‘बच्चों की 51 नटखट कहानियाँ’ : बचपन की दुनिया में कहानी का उजाला

प्रकाश मनु हिंदी बाल साहित्य की उस ऊँची परंपरा के लेखक हैं, जिनकी कहानियों में बचपन की मासूम मुस्कान, कल्पनाओं की उड़ान और जीवन के गहरे अर्थ एक साथ खिल उठते हैं। उनकी लेखनी ने बच्चों के लिए जो दुनिया रची है, उसमें नटखटपन भी है, भावुकता भी, और संवेदनाओं की वह गर्माहट भी, जो सीधे दिल को छू जाती है। डायमंड पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित पुस्तक उनकी नई कृति ‘बच्चों की 51 नटखट कहानियाँ’ इसी परंपरा का जीवंत उदाहरण है। प्रकाश मनु कहते हैं कि कहानियाँ हमें उड़ना सिखाती हैं – बिना पंखों के, कल्पना के सहारे। जब बच्चे कहानियाँ पढ़ते हैं, तो वे यथार्थ की सीमाओं से परे जाकर नई संभावनाओं की दुनिया में पहुँच जाते हैं। यही कहानी की सबसे बड़ी ताकत है – वह असंभव को भी संभव के रूप में दिखा देती है। कहानी उम्मीद जगाती है, जीवन में रस और आनंद भरती है।
मनु जी के शब्दों में, “कहानियाँ हैं तो जीवन है, कहानियाँ हैं तो हमारे जीने में भी रस और उत्साह है।” यही कारण है कि कहानी सदियों से मनुष्य की सहयात्री रही है और आज भी उसकी प्रासंगिकता उतनी ही गहरी है। प्रकाश मनु अपने बचपन को याद करते हैं, जब उन्होंने माँ और नानी से अनगिनत कहानियाँ सुनीं। वही कहानियाँ उनके व्यक्तित्व की पहली गुरु बनीं। उन्हीं ने उन्हें उड़ने की कल्पना दी, संवेदना दी और जीवन के रंगों को देखने की दृष्टि दी। वे कहते हैं कि अगर उन्होंने बचपन में वे कहानियाँ न सुनी होतीं, तो शायद वे आज लेखक न होते।
मनु जी मानते हैं कि समय के साथ जीवन और परिस्थितियाँ बदलती हैं। इसलिए कहानियाँ भी समयानुकूल होनी चाहिए। वे यह भी कहते हैं कि पुरानी दादी-नानी की कहानियाँ भले कल्पना से भरी थीं, पर उनमें जीवन की सच्चाइयाँ और संस्कार छिपे थे। उन्होंने इन दोनों के बीच से रास्ता निकालते हुए तय किया कि उनकी कहानियाँ आधुनिक समय की होंगी, पर उनकी शैली पारंपरिक किस्सागोई की होगी। इस तरह उनकी कहानियाँ आज के बच्चों की दुनिया से जुड़ी होती हैं, फिर भी उनमें वही मिठास और आत्मीयता बनी रहती है, जो दादी-नानी की कहानियों में होती थी। कहानी सिर्फ मनोरंजन नहीं देती, बल्कि जीवन का सबक भी सिखाती है। वे एक कहानी का उदाहरण देते हैं जिसमें एक बुढ़िया अपनी झोंपड़ी को बचाने के लिए राजा से डटकर कहती है कि “ओ राजा, मैं इस झोंपड़ी में रहकर भी तेरे महल को देखकर ईर्ष्या नहीं करती, पर तू इतना बड़ा राजा होकर मेरी झोंपड़ी से जलता है, तो असली कंगाल तू ही है।”
प्रकाश मनु बताते हैं कि जब डायमंड बुक्स ने इस पुस्तक को प्रकाशित करने का प्रस्ताव दिया, तो उन्हें अपार खुशी हुई, क्योंकि यह पुस्तक उनके दिल के बहुत करीब है। इसमें उन्होंने छोटे-छोटे बच्चों के लिए इक्यावन मजेदार, चंचल और शिक्षाप्रद कहानियाँ लिखी हैं। इन कहानियों का मुख्य पात्र है निक्का, जो अलबेलापुर का रहने वाला नटखट बच्चा है। निक्का की दुनिया निराली है –उसकी भोली बातें, मजेदार शरारतें, और उसके अनोखे सपने बच्चों को हँसाते भी हैं और कुछ नया सोचने की प्रेरणा भी देते हैं। कभी वह सपनों में किसी जादुई देश में पहुँच जाता है, कभी तारों से बातें करता है, तो कभी किसी मेढ़क या गिलहरी से दोस्ती कर लेता है।
निक्का सिर्फ एक पात्र नहीं, बल्कि हर बच्चे की मासूम कल्पना का प्रतीक है। वह उस बचपन का प्रतिनिधि है जो सवाल पूछता है, सपने देखता है, और हर चीज़ में कुछ अच्छा खोजता है। पुस्तक की कई कहानियों में प्रकृति की सुंदर झलकियाँ हैं—“निक्का के कमरे में महके गुलाब”, “जब गीत गाया बरगद बाबा ने”, “फूलों का आशीर्वाद”, “कितना सुंदर गुलदस्ता” जैसी कहानियाँ बच्चों को प्रकृति से जोड़ती हैं। इनमें फूल, पेड़, चिड़ियाँ और जानवर सब जीवंत पात्रों की तरह हैं, जो बच्चों से संवाद करते हैं और उन्हें प्रकृति से प्रेम करना सिखाते हैं।
इन कहानियों में निक्का की माँ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जब-जब निक्का किसी मुसीबत में फँसता है, माँ उसकी मदद के लिए आती है और बड़े ही सहज ढंग से उसकी समस्या सुलझा देती है। माँ और बेटे का यह रिश्ता कहानियों में प्रेम, लाड़ और सीख का सुंदर संगम बन जाता है।
मनु जी के अनुसार, बच्चे की पहली दोस्त उसकी माँ होती है — इसलिए कहानी में माँ का होना, बचपन की सच्चाई को और भी गहराई से दर्शाता है।



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