भारतीय संस्कृति का वैश्विक शांति दूत
स्वाधीनता के अमृत काल के पावन अजेय काल में विश्व के सर्वाधिक आबादी वाले देश की घोषणा हुई है। इस उद्घोषणा के साथ कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को भी समय रहते उजागर करके जोड़ देने की जरूरत मुझे अनुभव हो रही है। उसमें अनुपेक्षणीय प्रथम सत्य यह है कि सर्वाधिक क्षमता और अपने कार्यों में दक्षता रखते हुए सर्वाधिक आबादी वाला देश है।
दूसरा महत्वपूर्ण सत्य यह है कि हिंदी भाषा और उसके परिवार के समुच्चय से बोली जाने वाली भाषा और उपभाषा को संपर्क और संवाद निमित्त इस्तेमाल करने सर्वाधिक आबादी वाला देश है।
तीसरा भारतीय संस्कृति बनाम हिंदुस्तानी संस्कृति में समाहित विश्व मंगल की वैश्विक संस्कृति के गुण सूत्र को धारण करने वाला शाकाहारी भोज्य और जीवन शैली को जीने वाला शांति और अहिंसा के धारक और प्रचारक वाला विश्व की सर्वाधिक आबादी वाला देश है।
आधुनिक सक्षम और समृद्ध भारत से शिक्षित प्रवासियों की विदेश प्रवास और विदेशीयों को अर्पित की गई सेवाएं जितनी महत्वपूर्ण है उतनी ही विश्व में पांच पीढ़ियों से बसे 1834 से 1916 के बीच ब्रिटिश, फ्रेंच और डच कोलोनाइजर द्वारा पराधीन भारत से ले जाए गए हिन्दुस्तानी समाज की भूमिका है।
जिन्होंने विदेशी संस्कृति के भीतर रहते हुए भारतीय संस्कृति के दिए वर्ष भर संघर्ष रहते हुए प्रज्वलित रखे। खुद सुलगते रहे पर पूरे विश्व को हिंदुस्तानी संस्कृति के आलोक से सम्पूर्ण करते रहे। विश्व का भारतीय आज जिस भी देश में है और जिस भी पेशे और उम्र में है वह एक ओर विदेश में भारतीय संस्कृति का प्रचारक होकर भारत का दूत है तो दूसरी ओर विश्व के जिस देश में है खामियों को सहता हुआ उस देश की खूबियों का अपने देश भारत में प्रचारक का दूत है। इस तरह विश्व के सर्वाधिक आबादी वाले देश भारत का भारतीय, प्रवासी भारतीय और भारतवंशी दो देशों का सांकृतिक और आर्थिक दूत बनकर विश्व कल्याण का प्रतिनिधि बनकर जीवन यापन कर रहा है। जिस पर हर भारतीय को गर्व है और विश्व को भी होना चाहिए