मेघालय की राजधानी शिलांग में सहकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की समीक्षा बैठक के उद्घाटन सत्र को सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी ने संबोधित किया। 10-11 अप्रैल 2025 को आयोजित इस अहम बैठक का उद्देश्य देश में सहकारी क्षेत्र को सशक्त, आधुनिक और भविष्योन्मुखी बनाना रहा।

डॉ. भूटानी ने अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में “सहकार से समृद्धि” के विजन को साकार करने की दिशा में मंत्रालय की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने अंतर-राज्यीय सहयोग को मज़बूत करने और सहकारिता आधारित आर्थिक विकास को गति देने की आवश्यकता पर बल दिया।
सहकारिता की सहभागिता को मापने की नई पहल
सचिव ने सहकारी क्षेत्र की राष्ट्रीय जीडीपी में सटीक भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु सभी सहकारी समितियों के पैन कार्ड नंबर को एकत्र करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार सहकारी आर्थिक ढांचे को मज़बूत करने के लिए पूरी तरह समर्पित है।
श्वेत क्रांति 2.0 और ग्रामीण बदलाव
डॉ. भूटानी ने डेयरी क्षेत्र में चल रही पहलों को ‘श्वेत क्रांति 2.0’ करार देते हुए कहा कि यह ग्रामीण समृद्धि, महिला सशक्तिकरण और बाल पोषण में सुधार की दिशा में एक क्रांतिकारी प्रयास है। उन्होंने बताया कि असम, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में डेयरी आधारभूत ढांचे को मज़बूत करने के लिए अमूल और एनडीडीबी के साथ सहयोग किया जा रहा है।
त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना: ऐतिहासिक पहल
भारत के पहले त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना को सचिव ने एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय देश भर में सहकारी शिक्षा को एकरूपता देगा और 250 से अधिक मौजूदा संस्थाओं को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
इस अवसर पर सचिव और मेघालय के मुख्य सचिव ने “एक पेड़ माँ के नाम” पहल के तहत वृक्षारोपण अभियान में भाग लेकर सहकारिता को प्रकृति संरक्षण से जोड़ने का संदेश दिया।
बैठक में हुआ समग्र मंथन
इस समीक्षा बैठक में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि, सहकारी संघों के पदाधिकारी, वित्तीय संस्थानों और नीति निर्माताओं ने हिस्सा लिया। सत्रों के दौरान एनसीईएल, एनसीओएल, बीबीएसएसएल, एनसीसीएफ और नेफेड जैसे राष्ट्रीय संस्थानों की भूमिका पर विशेष चर्चा हुई।
IRMA का प्रस्तुतीकरण और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण
इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, आणंद (IRMA) के निदेशक ने त्रिभुवन विश्वविद्यालय के रणनीतिक उद्देश्यों और संस्थागत ढांचे की विस्तृत रूपरेखा साझा की। यह सत्र सहकारी शिक्षा और अनुसंधान में वैश्विक स्तर की संरचना विकसित करने की मंत्रालय की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
वर्ष 2025: अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष की दिशा में रणनीति
बैठक में इस विशेष वर्ष के तहत सहकारी समितियों के लिए बेंचमार्किंग, प्रभाव मूल्यांकन और व्यवसाय सुधार योजनाओं को अंतिम रूप देने पर ज़ोर दिया गया। महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तराखंड जैसे राज्यों के प्रतिनिधियों ने सहकारी नवाचारों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया।
डिजिटल परिवर्तन और बैंकिंग विस्तार पर ज़ोर
बैठकों के दौरान चर्चा के प्रमुख विषयों में माइक्रो-एटीएम के माध्यम से घर-घर बैंकिंग सुविधा, शून्य ब्याज दर पर ऋण सुविधा, M-PACS, डेयरी एवं मत्स्य समितियों का सशक्तिकरण, अनाज भंडारण योजना और ARDB का डिजिटल विस्तार शामिल रहा।
बैठक में NCDC की योजनाओं की प्रभावशीलता और उन्हें राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप पुनःसंरेखित करने पर गहन चर्चा की गई।