भारत में व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के अंतर्गत प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) और विश्व प्रसिद्ध डिज़ाइन सॉफ्टवेयर कंपनी ऑटोडेस्क ने एक औपचारिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह साझेदारी देशभर के राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (NSTI) और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITI) में डिज़ाइन, नवाचार और डिजिटल निर्माण क्षमताओं को मज़बूती प्रदान करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

इस सहयोग का मुख्य उद्देश्य प्रशिक्षकों और शिक्षकों की डिजिटल सक्षमता को सुदृढ़ करना, छात्रों में रोजगारपरक कौशलों का विकास करना और भारत के विशाल व्यावसायिक श्रमबल को वास्तुकला, इंजीनियरिंग, विनिर्माण और निर्माण जैसे प्रमुख उद्योगों की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार करना है।
समारोह में हुई औपचारिक घोषणा
नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह में इस समझौते का आदान-प्रदान किया गया। इस अवसर पर एमएसडीई की सचिव सुश्री देबाश्री मुखर्जी, डीजीटी के उप महानिदेशक श्री सुनील कुमार गुप्ता, और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। ऑटोडेस्क की ओर से अध्यक्ष एवं सीईओ श्री एंड्रयू एनाग्नोस्ट, कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं मुख्य परिचालन अधिकारी श्री स्टीव ब्लम, एशिया-प्रशांत एवं जापान के उपाध्यक्ष श्री हरेश खूबचंदानी, तथा भारत एवं सार्क क्षेत्र की उपाध्यक्ष सुश्री कमोलिका गुप्ता पेरेज ने भाग लिया।
डिज़ाइन और एआई-आधारित कौशलों की बढ़ती मांग
ऑटोडेस्क की “स्टेट ऑफ़ डिज़ाइन एंड मेक रिपोर्ट 2025” के अनुसार, भारत में surveyed संगठनों में से 52 प्रतिशत कंपनियों ने बताया कि आने वाले वर्षों में एआई-संबंधित कौशल उनकी नियुक्ति के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होंगे। इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि भविष्य का कार्यबल न केवल तकनीकी रूप से दक्ष होना चाहिए, बल्कि उसे एआई-समर्थित डिज़ाइन और निर्माण तकनीकों में भी निपुण होना आवश्यक है।
इसी पृष्ठभूमि में यह साझेदारी अगले तीन वर्षों के भीतर ऑटोडेस्क की वैश्विक डिज़ाइन और निर्माण विशेषज्ञता को डीजीटी के राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ जोड़कर व्यावसायिक शिक्षा प्रणाली में एआई और डिजिटल कौशलों को समाहित करेगी।
14,500 आईटीआई और 33 एनएसटीआई में डिज़ाइन प्रशिक्षण
इस समझौते के तहत ऑटोडेस्क अपने पेशेवर-स्तरीय सॉफ्टवेयर और डिजिटल उपकरणों का उपयोग 14,500 से अधिक आईटीआई और 33 एनएसटीआई के शिक्षकों एवं छात्रों तक विस्तारित करेगा। इससे प्रशिक्षक उन्नत डिज़ाइन और विनिर्माण तकनीक में प्रशिक्षित होकर लाखों युवाओं को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण प्रदान कर सकेंगे।
यह पहल भारत के व्यावसायिक इको-सिस्टम में डिजिटल डिज़ाइन और निर्माण क्षमताओं को मजबूत करेगी, जिससे देश का कौशल तंत्र उद्योगों की आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित हो सके।
इस अवसर पर कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की सचिव श्रीमती देबाश्री मुखर्जी ने कहा, “ऑटोडेस्क के साथ यह साझेदारी उन्नत डिज़ाइन तकनीकों को व्यावसायिक शिक्षा में एकीकृत करके एनएसटीआई और आईटीआई के प्रशिक्षकों की क्षमताओं को अत्यधिक बढ़ाएगी। हमारा लक्ष्य अकादमिक शिक्षा और वास्तविक उद्योग आवश्यकताओं के बीच की खाई को समाप्त करना है। इस सहयोग से प्रशिक्षक वैश्विक गुणवत्ता मानकों के अनुरूप प्रशिक्षण प्रदान कर सकेंगे और भारत को कुशल, तकनीक-संचालित प्रतिभाओं का केंद्र बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ेगा।”
ऑटोडेस्क सीईओ एंड्रयू एनाग्नोस्ट का वक्तव्य
ऑटोडेस्क के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री एंड्रयू एनाग्नोस्ट ने कहा, “भारत के कौशल विकास मिशन का हिस्सा बनकर हमें गर्व है। डीजीटी के साथ हमारी साझेदारी शिक्षकों और छात्रों को उन्नत डिजिटल उपकरणों और उद्योग-संबंधित शिक्षा से सशक्त बनाएगी, जिससे वे तेजी से बदलती दुनिया में आगे बढ़ सकें। जैसे-जैसे एआई डिज़ाइन और निर्माण क्षेत्र में क्रांति ला रहा है, वैसे-वैसे एआई-तैयार प्रतिभाओं की मांग बढ़ रही है। यह पहल भारत में ऐसा कार्यबल तैयार करने में मदद करेगी जो आज और भविष्य के अवसरों के लिए पूरी तरह तैयार हो।”
साझेदारी के प्रमुख बिंदु
- संयुक्त शैक्षिक कार्यक्रमों का विकास – एनएसटीआई और आईटीआई में प्रशिक्षण के लिए आधुनिक पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे।
- ऑटोडेस्क की तकनीक का उपयोग – प्रशिक्षकों को उद्योग-स्तरीय डिज़ाइन सॉफ्टवेयर और उपकरणों तक पहुंच दी जाएगी।
- प्रमाणन और प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त – ऑटोडेस्क के वैश्विक सर्टिफिकेशन कार्यक्रमों से छात्र अपने कौशल का प्रदर्शन कर सकेंगे।
- लर्निंग पार्टनर नेटवर्क – 1,600 से अधिक ऑटोडेस्क लर्निंग पार्टनर शिक्षकों के प्रशिक्षण में सहयोग देंगे।
- कौशल भारत मिशन के साथ सामंजस्य – यह साझेदारी प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को भी आगे बढ़ाएगी।
भारत के कौशल भविष्य की दिशा
भारत तेजी से डिजिटल परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ रहा है, और इस यात्रा में व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह समझौता न केवल तकनीकी शिक्षा को आधुनिक बनाएगा, बल्कि भारत के युवाओं को वैश्विक उद्योगों के लिए तैयार करेगा।
ऑटोडेस्क पहले से ही दुनिया भर के छात्रों और शिक्षकों को अपने सॉफ्टवेयर तक निःशुल्क पहुंच प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, संगठन व्यावहारिक प्रशिक्षण, शिक्षण संसाधन और प्रमाणन कार्यक्रमों में निवेश करता है, जिससे शिक्षार्थियों को रोजगार बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिल सके।