o ललित गर्ग o
धरती की पर्यावरण चिंताओं पर विचार और समस्याओं के समाधान के लिए दुबई (संयुक्त अरब अमीरात) में आयोजित हो रहा संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन-कॉप-28 बहुत महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण है क्योंकि ग्लोबल वॉर्मिंग का असर हमारे जीवन पर साफ-साफ दिखने लगा है। 2021 में हुए पेरिस समझौते में दुनिया का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस पर ही रोकने की बात की गई थी, इस साल 38 से भी अधिक दिन ऐसे रहे हैं जिनमें तापमान औसत से डेढ़ डिग्री ज्यादा रहा था। इस साल तापमान में वृद्धि, महासागर की गर्मी, अंटार्कटिका की बर्फ का घटना आदि ने ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को चिन्ताजनक स्तर तक पहुंचा दिया है। जिससे समुद्र किनारे बसे अनेक नगरों एवं महानगरों के डूबने का खतरा मंडराने लगा है, बार-बार बाढ़, सूखा एवं भुस्खलन हो रहा है। इसलिए, विकसित देशों को अपना कार्बन उत्सर्जन कम करने और ग्रीन एनर्जी में निवेश करने की आवश्यकता है। पर्यावरण के बिगड़ते मिजाज एवं जलवायु परिवर्तन के घातक परिणामों ने जीवन को जटिल बना दिया है।