कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की चार महत्वपूर्ण पहलों- मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल एवं मोबाइल एप्लिकेशन, स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम, कृषि सखी अभिसरण कार्यक्रम एवं उर्वरक नमूना परीक्षण के लिए सीएफक्यूसीटीआई (केंद्रीय उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण और प्रशिक्षण संस्थान) के पोर्टल का शुभारंभ आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कृषि भवन, दिल्ली में किया।
केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुसार, किसान हित में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर निरंतर इस तरह की पहल की जा रही है व इनके जरिये सफलता के सोपान पर आगे बढ़ रहे हैं। इन पहलों के माध्यम से सुदूरवर्ती क्षेत्रों में भी किसानों को लाभ हो, वे सहजता से खेती करें, इन सुविधाओं का यह उद्देश्य है। हमारे किसान ऐसी सभी सुविधाओं द्वारा सशक्त होंगे तो उनका न केवल अपने लिए, बल्कि देश व दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। सरकार उद्देश्यपूर्ण, लक्ष्यपूर्ण व सहकार से समृद्धि के मूल मंत्र के साथ सहकारिता आधारित भारत बनाने के लिए ये काम कर रही है। श्री मुंडा ने कहा कि हम हमारी मृदा के स्वास्थ्य व उपज के माध्यम से लोगों के भी स्वास्थ्य को बेहतर रखने के साथ ही अपने देश तथा दुनिया की भी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए एक नए क्षितिज का निर्माण कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि मृदा स्वास्थ्य को बेहतर रखने में कृषि सखी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में यह एक बहुत बड़ी ताकत उभरी है, जो मृदा स्वास्थ्य के बारे में किसानों को शिक्षित कर सकती हैं। महिला सशक्तिकरण के साथ हम लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाते हुए सार्थक परिणाम की ओर बढ़ रहे हैं।
श्री मुंडा ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सहयोग से स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम पर पायलट परियोजना भी शुरू की है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों के कुछ केंद्रीय और नवोदय विद्यालयों में मृदा प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं। छात्रों व शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया, जो अपने गांवों व कृषि क्षेत्र के विकास में सहभागी होंगे। केंद्र सरकार के इस अनूठे कार्यक्रम के तहत केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और एकलव्य मॉडल स्कूलों को शामिल किया गया है। ये प्रतिभागी कृषि अनुकूल माहौल बनाने में सफल होंगे और इस कार्यक्रम के माध्यम से उन्हें भी व्यवहारिक ज्ञान मिलेगा। उन्होंने कहा कि ये पहलें देश के किसानों के लिए विराट व प्रमुख हैं। उन्होंने रियल-टाइम मृदा स्वास्थ्य व उर्वरता क्षमता बढ़ाने पर भी जोर दिया, ताकि किसान इन पहलों को अपनाकर खेत में मृदा परीक्षण कर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें, साथ ही प्राकृतिकता बनी रहें। श्री मुंडा ने कहा कि देश में जैविक व प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देते हुए, जहां मृदा क्षरण बहुत बड़ी मात्रा में हुआ है, वहां सुधार की गुंजाइश पैदा की जाएं और जो क्षेत्र आज भी जैविक है, वहां मृदा को अच्छा बनाए रखने के लिए डेटा तैयार करें। दुनिया में मिट्टी को कई अलग-अलग नाम से बोला जाता है लेकिन हम तो अपनी मिट्टी को धरती मां कहते हैं, यह भाव जुड़ा हुआ है और हमारी इस मां की सेहत अच्छी होना चाहिए। केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि देश में अनेक क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता आईं है, वहीं अन्यान्य में भी हमें आत्मनिर्भर बनना है।
