ज्ञान-सम्प्रेषण को रुचिकर बनाने के लिए नाट्यशास्त्र की रचना की गयी।- डॉ.कान्ता भाटिया
अभिनय से व्यक्तित्व और अभिव्यक्ति का विकास होता है। -डॉ.जीतराम भट्ट
नई दिल्ली। ‘ज्ञान के सरलीकरण के लिए नाट्यशास्त्र की रचना हुई थी। भरत मुनि ने जब देखा कि वेदों का ज्ञान समझने में जन सामान्य कठिनाई महसूस कर रहा है तो उन्होंने ‘नाट्यशास्त्र’ की रचना की और उस समय देवताओं और ऋषि-मुनियों की सहायता से इसका मंचन किया। इसका महत्त्व प्राचीन काल से रहा है। हमें छात्रों को अभिनय की शिक्षा अनिवार्य रूप से देनी चाहिए। ’ ये विचार दिल्ली संस्कृत अकादमी की पूर्व उपाध्यक्ष और भारती कॉलेज की पूर्व प्राचार्या डॉ.कान्ता भाटिया ने हिन्दी भवन, आई टी ओ,नई दिल्ली में आयोजित संस्कृत नाट्य समारोह का उद्धाटन करते हुए व्यक्त किए।
अपने प्रास्ताविक सम्बोधन में प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ.जीतराम भट्ट ने कहा कि ‘‘अभिनय व्यक्तित्व के विकास में
सहायक होता है। इसके साथ ही अभिव्यक्ति के कौशल को भी दिशा देता है। इसीलिए प्रतिष्ठान द्वारा गुरुकुल के छात्रों के
लिए 2 से 12 जनवरी 2024 तक संस्कृत नाट्य-कार्यशाला का अयोजन किया गया। कार्यशाला में तैयार नाटकों का
मंचन इस संस्कृत नाटय समारोह में किया गया।’
उल्लेखनीय है कि हिन्दी भवन आई टी ओ में आयोजित भव्य गुरुकुलीय नाट्य समारोह में गुरुकुल के छात्रों ने संस्कृत
भाषा में गौरव वर्मा के निर्देशन में ‘सर्वतन्त्र-स्वतन्त्रः चन्द्रशेखर आजादः, राकेश शर्मा के निर्देशन में ‘सुदामाकृष्णयोः
सख्यम्’ प्रियंका शर्मा के निर्देशन में ‘भारवेः अर्थगौरवम्ः, कीर्ति गौड़ के निर्देशन में ‘महाराणा प्रतापः’, हिम्मत सिंह नेगी
के निर्देशन में आदिगुरुः शंकाराचार्यः’ ओर गौरव वर्मा के निर्देशन में ‘अकबरः वीरबलश्च’ नाटकों का मंचन किया गया।
जिसमें आर्यकन्या गुरुकुल की छात्राओं ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
इस अवसर पर सारस्वत अतिथि के रूप में उपस्थित जामिया मिलिया के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो.गिरीश चन्द्र पन्त
ने कहा कि ‘गुरुकुल भारतीय संस्कृति के मूल आधार हैं। इन गुरुकुलों में ही भारतीय ज्ञान-विज्ञान चिन्तन हुआ ओर इन्हीं
गुरुकुलों में ही पहली बार शून्य का आविष्कार हुआ था।’
छात्रों ने संस्कृत भाषा में संवाद बोलते हुए नाटकों को अपने अभिनय से अत्यन्त रोचक बनाया। दर्शक-दीर्घा में उपस्थित
जन-समूह ने अपने तालियों से छात्र-छात्राओं का उत्साह बढ़ाया। इस अवसर पर संस्कृत वि़द्यालयों के प्राचार्यों सहित
हिन्दू महावि़द्यालय के सहायक आचार्य डॉ.सुनील जोशी, दिल्ली शिक्षा निदेशालय के प्रवक्ता डॉ.शंकर दत्त पाण्डेय,
डॉ.शेष कुमार शर्मा आदि अनेक नाट्यप्रेमी गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।