सुरेश सिंह बैस: एक व्यक्तित्व पत्रकारिता लेखन‌ और समाज सेवा में समर्पित

(कमलेश लव्हात्रे द्वारा)

सुरेश सिंह बैस "शाश्वत"
सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”

स्पष्टवादिता और बेबाक रूप से अपनी बात रखने वाले सुरेश सिंह बैस की कलम में भी वही धार दिखाई देती है। जो उनका व्यक्तित्व है उनका व्यक्तित्व भी आईने की तरह साफ दिखाई देता है। इनके अंदर जो है, वह बाहर भी है स्पष्ट वादी और खरे खरे। कभी-कभी इनका यही खरापन लोगों को चुभ भी जाता है। शायद यही इनकी खासियत भी है, इनके व्यक्तित्व का यह रूप अलहदा ही दृष्टिगोचर होता है। जहां ये सौम्य और मृदु मुस्कान लिए शालीन ​व्यक्तित्व रखते हैं, वहीं यह गलत लगने पर बिना किसी संकोच के अपनी बात खरी-खरी रख देते हैं, और यही साम्यता इनके लेखन और व्यक्तित्व की एकरूपता है। ये हमेशा विवादों से दूर भीड़ से विरत रहते हुए शांति पूर्वक अपने लेखन और पत्रकारिता में वर्षों से लगे हुए हैं। फिलहाल रायपुर एवं बिलासपुर से प्रकाशित होने वाले दैनिक अखबार “छत्तीसगढ़ वाच” में नियमित रूप से फीचर कालम लिखने के साथ-साथ समाचारों को अपनी कलम से पिरो रहे हैं। वहीं दिल्ली, लखनऊ अलीगढ़, प्रयागराज व अन्य जगहों से प्रकाशित अखबारों में भी नियमित रूप से लिखना जारी है! इनके लेखनी में बिना लाग लपेट और निरपेक्षता की स्पष्ट छाप दिखाई देती है। इनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का यह केवल एक पक्ष है, जहां ये लेखन पत्रकारिता में वर्षों से साधनारत हैं तो वहीं ,जनसेवा और समाज सेवा के रूप में भी जनता से सीधे सीधे सरोकार रखते हैं। यह गत लगभग दस वर्षों से निरंतर समाज सेवा एवं जन सेवा के कार्यों में अपना महती योगदान देते चले आ रहे हैं। 

 क्षत्रिय समाज की दिल्ली से संचालित होने वाली राष्ट्रीय संस्था अखिल वैश्विक क्षत्रिय महासभा ट्रस्ट में विभिन्न पदों पर रहते हुए इन्होंने अनेक उत्कृष्ट सामाजिक कार्यों से अपनी अलग पहचान बनाई है और यही वजह है कि ये आज संगठन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के महत्वपूर्ण पद पर पहुंचकर कार्य कर रहे हैं। विधि के क्षेत्र में भी इन्होंने किरण परियोजना के माध्यम से जेल में निरुद्ध कैदियों के कल्याण हेतु (अधिवक्ता व काउंसल) उल्लेखनीय कार्य करते हुए अपनी एक पहचान बनाई है।  समाज सेवा का कार्य सामाजिक संस्था “हितार्थ एक सेवा” में फाउंडर मेंबर के रूप में पूरी तरह से सक्रिय हैं! इन्हीं संस्थाओं के माध्यम से जन सेवा के अनेक कार्यों को करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। कोरोना काल के विषम परिस्थिति में भी इन्होंने कोरोना प्रभावित लोगों के लिए अनेक महती कार्य किए। इन्होंने लोगों की शिक्षा ,स्वास्थ्य एवं दैनिक जरूरतों के लिए हर समय जन सहयोगात्मक कार्यों को पूरा किया। इन्होंने अपने समाज की तीन कन्याओं जिनकी ‌खराब आर्थिक स्थिति या पिता की मृत्यु पश्चात विवाह में बाधा आ रही थी, उनकी जानकारी मिलने पर इन्होंने  सामाजिक सहयोग से विवाह संपन्न कराये जाने की महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। ये आज भी समाज की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहने की मंशा रखते हैं और इस कार्य को साधना के रूप में करते चले आ रहे हैं ।

