पहले लंग कैंसर को पुरुषों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब यह महिलाओं के लिए भी गंभीर खतरा बन चुका है।

मुख्य कारण
- सैकंडहैंड स्मोक (परोक्ष धूम्रपान) – अगर आप स्वयं सिगरेट नहीं पीतीं, लेकिन धूम्रपान करने वालों के संपर्क में रहती हैं, तो लगभग20-30% तक लंग कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
- एचपीवी संक्रमण – कुछ मामलों में ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के कारण भी लंग कैंसर हो सकता है।
- रैडोन गैस का संपर्क – यह गंधहीन, रंगहीन गैस सीवर, पाइप, दीवारों की दरारों या जमीन से घरों में प्रवेश कर सकती है और लंग कैंसर के लगभग15% मामलों की वजह बनती है।
- खतरनाक रसायन और प्रदूषण – वायु प्रदूषण, लकड़ी के धुएं और हानिकारक केमिकल्स से संपर्क लंग कैंसर के खतरे को चार गुना बढ़ा देता है।
- एस्ट्रोजन हार्मोन – अध्ययनों के अनुसार, एस्ट्रोजन हार्मोन भी महिलाओं में लंग कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है, विशेष रूप से ओवरी हटाने के बाद।
महिलाओं में लंग कैंसर के लक्षण
- लगातार खांसी या खांसते समय खून आना
- छाती में दर्द और जकड़न
- पीठ दर्द
- सांस लेने में कठिनाई
- बार-बार फेफड़ों में संक्रमण होना
उपचार और बचाव के तरीके
1. कीमोथैरेपी:
- लंग कैंसर के इलाज में कीमोथैरेपी प्रभावी उपचार है।
- इसमें कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रसायन दिए जाते हैं।
- कीमोथैरेपी ड्रिप, इंजेक्शन, टैबलेट या छोटे पंप के जरिए दी जाती है।
- अत्यधिक खुराक नुकसानदायक हो सकती है, इसलिए डॉक्टर के निर्देशों का पालन जरूरी है।
2. बचाव के उपाय:
- धूम्रपान तुरंत छोड़ें और धूम्रपान करने वालों से दूरी बनाए रखें।
- घर में रैडोन गैस की जांच कराएं।
- पौष्टिक आहार लें और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएं।
- नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
लंग कैंसर अब केवल धूम्रपान करने वालों तक सीमित नहीं रहा। महिलाओं को सैकंडहैंड स्मोक, प्रदूषण और हार्मोनल बदलावों के कारण भी यह बीमारी घेर रही है। समय रहते सावधानी बरतकर और सही कदम उठाकर इस खतरे से बचा जा सकता है। यह लेख सिर्फ जानकारी के लिए है डॉक्टर से सलाह अवश्य ले।
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