कहीं जानलेवा न बन जाए दिल का टूटना

अक्सर आपने देखा और सुना होगा कि कुछ लोग गहरा सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाते या तो वो बीमार पड़ जाते हैं या उनकी मृत्यु हो जाती है। इन स्थितियों के पीछे एक मुख्य वजह ‘ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम’ होता है। विशवभर में ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, शायद इसका कारण जीवन में बढ़ता अकेलापन, उदासी और तनाव है। ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आया है कि 3 प्रतिशत लोग इस सिंड्रोम के डायग्नोसिस होने के पांच वर्ष के अंदर मर जाते हैं। दो बारब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का शिकार हो चुके लोगों में यह आंकड़ा 17 प्रतिशत हो जाता है।

क्या है ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम ?

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम को स्ट्रेस कार्डियोमायोपैथी या टेकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी के नाम से भी जाना जाता है। इससे पीड़ित मरीजों के हृदय की मांसपेशियां अचानक कमजोर पड़ने लगती हैं या काम करना बंद कर देती हैं। हृदय की रक्त को पंप करने की सामान्य गतिविधि में भी अचानक कोई अड़चन आ जाती है और हृदय के किसी खास हिस्से के प्रभावित होने से उसके आकार में भी बदलाव आ जाता है, जबकि हृदय के बाकी के हिस्से पहले की तरह की सामान्य रूप से या अधिक तेजी से संकुचन करने लगते हैं, इससे हृदय का आकार सामान्य से अधिक बड़ा हो जाता है, शायद इसी वजह से इस स्थिति को एपिकल बलूनिंग सिंड्रोम भी कहा जाता है।

पहले यह माना जाता था कि ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम में हृदय समय के साथ ठीक हो जाता है लेकिन हाल में हुए कईं अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि क्षति लंबे समय तक रहती है, इस सिंड्रोम के कारण कईं लोगों के हृदय का पंपिंग मोशन स्थायी रूप से प्रभावित हो जाता है और कुछ मांसपेशियां भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।

कारण:

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम कैसे होता है, यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। ऐसा माना जाता है कि स्ट्रेस हार्मोन, एड्रिनलीन, संभवता हृदय को अस्थायी रूप से क्षतिग्रस्त कर देता है। कैसे यह हार्मोन हृदय को नुकसान पहुंचाता है, इस पर शोध किए जा रहे हैं।

यह समस्या किसी गंभीर शारीरिक या भावनात्मक घटना के बाद हो सकती है। ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के संभावित कारण:

  • किसी प्रियजन की अप्रत्याशित मृत्यु की खबर आना।
  • किसी गंभीर बीमारी का डायग्नोसिस।
  • घरेलु हिंसा।
  • नौकरी छूट जाना।
  • तलाक या अलगाव।
  • गुड शॉक (अचानक मिली बहुत बड़ी खुशी)
  • शारीरिक तनाव, जैसे अस्थमा अटैक, कोई गंभीर दुर्घटना या बड़ी सर्जरी।

कुछ दवाईयां जिनसे शरीर में स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जैसे गंभीर एलर्जिक रिएक्शंस, अस्थमा अटैक, अवसाद, थायरॉइड ग्रंथि के ठीक प्रकार से काम न करने के लिए दी जाने वाली दवाईयां या डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों में तंत्रिकाओं से संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए दी जाने वाली दवाईयों का सेवन भी ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम की आशंका बढ़ा देता है। 

लक्षण:

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के लक्षण हार्ट अटैक के समान ही होते हैं, इसके :सामान्य लक्षणों में सम्मिलित हैं

  • छाती में दर्द होना।
  • सांस फूलना।
  • दिल का तेजी से या अनियमित रूप से धड़कना।
  • थकान, सुस्ती और नींद का अहसास।
  • हृदय के बाएं हिस्से में आसामान्यता महसूस होना।

अगर किसी तनावपूर्ण स्थिति के बाद ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

रिस्क फैक्टर्स:

इसके निम्न रिस्क फैक्टर्स हैं:

