अनुसंधान सहयोग पर दो दिवसीय भारत-अमेरिका एमईआईटीवाई-राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन कार्यशाला

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सचिव श्री एस कृष्णन ने 02 नवंबर, 2023 को एमईआईटीवाई-एनएसएफ अनुसंधान सहयोग के अंतर्गत आरएंडडी प्रस्तावों के लिए एमईआईटीवाई-नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ), यूएसए की संयुक्त पहल पर प्रथम कार्यशाला का उद्घाटन किया। यह कार्यशाला अमेरिकी और भारतीय शोधकर्ताओं के लिए विचार-मंथन करने और अनुसंधान में सहयोग करने का अवसर प्रदान करती है।

एमईआईटीवाई और एनएसएफ के बीच परस्‍पर सहयोग का यह प्रस्ताव दोनों देशों से संबंधित अनुसंधान विशेषज्ञताओं की क्षमता और सरलता का लाभ देते हुए रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी के साझा दृष्टिकोण को और मजबूत करने के संकल्प को प्रदर्शित करता है। इस कार्यशाला के माध्‍यम से अमेरिका और भारत के अनुसंधानकर्ताओं की प्रस्तावित टीमों को परीक्षण प्रदाताओं, स्थानीय समुदायों और उद्योग भागीदारों के साथ उचित साझेदारी विकसित करने के लिए मजबूत प्रोत्साहन मिलेगा ताकि परियोजनाओं की सफलता के लिए संसाधन और विशेषज्ञता की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जा सके।

एमईआईटीवाई और एनएसएफ ने मई 2023 में अनुसंधान सहयोग पर एक कार्यान्वयन व्यवस्था (आईए) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सहयोगी अनुसंधान अवसर विशेष रूप से पारस्परिक हित के क्षेत्रों में अनुसंधानों और नवाचारों पर केंद्रित है, जून 2023 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत सरकार और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा दिए गए संयुक्त वक्तव्य में इसका उल्‍लेख किया गया है।

पहली संयुक्त पहल में, सेमीकंडक्टर अनुसंधान, अगली पीढ़ी की संचार प्रौद्योगिकियों/नेटवर्क/सिस्टम, साइबर-सुरक्षा, स्थिरता और हरित प्रौद्योगिकियों और इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम के क्षेत्रों में प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा। इन प्रस्तावों को जमा करने की प्रक्रिया का शुभारंभ 21 अगस्त, 2023 से हुआ और प्रस्ताव जमा करने की अंतिम तिथि 05 जनवरी, 2024 है।

कार्यशाला के पहले दिन दोनों देशों के 200 से अधिक शोधकर्ताओं और स्टार्ट-अप, एनएसएफ के अधिकारियों, यूएसए के दूतावास और एमईआईटीवाई और उद्योगों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने सक्रिय रूप से इसमें भाग लिया।

सेमीकंडक्टर अनुसंधान, उद्योग/विश्वविद्यालय संपर्क, साइबर सुरक्षा और अनुसंधान सहयोग के सभी 5 चिन्‍हित क्षेत्रों में समानांतर ब्रेक-आउट सत्रों पर श्रृंखलाबद्ध सत्रों का आयोजन किया गया, जिनमें दोनों पक्षों के शोधकर्ताओं ने रचनात्‍मक भागीदारी की।

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