 तत्कालीन मध्यप्रदेश और वर्तमान में छत्तीसगढ़ प्रदेश के बिलासपुर नगर में, 8 जनवरी सन् 1968 को इनका जन्म हुआ’। परिवार में पाँच भाई एवं दो बहने थी। एक भाई का निधन 1986 में एवं एक बड़ी बहन का निधन 2017 में हो गया! भाईयों में ये सबसे छोटे भाई हैं। पिता स्वर्गीय श्री ठा अमर सिंह बैंस (रिटायर्ड बैंक मैनेजर) जिनका स्वर्गवास 8 अप्रैल 2021 एवं माता स्वर्गीय  श्रीमती दुर्गा देवी सिंह का स्वर्गवास 29 जुलाई 1978 को हो गया। इनकी शिक्षा हायर सेकेण्डरी बायो.मे उत्तीर्ण,  स्नातक (कला) से उत्तीर्ण, स्नातकोत्तर ‘दो विषयों में उत्तीर्ण किया, प्रथम( इतिहास) व द्वितीय (हिन्दी साहित्य) में ,एवं विधि में स्नातक (एल.एल.बी) उत्तीर्ण करने के बाद गुरु घासीदास विश्वविद्यालय से जनसंचार एवं पत्रकारिता (B.j. M. C) में डिग्री हासिल की। पत्रकारिता एवं जनसंचार पाठ्यक्रम में इन्होंने विश्वविद्यालय की प्राविण्य सूची में टॉप स्थान प्राप्त किया।पं. सुन्दर लाल‌ शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय से दुरस्थ शिक्षा में डी. एड. का डिप्लोमा हासिल किया। 

  सामाजिक सरोकार- समाज सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय योगदान, शहर व अंचल में विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से समाज में शांति व्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य, साहित्य, शिक्षा, जनसेवा व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सक्रिय सहयोग दिया ! केंद्रीय जेल बिलासपुर एवं जांजगीर जिला जेल में कैदियों को सन् 1997 से 2001 तक निःशुल्क विधिक सहायता दी गई । 

 लेखन व पत्रकारिता की गतिविधियां सन् 1986 से प्रारंभ हुई। प्रथमतया इन्होने स्थानीय  दैनिक बिलासपुर टाइम्स,’ दैनिक श्रमस्वर, दैनिक स्वदेश, “दैनिक सांध्य समीक्षक, दैनिक भास्कर सहित नागपुर से प्रकाशित अंग्रेजी दैनिक “हितवाद”में उप संपादक व, संवाददाता के रूप में कार्य किया एवं मासिक पत्रिका “छत्तीसगढ़ की माटी” में भी काफी दिनों तक लेखन कार्य किया ! पाक्षिक “छत्तीसगढ़ मेल’ में कार्यकारी मुख्य संपादक के रूप में भी कार्य किया।  पत्रकारिता एवं लेखन में अनेक पुरस्कार प्राप्त किया स्कूल व कॉलेज के दिनों से ही कहानियां व कविताएं लिखना प्रारंभ कर चुके थे इनकी कई कविताओं सहित लेखों को पुरस्कृत भी किया गया है, तो वहीं खेलों क्रिकेट, तैराकी में भी जिला लेबल तक भाग लेकर पुरस्कृत हुए। वही लेखन व पत्रकारिता में साहित्यकार युवा परिषद अंबिकापुर, मध्यप्रदेश लेखक संघ, यंग चेम्बर, रोटरी क्लब,  जेल प्रशासन एवं गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग सहित पं० सुन्दर लाल शर्मा विश्व विद्यालय के माननीय कुलपति के द्वारा भी पुरस्कृत किए गए। इन चुनिंदा निम्न लाइनों के साथ…..

“जो नहीं हो सके पूर्ण काम,
मैं उनको करता हूं प्रणाम।
कुछ कुंठित और कुछ लक्ष्य भ्रष्ट 
जिनके अभिमंत्रित तीर हुए,
रण की समाप्ति के पहले ही,
जो वीर रिक्त तुणीर हुए ।
उनको  भी प्रणाम” ।।

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