डम- डम- डम- डम डमरू बाजे,
ठुमक- ठुमक भोले शंकर नाचे,
सिर पर चंद्रमा धारण किए,
माँ गंगा को जटा में लिए,
हाथों में त्रिशूल लिए
कमर पर मृगछाल लपेटे
बम- बम- बम- बम भोले शंकर,
सबको संग ले मद में डूबे शिवाय,
कहते जिनको भोले भण्डारी,
तभी तो अमृत छोड़ पी गए विष सारे,
कर जग का कल्याण
नीलकंठधारी कहलाए,
डम- डम- डम- डम डमरू बाजे,
ठुमक- ठुमक भोले शंकर नाचे,
चर्चा जब-जब होती आपकी
तब-तब झोली में ख़ुशियाँ भर जातीं,
हृदय पुलकित आनंदित होता,
देख छवि अति प्यारी आपकी,
भोलेनाथ तुम हो भण्डारी
कैसे रच दी रचना सारी,
मद मोह में सब भूल चुके हैं
याद किसी को नहीं करते हैं,ये सत्ताधारी
जब मुसीबत में पड़ते हैं
तब द्वार हाथ जोड़े खड़े रहते हैं,
कहते हैं, हे! कृपा निधान
दे दो हमें तुम यह वरदान
डाल दो झोली में खुशियाँ अपार
पाकर मन्नत सब भूल जाते हैं,
यह कैसी? विडंबना है दुनिया की
सब स्वार्थ साधने में लगे हुए हैं
बस मेरी यह प्रार्थना है! हे कृपा निधान
सबको दो मानवता का सुंदर वरदान,
डम- डम- डम- डम डमरू बाजे
ठुमक-ठुमक भोले शंकर नाचे।

हिंदी अध्यापिका समरफील्ड्स विद्यालय