हर संगठन में एक कल्पना की धारणा की जरूरत होती है, जो कि आप सी मूल्यों और एक इच्छापूर्ण भविष्य के सपने को स्पष्ट करती है
कुछ शब्द जो कॉर्पोरेट प्रशिक्षक जोएल बार्कर द्वारा अनगिनत भारतीय कार्पोरेट हाउसिस के अध्ययन में एक कहावत के रूप में बताए जाते हैं, जो उन्हें निश्चित करते हैं कि उनका लक्ष्य और कल्पना दृष्टि उनकी सभी क्रियाएं जैसे भर्ती की योजनाएं, प्रबंधन अध्ययन, अभिनय निरीक्षण, ब्रांड क्रिया आदि के लिए कसौटी पर उतरने की जरूरत होती है। बिना क्रिया के कल्पना दृष्टि किस काम की और बिना कल्पना दृष्टि के क्रिया का क्या काम? केवल समय बिताना ही न। लेकिन क्रिया के साथ-साथ कल्पना करने का मतलब है एक सकारात्मक अंतर बनाना। विशेषज्ञों का कहना है कि,‘एक कल्पना की धारणा एक संगठन को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की योज के विशेषज्ञों का मानना है कि,‘हर संगठन में एक कल्पना की धारणा की जरूरत होती है, जो कि आप सी मूल्यों और एक इच्छापूर्ण भविष्य के सपने को स्पष्ट करती है। यह कथन या धारणा संगठन को उचित दिशा व लक्ष्य प्रदान करती है। साथ ही हर किसी को संगठन के तत्व ज्ञान व आदर्शों को एक साथ पंक्ति में करती हैं।
कल्पना करने की धारणा बहुत कठिन होती है क्यों कि जब आप किसी लक्ष्य को व्यक्त करते हो तो उसको प्राप्त करने की राह बहुत आसान हो जाती है। यह एक लाइट हाउस की भांति है जो हर एक कर्मचारी को एक सही दिशा में जाने के लिए पथ-प्रदर्शन की तरह रोशनी प्रदान करती है।’ कल्पना धारणा बिजनेस की क्रियाओं को पूर्ण करने के लिए एक नींव की भांति कार्य करतीे हैं। एक कंपनी के सी एफ ओ का कहना है कि,‘हमारे आंतरिक मूल्य-‘वी कंपीट’,‘वी इंनोवेट’ एंड ‘वी केयर’ कंपनी के लिए एक संस्कृति बनाते हैं। यह कर्मचारियों, उपभोक्ताओं और समुदाय को सूचित करते हैं कि हम किस लिए बने हैं.यह मूल्य हमारे संयुक्त अधिकारियों को एक दूसरे के प्रति एक बंधन में बाधती है और जब हम शंका में होते हैं तो हमें निर्देशित भी करती हैं।’
कल्पना धारणाएं ऑफिस की दीवारों पर बहुत बेहतर ढंग से बनी और सजी भी हो सकती है लेकिन इनका क्या फायदा यदि कर्मचारियों में इसका कोई मूल्य ही न हो? इन क्रियाओं को सहारा देने की बजाए यह कर्मचारी संयुक्त अधिकारों के साथ विज्ञापन की भांति व्यवहार करते हैं.। विशेषज्ञों का कहना हैं कि,‘हम विश्वास करते हैं कि कल्पना दृष्टि, लक्ष्य, गुण की धारणाएं केवल मुंह से कहने की चीजें ही नहीं है, बल्कि एक बड़ी तस्वीर के रूप में परिभाषित करने और गंभीर रूप से समझने व तुलना करने की जरूरत है। हम अपने कर्मचारियों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हमारी कल्पना दृष्टि धारणा के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में बताते रहते हैं।’ इसी प्रकार उपभोक्ता धारणा की दिशा कर्मचारियों को 10 प्रतिशत और अधिक काम करने के लिए प्रोत्साहित करने में मदद करती है। आई टी सर्विस निश्चित करती है कि सभी कर्मचारियों को कल्पना धारणा के साथ एक लक्ष्य दिया जाना चाहिए। ‘यदि संगठन गुणवत्ता के बारे में नहीं सोचेंगी और वही जो यह कहते है तो कल्पना धारणा केवल एक सजावट की वस्तु की ही भांति रह जाएंगें। यदि इसका पालन नहीं किया गया तो कल्पना धारणा का कोई स्पष्ट अर्थ ही नहीं रहेगा।’
एक कल्पना धारणा जो किसी यात्रा उसकी गुणवत्ता के नाम से जानी जाती है के लिए केवल एक शुरूआत की भांति है। कर्मचारियों को गुणवत्ता के साथ विभिन्न क्रियाओं को दृढ़ निश्चय के साथ करने के लिए नियुक्त किया जाता है। सभी क्रियाएं गंभीर रूप से अपनाई जानी चाहिए और सभी कर्मचारियों को संगठन के लिए लाभ उत्पन्न करने चाहिए। इस लिए किसी कंपनी में, कल्पना धारणा पहले लक्ष्य धारणा द्वारा अपनाई जाती है व फिर बाद में गुणवत्ता पॉलिसी के द्वारा। विशेषज्ञों का कहना हैं कि,‘नियुक्ति के समय सभी कर्मचारी कल्पना धारणा से भलीभांति परिचित होते हैं। हम उन्हें समझा भी देते हैं कि उनका कंपनी की कल्पना दृष्टि के साथ किस प्रकार का कार्य करना होगा। यह धारणा पहले से ही वर्णित होती है और सभी दस्तावेजों, ऑफिस की सभी सामग्रियों में यूनिसिस की आंतरिक व बाह्य संबंधित तथ्यों, वेबसाइट, इंटरनेट आदि में इस्तेमाल की जाती है।’ यह केवल एक लिखित धारणा की नहीं है, बल्कि यह देखने की कला भी है कि अन्य व्यक्तियों के बीच क्या चीज अभी तक लुप्त है।