  • सेक्स: यह समस्या पुरूषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है।
  • न्युरोलॉजिकल कंडीशंस का इतिहास: जिन लोगों को कोई न्युरोलॉजिकल डिसआर्डर्स होता है, जैसे कि हेड इंजुरी या सीज़र डिसआर्डर (मिर्गी) उन्हें ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का खतरा अधिक होता है।
  • साइकिएट्रिक डिसआर्डर: जो लोग मनोवैज्ञानिक समस्याओं से जूझ रहे हैं जैसे एंग्जाइटी या डिप्रेशन वो इसके शिकार अधिक होते हैं।
  • उम्र बढ़ना: उम्र बढ़ने के साथ ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का खतरा बढ़ता जाता है। शायद इसका कारण है कि उम्र के साथ मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और यह स्थिति हृदय की मांसपेशियों को ही सबसे अधिक प्रभावित करती है।  

जटिलताएं:

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के कारण कुछ अन्य स्वास्थ्य जटिलताएं भी हो सकती हैं, जिनमें सम्मिलित हैं:

  • फेफड़ों में फ्ल्यूड का जमाव (पल्मोनरी एडिमा)।
  • निम्न रक्त दाब (हाइपो टेंशन)।
  • हृदय की कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाना।
  • हार्ट फेलियर।
  • किसी अन्य तनावपूर्ण घटना के कारण ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम दोबारा हो जाना।

हार्ट अटैक और ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम:

हार्ट अटैक, हृदय की धमनियों के ब्लॉक होने से होता है। यह ब्लॉकेज़ उस स्थान पर होता है, जहां अथेरोस्क्लेरोसिस के कारण धमनियां संकरी हो जाती हैं। ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम में, हृदय की धमनियां ब्लॉक नहीं होती हैं, बल्कि हृदय की धमनियों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है।

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम में अस्थायी रूप से हृदय का आकार बढ़ जाता है और उसका लचीलापन प्रभावित होता है, वो ठीक प्रकार से रक्त को पंप नहीं कर पाता है, इसलिए इसमें तेजी से संकुचन होता है। इसके कारण थोड़े समय के लिए हार्ट मसल्स फेलियर हो जाता है।

उपचार:

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का अलग से कोई इलाज नहीं है, जब तक डायग्नोसिस से स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, मरीज को वही उपचार दिया जाता है जो हृदय रोगों का है। कुछ लोगों को अस्पताल में रूकने की जरूरत पड़ती है जब तक वो पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते।

जब एक बार यह स्पष्ट हो जाता है कि लक्षणों का कारण ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम है, तो डॉक्टर मरीज एसीई इनहिबिटर्स, बीटा ब्लॉकर्स या डाययुरेटिक्स जैसी हार्ट मेडिसीन देते हैं। ये दवाईयां हृदय पर वर्कलोड को कम करने का कार्य करती हैं, और भविष्य में दोबारा इसकी चपेट में आने से रोकने में सहायता करती हैं।

कुछ मरीजों को उपचार की जरूरत ही नहीं पड़ती, कईं मरीज एक महीने में ही पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, तो कुछ को 3-6 महीने तक दवाईयां लेनी पड़ती हैं।

ऑफ्टर केअर:

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम दोबारा न हो और हृदय को अधिक क्षति न पहुंचे इसलिए बहुत जरूरी है कि ठीक होने के पश्चात कुछ बातों का ख्याल रखा जाए।

  • भावनात्मक रूप से संतुलित रहें।
  • जो खो गया है उसके गम में डूबे रहने के बजाय जो है उसे संभालने का प्रयास करें।
  • तनाव न पालें, समस्याओं का हल ढूंढे।
  • गुस्से और उदासी की प्रवृत्ति होती है कि वो मस्तिष्क में लॉक हो जाती हैं, इसलिए खुश रहने का प्रयास करें।
  • एक्सरसाइज करें, इससे ऑक्सीटोसिन रिलीज होता है, यह फील गुड हार्मोन है, जो आपको डिप्रेशन में जाने से बचाता है।
  • परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं।
  • अपना आत्मविश्वास दोबारा पाने के लिए अच्छी किताबें पढ़ें।
  • संगीत सुने, लांग ड्राइव पर जाएं।
  • प्रकृति के साथ समय बिताएं, यह एक “नैचुरल हीलर” के रूप में काम करती है।

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