षों से, हमारी संस्कृति का हिस्सा है। उनका Herbal Garden हमारे अतीत को भविष्य से जोड़ता है। उन्हें हमारी ढ़ेर सारी शुभकामनाएं।

    साथियो, बदलते हुए इस समय में Nature of Jobs बदल रही हैं और नए-नए sectors का उभार हो रहा है। जैसे Gaming, Animation, Reel Making, Film Making या Poster Making। अगर इनमें से किसी skill में आप अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं तो आपके Talent को बहुत बड़ा मंच मिल सकता है, अगर आप किसी Band से जुड़े हैं या फिर Community Radio के लिए काम करते हैं, तो भी आपके लिए बहुत बड़ा अवसर है। आपके Talent और Creativity को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार का सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने ‘Create ।n India’ इस theme के तहत 25 Challenges शुरू किए हैं। ये Challenges आपको जरूर दिलचस्प लगेंगे। कुछ Challenges तो Music, Education और यहाँ तक कि Anti-Piracy पर भी Focused हैं। इस आयोजन में कई सारे Professional Organisation भी शामिल हैं, जो, इन Challenges को, अपना पूरा support दे रहे हैं। इनमें शामिल होने के लिए आप wavesindia.org पर login कर सकते हैं। देश-भर के creators से मेरा विशेष आग्रह है कि वे इसमें जरूर हिस्सा लें और अपनी creativity को सामने लाएं।

    मेरे प्यारे देशवासियो, इस महीने एक और महत्वपूर्ण अभियान को 10 साल पूरे हुए हैं। इस अभियान की सफलता में, देश के बड़े उद्योगों  से लेकर छोटे दुकानदारों तक का योगदान शामिल है। मैं बात कर रहा हूँ ‘Make ।n India’ की। आज, मुझे ये देखकर बहुत खुशी मिलती है, कि गरीब, मध्यम वर्ग और MSMEs को इस अभियान से बहुत फायदा मिल रहा है। इस अभियान ने हर वर्ग के लोगों को अपना Talent सामने लाने का अवसर दिया है। आज, भारत Manufacturing का Powerhouse बना है और देश की युवा-शक्ति की वजह से दुनिया-भर की नजरें हम पर हैं। Automobiles हो, Textiles हो, Aviation हो, Electronics हो, या फिर Defence, हर Sector में देश का export लगातार बढ़ रहा है। देश में FD। का लगातार बढ़ना भी हमारे ‘Make ।n India’ की सफलता की गाथा कह रहा है। अब हम मुख्य रूप से दो चीजों पर focus कर रहे हैं। पहली है ‘Quality’ यानि, हमारे देश में बनी चीजें global standard की हों। दूसरी है ‘Vocal for Local’ यानि, स्थानीय चीजों को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा मिले। ‘मन की बात’ में हमने #MyProductMyPride की भी चर्चा की है। Local Product को बढ़ावा देने से देश के लोगों को किस तरह से फायदा होता है, इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है।  

महाराष्ट्र के भंडारा  जिले में Textile की एक पुरानी परंपरा है – ‘भंडारा टसर सिल्क हैंडलूम’ (‘Bhandara Tussar Silk Handloom’)। टसर सिल्क (Tussar Silk) अपने design, रंग और मजबूती के लिए जानी जाती है। भंडारा के कुछ हिस्सों में 50 से भी अधिक ‘Self Help Group’, इसे संरक्षित करने के काम में जुटे हैं। इनमें महिलाओं की बहुत बड़ी भागीदारी है। यह silk तेजी से लोकप्रिय हो रही है और स्थानीय समुदायों को सशक्त बना रही है, और यही तो ‘Make In India’ की spirit है।   

साथियो, त्योहारों के इस मौसम में आप फिर से अपना पुराना संकल्प भी जरूर दोहराइए। कुछ भी खरीदेंगे, वो, ‘Made In India’, ही होना चाहिए, कुछ भी gift देंगे, वो भी, ‘Made In India’ ही होना चाहिए। सिर्फ मिट्टी के दीये  खरीदना ही ‘Vocal for Local’ नहीं है। आपको, अपने क्षेत्र में बने स्थानीय उत्पादों को ज्यादा-से-ज्यादा promote करना चाहिये। ऐसा कोई भी product, जिसे बनाने में भारत के किसी कारीगर का पसीना लगा है, जो भारत की मिट्टी में बना है, वो हमारा गर्व है – हमें इसी गौरव पर हमेशा, चार चाँद लगाने हैं।

    साथियो, ‘मन की बात’ के इस Episode में मुझे आपसे जुड़कर बहुत अच्छा लगा। इस कार्यक्रम से जुड़े अपने विचार और सुझाव हमें जरूर भेजियेगा। मुझे आपके पत्रों और संदेशों की प्रतीक्षा है। कुछ ही दिन बाद त्योहारों का season शुरू होने वाला है। नवरात्र से इसकी शुरुआत होगी और फिर अगले दो महीने तक पूजा-पाठ, व्रत-त्योहार, उमंग-उल्लास, चारों तरफ, यही वातावरण छाया रहेगा। मैं आने वाले त्योहारों की आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। आप सभी, अपने परिवार और अपने प्रियजनों के साथ त्योहार का खूब आनंद लें, और दूसरों को भी, अपने आनंद में शामिल करें। अगले महीने ‘मन की बात’ कुछ और नये विषयों के साथ आपसे जुड़ेंगे। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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