कार्यक्रम में, केंद्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि कृषि सखियों को “पैरा-एक्सटेंशन वर्कर” के रूप में प्रमाणित करने के लिए संयुक्त पहल के रूप में कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी को धन्यवाद दिया कि उनके केंद्र में सत्ता में आने के बाद से मृदा स्वास्थ्य को प्रमुखता से लिया गया है। श्री सिंह ने कहा कि कृषि सखी व ड्रोन दीदी जैसे कार्यक्रम के रूप में एक बड़ी ताकत देश में अच्छा काम करने में जुटी है। उन्होंने कहा कि जब मृदा व पशुओं का स्वास्थ्य सुधरता है तो मनुष्यों का स्वास्थ्य भी स्वतः सुधऱ जाता है। आज प्रारंभ की गई सुविधाओं के माध्यम से रियल टाइम डेटा भी उपलब्ध हो सकेगा, वहीं कृषि सखी से खेती को फायदा होने के साथ ही समाज में उनकी विश्वनीयता भी बढ़ेगी, साथ ही किसानों में विश्वास बढ़ेगा। श्री सिंह ने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में जैविक उत्पादों का बाजार काफी बढ़ेगा। उन्होंने जैविक खेती को बढ़ावा देने में सभी कृषि विज्ञान केंद्रों का योगदान सुनिश्चित करने का आग्रह किया। श्री सिंह ने कहा कि कृषि से जुड़े संबंधित संस्थान कार्बन का भी रियल टाइम डेटा रखें। केंद्रीय मंत्री श्री सिंह ने कहा कि इस तरह की सुविधाओं के माध्यम से देश में प्रधानमंत्री श्री मोदी के सपनों को शत-प्रतिशत जमीन पर उतारने का काम हो रहा है।
कृषि सचिव श्री मनोज अहूजा, ग्रामीण विकास सचिव श्री शैलेष कुमार सिंह, डेयर के सचिव व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक ने भी विचार रखें। इस मौके पर कृषि सखी श्रीमती नंदबाला व अर्चना माणिक ने अनुभव साझा किए, जिन्हें मंत्रीद्वय ने प्रमाण-पत्र प्रदान किए, साथ ही कृषि सखी आईएनएम ट्रेनिंग माड्यूल का विमोचन भी किया। संयुक्त सचिव योगिता राणा ने नई पहलों के बारे में प्रस्तुति दी। कार्यक्रम से कृषि सखी, स्कूली विद्यार्थी, अध्यापक वर्चुअल जुड़े थे।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल और मोबाइल एप- पोर्टल को नया रूप दिया गया है, जिसके तहत राष्ट्रीय, राज्य, जिला व ग्राम स्तर पर केंद्रीकृत डैशबोर्ड उपलब्ध कराया गया है। जीआईएस विश्लेषण वास्तविक तात्कालिक रूप से उपलब्ध हैं। किसान एसएमएस व पोर्टल पर मोबाइल नंबर दर्ज करके एसएचसी डाउनलोड कर सकते हैं। पोर्टल में मृदा रजिस्ट्री, उर्वरक प्रबंधन, इमोजी आधारित मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पोषक तत्व डैशबोर्ड, पोषक तत्वों के हीट मैप दिए गए हैं। अब तत्काल प्रगति की निगरानी की जा सकती है। मोबाइल ऐप आधारित मृदा नमूना संग्रहण व परीक्षण शुरू किया गया है। अब, जहां से नमूने एकत्र किए जाते हैं, एप से किसानों के जियो-कोर्डिनेट्स स्वचालित रूप से कैप्चर किए जा रहे हैं। क्यूआर कोड स्कैन सक्षम नमूना संग्रहण शुरू किया गया है, जो मृदा के उचित नमूना संग्रहण को सुनिश्चित करता है। ऐप, प्लॉट विवरण को भी पंजीकृत करता है व ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड दोनों में काम करता है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनने तक किसान मृदा के नमूने का ट्रैक रख सकते हैं।
स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम- पायलट परियोजना शुरू, जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों के 20 केंद्रीय व नवोदय विद्यालयों में मृदा प्रयोगशालाएं स्थापित, अध्ययन मॉड्यूल विकसित किए और छात्रों-शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया। मोबाइल एप को स्कूल कार्यक्रम के लिए अनुकूलित किया गया और पोर्टल में कार्यक्रम के लिए अलग खंड है, जहां छात्रों की गतिविधियों को रखा गया है। अब, इस कार्यक्रम को 1000 स्कूलों में बढ़ाया गया है। केंद्रीय-नवोदय विद्यालय व एकलव्य मॉडल स्कूल कार्यक्रम में शामिल। स्कूलों को पोर्टल पर जोड़ा जा रहा, ऑनलाइन बैच बनाए जा रहे हैं। नाबार्ड के जरिये कृषि मंत्रालय स्कूलों में मृदा लैब्स स्थापित करेगा। छात्र मृदा नमूने एकत्र करेंगे, स्कूलों में स्थापित प्रयोगशालाओं में परीक्षण