केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री और वन हेल्थ पर कार्यकारी संचालन समिति के अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित दो-दिवसीय ‘नेशनल वन हेल्थ मिशन असेंबली 2025’ का उद्घाटन वीडियो संदेश के माध्यम से किया। इस प्रतिष्ठित सभा में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल, केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार और वैज्ञानिक संचालन समिति के अध्यक्ष डॉ. अजय के. सूद, तथा स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल सहित अनेक वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

इस वर्ष के सम्मेलन की थीम “ज्ञान को व्यवहार में लाना – वन अर्थ, वन हेल्थ, वन फ्यूचर” स्वास्थ्य सुरक्षा, एकीकृत वैज्ञानिक दृष्टिकोण और भविष्य की महामारी तैयारियों पर केंद्रित है।
भारत की स्वास्थ्य सुरक्षा रणनीति का केंद्रीय आधार: वन हेल्थ
अपने उद्घाटन संबोधन में श्री नड्डा ने थीम की प्रासंगिकता पर जोर देते हुए कहा कि ‘वन अर्थ, वन हेल्थ, वन फ्यूचर’ केवल एक नारा नहीं है, बल्कि यह एकीकृत दृष्टिकोण भारत की उस रणनीति की नींव है जिसके माध्यम से देश भविष्य की महामारियों के विरुद्ध तैयारियां सुदृढ़ कर रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले दशक में भारत ने स्वास्थ्य अनुसंधान, मेडिकल इनोवेशन और फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में विश्व स्तरीय क्षमताएँ विकसित की हैं। कोवैक्सिन, कोविशील्ड, कॉर्बेवैक्स जैसे स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन तथा दुनिया के पहले इंट्रानेजल कोविड-19 वैक्सीन का निर्माण भारत की वैज्ञानिक प्रगति का प्रमाण है। भारत ने 100 से अधिक देशों को वैक्सीन की आपूर्ति कर वैश्विक स्वास्थ्य साझेदार के रूप में अपनी भूमिका सिद्ध की है।
वैक्सीन और निदान क्षेत्र में भारत का वैश्विक नेतृत्व
श्री नड्डा ने बताया कि भारत अगली पीढ़ी के वैक्सीन प्लेटफॉर्म जैसे एमआरएनए, डीएनए, वायरल वेक्टर और बायोसिमिलर तकनीकों में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। निदान क्षेत्र में ट्रूनेट, पैथोडिटेक्ट और सीआरआईएसपीआर आधारित परीक्षणों ने सटीक और तेज निदान को बढ़ावा दिया है। उन्होंने जीनोमिक निगरानी के लिए आईएनएसएसीओजी की भूमिका और कोविन प्लेटफॉर्म को भारत की डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली की बड़ी उपलब्धि बताया।

नेशनल वन हेल्थ मिशन: बहु-क्षेत्रीय एकीकृत प्रयास
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वन हेल्थ मिशन भारत की महामारी तैयारियों की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण पहल है, जो मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण, औषधि, रक्षा, आपदा प्रबंधन और अंतरिक्ष विज्ञान सहित 16 मंत्रालयों को एक मंच पर लाता है।
उन्होंने बताया कि मिशन ने निम्न क्षेत्रों में कार्य शुरू कर दिए हैं:
- एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध और रोगजनकों की निगरानी
- बूचड़खानों, पक्षी अभयारण्यों, चिड़ियाघरों और शहरी अपशिष्ट जल प्रणालियों में एकीकृत मॉनिटरिंग
- संयुक्त प्रकोप जांच
- चिकित्सा काउंटरमेजर्स का विकास
इसके साथ 23 बीएसएल-3 और बीएसएल-4 प्रयोगशालाओं का राष्ट्रीय नेटवर्क स्थापित किया जा रहा है, जो भविष्य में महामारी खतरों की शीघ्र पहचान का मजबूत आधार बनेगा।
एकीकृत और त्वरित प्रतिक्रिया की आवश्यकता
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने कहा कि दुनिया जूनोटिक और जलवायु-संवेदनशील बीमारियों की चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनसे निपटने के लिए बहु-क्षेत्रीय एकीकृत प्रतिक्रिया अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि भारत की विशाल जैव विविधता और जनसंख्या इसे विशिष्ट जिम्मेदारी और अवसर दोनों प्रदान करती है।
डॉ. पॉल ने राज्य सरकारों की भूमिका को मिशन की सफलता का केंद्र बताते हुए कहा कि राज्यों का सक्रिय सहयोग मिशन को जमीनी स्तर पर प्रभावी बनाएगा।
वन हेल्थ प्रतिमान की वैज्ञानिक आधारशिला
प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. अजय के. सूद ने कहा कि मानव, पशु, पादप और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को एकीकृत ढांचे में लाने के प्रयास वर्षों से जारी हैं और नेशनल वन हेल्थ मिशन इन प्रयासों का श्रेष्ठ परिणाम है। उन्होंने बताया कि पहली बार 16 प्रमुख हितधारकों को एक मंच पर लाकर भारत ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। यह मिशन उन इकोसिस्टमों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा जिन पर मानव जीवन निर्भर है।