बढ़ती उम्र में शरीर के झुकाव को रोकता है योग

बढ़ती उम्र के साथ रीड की हड्डी में डी जनरेशन की समस्या शुरू हो जाती है रीड की हड्डी कमजोर होना शुरू हो जाती है ,जिसकोको मेंटेन रखने के लिए योग बेहद आवश्यक हैदुनिया भर में रिसर्च किए जा रहे हैं कि किसी भी तरह से उम्र बढ़ने के प्रभाव को रोकने का कोई फार्मूला मिल जाए, लेकिन कोई शॉर्ट कट अभी तक नहीं मिल पाया है। हमने देखा है कि कई लोग वक्त के पहले ही अधेड़ या बूढ़े हो जाते हैं या यदि आप चाहते हैं अपनी बढती उम्र को रोकना तो वक्त के पहले ही आपको जागृत होना होगा तभी यह संभव हो पाएगा। यदि आप 40 की उम्र के पहले ही संभल गए तो यह संभव हो सकता है। शरीर की संरचना को बेहतर बनाए रखने के लिए रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक खराब मुद्रा और गतिहीन जीवनशैली के कारण पिछले एक दशक में रीढ़ की हड्डी से संबंधित समस्याएं काफी बढ़ गई हैं, यही कारण है कि कम उम्र में ही लोगों को कमर में दर्द की दिक्कत होने लगती है। साल 2003 में उत्तर भारत में 11 हजार लोगों के साथ किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि उनमें से 23 फीसदी लोगों को पीठ के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत थी। डॉक्टरों के मुताबिक जीवनशैली में गड़बड़ी के कारण 16-34 आयु वर्ग वाले लोगों में रीढ़ और कमर में दर्द की समस्याओं का निदान किया जा रहा है। 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक नियमित रूप से योग और व्यायाम करने वाले लोगों में रीढ़ की हड्डी से संबंधित समस्याओं का  कम ख़तराहै।

 आइए आगे जानते है  रीढ़ की हड्डी और पीठ की समस्याओं से बचने के लिए फायदेमंद योगासनों के बारे में जानते हैं।

मत्सयासन अभ्यास करने के फायदे

मत्सयासन

रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ और इसमें होने वाली समस्याओं के खतरे को कम करने के लिए मत्सयासन का अभ्यास फायदेमंद हो सकता है। यह रीढ़ की हड़्डी के आसपास की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह को सुचारू बनाए रखने में सहायक है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपनी पीठ के बल लेट जाएं और हाथों को शरीर के बगल की ओर रखें। अब अपने पैरों को आपस में ऐसे मोड़ें जैसे शांत मुद्रा में बैठने के लिए मोड़ते हैं। सांस लेते हुए अपने सिर और छाती को ऊपर उठाएं। अब छाती को ढीला रखते हुए अपने सिर को इस तरह नीचे करें कि आपके सिर का ऊपरी हिस्सा जमीन को छुए। आपके हाथ और पैर एक दूसरे के समानांतर होने चाहिए। 15-20 सेकंड के लिए इसी स्थिति में रहें और फिर पूर्ववत अपनी शुरुआती स्थिति में आ जाएं।

ब्रिज पोज योगासन के लाभ

पीठ के दर्द को कम करने के साथ रीढ़ की संरचना को ठीक बनाए रखने के लिए ब्रिज पोज योगासन लाभदायक माना जाता है। इस योगासन को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं। अपने पैरों को कंधे की चौड़ाई से थोड़ा अलग करते हुए घुटनों को मोड़ लें। हथेलियों को खोलते हुए हाथ को बिल्कुल सीधा जमीन पर सटा कर रखें। अब सांस लेते हुए कमर के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं, कंधे और सिर को सपाट जमीन पर ही रखें। सांस छोड़ते हुए दोबारा से पूर्ववत स्थिति में आ जाएं। 

कोबरा पोज योग है फायदेमंद

कोबरा पोज योगासन से रीढ़ की एक छोर से दूसरे तक की पूर्ण व्यायाम हो जाता है। सर्वाइकल और पीठ के दर्द को कम करने में भी कोबरा पोज के अभ्यास को फायदेमंद माना जाता है।  कोबरा मुद्रा के लिए जमीन पर लेट जाएं और अपनी हथेलियों को फर्श पर कंधे की चौड़ाई से अलग रखें। अपने निचले शरीर को जमीन पर रखते हुए श्वास लें और अपनी छाती को फर्श से उठाते हुए छत की ओर देखें। सांस छोड़ते हुए अपने शरीर को फर्श पर दोबारा लेकर आए.

धनुरासनयोग

पीठ की समस्याओं को ठीक रखने में धनुरासनयोग को विशेष लाभदायक माना जाता है। यह रीढ़ की संरचना को ठीक करने के साथ पीठ की मांसपेशियों को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। इस योग को करने के लिए सबसे पहले आपको पेट के बल लेटना है और अपने घुटनों को अपने कूल्हों की ओर मोड़ना है। अब अपने हाथों से अपने टखनों को पकड़ें। अब अपने पैरों और बाजुओं को जितना हो सके ऊपर उठाएं और अपना चेहरा ऊपर रखें। जब तक आप कर सकते हैं तब तक इस मुद्रा में बने रहने का प्रयास करें।

. प्राणायम : अनावश्यक चिंता, बहस, नशा, स्वाद की लालसा, असंयमित भोजन, गुटका, पाऊच, तम्बाकू और सिगरेट के अलावा अतिभावुकता और अतिविचार के चलते बहुत से युवाओं के चहरे की रंगत उड़ी हुई है। नियमित प्राणायम से इन सभी पर काबू पाया जा सकता है। कछुए की सांस लेने और छोड़ने की गति इंसानों से कहीं अधिक दीर्घ है। व्हेल मछली की उम्र का राज भी यही है। बड़ और पीपल के वृक्ष की आयु का राज भी यही है। वायु को योग में प्राण कहते हैं। प्राचीन ऋषि वायु के इस रहस्य को समझते थे तभी तो उन्होंने बढ़ती उम्र को रोक देने का शॉर्ट कट निर्मित किया। श्वास को लेने और छोड़ने के दरमियान घंटों का अंतराल प्राणायाम के अभ्यास से ही संभव हो पाता है।

ध्यान : यदि आपका दिल तेजी से धड़कता है और खून भी तेजी से दौड़ रहा है तो वक्त के पहले ही बूढें हो जाएंगे। प्रतिदिन मात्र 20 मिनट का ध्यान आपके उम्र को रोकने में सक्षम है। ध्यान से उच्च रक्तचाप नियंत्रित होता है। यह आपको चिंता और खबराहट से भी दूर रखता है।

 उपवास: यह बहुत जरूरी है। उपवास से शरीर के भीतर जमा गंदगी बाहर निकलती है। ऐसा करने लगेंगे तो शरीर स्थित नया-पुराना भोजन पूर्णत: पचकर बाहर निकलने लगेगा।हमारे शास्त्रों में उपावस का बहुत महत्व है।

अंततःनिष्कर्ष यह निकलता है कि नियमित योग का अभ्यास रीड की हड्डी में रीड की हड्डी के झुकाव को ठीक करता है औरबुढ़ापे में भी पूरी तरह शरीर को सीधा करने में सहायक है योग।

अलका सिंह योग विशेषज्ञ

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