करेंगे और मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाएंगे। इसके बाद वे किसानों के पास जाएंगे व उन्हें मृदा स्वास्थ्य की अनुशंसा के बारे में शिक्षित करेंगे। यह कार्यक्रम विद्यार्थियों द्वारा प्रयोग करने, मृदा नमूनों का विश्लेषण करने और मृदा में उपस्थित आकर्षक जैव विविधता के विषय में जानकारी जुटाने का अवसर प्रदान करेगा। व्यावहारिक गतिविधियों में संलग्न होने पर, विद्यार्थियों में समीक्षात्मक रूप से विचार करने का कौशल, समस्या निवारण करने की क्षमता और पारिस्थितिक तंत्र के अंतर्संबंधता की व्यापक समझ विकसित होगी। मृदा प्रयोगशाला कार्यक्रम केवल वैज्ञानिक अन्वेषण के विषय में नहीं है, अपितु यह पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी और सम्मान की भावना पैदा करने में जागरूक करेगा।
कृषि सखी अभिसरण कार्यक्रम- ग्रामीण परिदृश्य बदलने में कृषि सखियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। कृषि मंत्रालय व ग्रामीण विकास मंत्रालय के बीच अभिसरण पहल के रूप में कार्यक्रमों को अभिसारित करने के लिए 30 अगस्त 2023 को एमओयू किया गया था। इसके एक हिस्से के रूप में 70 हजार कृषि सखियों को “पैरा-एक्सटेंशन वर्कर” के रूप में प्रमाणित करने के लिए संयुक्त पहल के रूप में कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया। ये सखियां, महत्वपूर्ण योजनाओं जैसे-प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, नेशनल मिशन आन नेचुरल फार्मिंग, जैव संसाधन केंद्रों व कई अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन में भूमिका अदा करेगी। कृषि सखी, अर्थात स्टेट रूरल लाइवहुड मिशन द्वारा चिह्नित गांवों की महिलाओं को सहज क्षमता तथा खेती-गांवों से मजबूत जुड़ाव से ग्रामीण कृषि सेवाओं में व्याप्त अंतर को पाटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। कृषि सखी,जनभागीदारी रूप में प्राकृतिक खेती, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, परीक्षण पर जागरूकता सृजन बैठकों का आयोजन करेगी। इन पहलों का कृषि सखियों की आजीविका बढ़ाने पर सीधा प्रभाव पड़ेगा तथा कृषि कार्यक्रम व योजनाओं तक व्यापक पहुंच भी सुनिश्चित होगी। 3500 कृषि सखियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इस कार्यक्रम को एक साथ 13 राज्यों में क्रियान्वित किया जा रहा है।
उर्वरक नमूना परीक्षण के लिए सीएफक्यूसीटीआई पोर्टल- किसानों को गुणवत्तापूर्ण उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने एवं उत्पादन, आपूर्ति और वितरण पर नियंत्रण करने की दृष्टि से कृषि मंत्रालय द्वारा केंद्रीय उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण और प्रशिक्षण संस्थान (सीएफक्यूसीटीआई) प्रयोगशाला स्थापित की गई। इसका लक्ष्य आयातित उर्वरकों की गुणवत्ता को नियंत्रित करना है। सीएफक्यूसीटीआई पोर्टल को वर्ष 2014-15 में बंदरगाहों पर आयातित उर्वरकों के नमूने लेने, नमूनों की सिस्टम कोडिंग/डिकोडिंग व आयातकों को सीधे ऑनलाइन विश्लेषण रिपोर्ट भेजने के उद्देश्य से तैयार किया गया, ताकि किसानों को आपूर्ति से पहले उनके उत्पाद की गुणवत्ता जानने में होने वाले विलंब से बचाया जा सकें। इस पोर्टल को नया रूप दिया गया है। बंदरगाहों पर नमूना संग्रहण व परीक्षण हेतु वन टाइम पासवर्ड/एसएमएस एप शुरू किया गया है। सिस्टम इसे आयातक के अधिकृत व्यक्ति के मोबाइल पर भेजेगा, जिसमें व्यक्ति निर्धारित फॉर्म में निरीक्षक द्वारा भरे विवरणों को सत्यापित कर सकता है। सिस्टम द्वारा स्वचालित रूप से रेन्डम बेसिस पर प्रयोगशालाओं को नमूना आवंटित किया जाएगा और विश्लेषण रिपोर्ट सिस्टम के माध्यम से आयातक के अधिकृत व्यक्ति की ई-मेल आईडी पर या सीधे आयातक को, जैसा भी मामला हो, जारी की जाएगी। दूसरे चरण में, पोर्टल को बंदरगाहों/डीलर बिक्री स्थान आदि पर लाइव सैंपलिंग सहित स्वदेशी रूप से निर्मित उर्वरकों के नमूने के लिए अपडेट किया जा सकता है।