28 नवम्बर 2025 को भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग द्वारा राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में वरिष्ठ नागरिकों के लिए वृद्धजन दिवस (IDOP) 2025 के अंतर्गत एक विशिष्ट सांस्कृतिक कार्यक्रम “आराधना” का आयोजन किया गया। यह समारोह जनपथ स्थित डीआईएसी के भीम हॉल में आयोजित हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य वृद्धावस्था के प्रति सामाजिक जागरूकता बढ़ाना तथा पीढ़ियों के बीच संवाद और भावनात्मक संबंधों को सशक्त करना था। इस वर्ष इस कार्यक्रम की थीम रही—“अनुभव से ऊर्जा तक”, जो यह संदेश देती है कि वरिष्ठ नागरिकों का जीवन-अनुभव समाज की सामूहिक ऊर्जा का स्रोत है।

कार्यक्रम में माननीय केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा मुख्य अतिथि थे। अध्यक्षता सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव एवं वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई। विद्यार्थी, वरिष्ठ नागरिक, कलाप्रेमी, एवं विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।
संवैधानिक दृष्टिकोण: वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार और कल्याण
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 41 राज्य को वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण हेतु उपाय करने का अधिकार प्रदान करता है। इसी उद्देश्य से 2007 में “माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम” लागू किया गया। यह कानून भारतीय संस्कृति में पीढ़ियों के पारंपरिक संबंधों—सम्मान, देखभाल और नैतिक दायित्व—को कानूनी रूप देकर उन्हें मजबूती प्रदान करता है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित नीतिगत मामलों के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य कर रहा है और इसके अंतर्गत अनेक योजनाएँ एवं कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लगभग 10 करोड़ वरिष्ठ नागरिक हैं। अनुमान है कि वर्ष 2036 तक यह संख्या बढ़कर लगभग 22 करोड़ हो जाएगी। यह बदलाव भारत के सामाजिक और नीतिगत ढांचे के लिए एक चुनौती भी है और अवसर भी—एक ऐसे समाज के निर्माण की दिशा में, जहाँ वृद्धजन सुरक्षित, सम्मानित एवं सक्रिय जीवन जी सकें।
संगीत और कला: भावनाओं की अनंत अभिव्यक्ति
कार्यक्रम के दौरान भारतीय वायुसेना के प्रतिष्ठित बैंड ने स्पेस फ़्लाइट, सुजलाम सुफलाम, रिजॉइस इन रइसाना, इवनिंग स्टार, वंदे मातरम और सारे जहाँ से अच्छा जैसी धुनें प्रस्तुत कीं। इन स्वरों की प्रभावशाली प्रस्तुति ने राष्ट्रप्रेम, सेवा-भाव और एकता की भावनाओं को सजीव कर दिया। हॉल में उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति ने इन सुरों में भारत के सांस्कृतिक गर्व और देशभक्ति की गूँज महसूस की।
इसके उपरांत पद्मश्री सुश्री गीता चंद्रन और उनकी कलाकार-टीम ने भरतनाट्यम की विविध रचनाएँ—लवंगी राग में त्रिधारा, नमः शिवाय, ओंकार कारिणी और संकीर्तन—प्रस्तुत कीं। इस पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति भाव, गति और लय की अद्भुत समन्वय का उदाहरण थी, जिसने पूरे परिसर को भक्तिमय और सार्थक कला-रस से भर दिया।
मंत्री का संबोधन: परंपरा, अनुभव और सामाजिक दायित्व
अपने अभिभाषण में माननीय मंत्री श्री बी.एल. वर्मा ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक हमारे समाज की सांस्कृतिक और नैतिक जड़ों के जीवंत प्रतीक हैं। जीवन के उतार-चढ़ाव, श्रम, संघर्ष और योगदान से गुजरी यह पीढ़ी आज भी हमारे लिए प्रेरणा-स्रोत है।
उन्होंने यह भी कहा कि “आराधना” सिर्फ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक संवाद है—अतीत की बुद्धि और वर्तमान की ऊर्जा के बीच।
“तीन पीढ़ियाँ–एक मंच”: कार्यक्रम का सच्चा महत्व
यह आयोजन प्रतीकात्मक और सामाजिक दोनों ही दृष्टियों से विशेष रहा, क्योंकि इस मंच पर तीन पीढ़ियाँ एकत्रित हुईं:
- वरिष्ठ नागरिक: जिनके अनुभव प्रेरणास्रोत रहे
- युवा: जिनकी ऊर्जा भविष्य की आशा का प्रतिनिधित्व करती है
- बच्चे: जो मासूम मुस्कान के साथ नए भारत की नींव हैं
मंत्रालय द्वारा इसी प्रकार के आयोजन यह सुनिश्चित करते हैं कि बुजुर्गों का सम्मान एवं सुरक्षा केवल संवैधानिक प्रावधान न होकर समाज की सामूहिक मानसिकता बन जाए।