श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के कोंच में कॉयर शोरूम की नींव रखी

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) राज्य मंत्री, श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने कल (14 मार्च, 2024) उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के कोंच में कॉयर शोरूम खोलने के लिए आधारशिला रखी और भूमि पूजा की। श्री वर्मा ने कहा कि कॉयर बोर्ड उत्तर प्रदेश में विविध उत्पादों और इसके विभिन्न उपयोगों को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर प्रदान करने की अपेक्षा करता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन और सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम मंत्री के निर्देशों के अनुसार, कॉयर बोर्ड ने गैर-परम्परागत क्षेत्रों में कॉयर उद्योग विकसित करने का प्रस्ताव किया है।

श्री वर्मा ने जानकारी दी कि कॉयर बोर्ड के उत्तर प्रदेश में 4 शोरूम इलाहाबाद, कानपुर, लखनऊ और वाराणसी में हैं। उत्तर प्रदेश में इसके बाजार की काफी संभावनाएं हैं। कॉयर बोर्ड ने 2022 और 2023 में आयोजित काशी-तमिल संगमम और उत्तर प्रदेश में बहुत सारी प्रदर्शनियों में सक्रिय रूप से हिस्‍सा लिया है।

मंत्री महोदय ने कहा कि घरेलू बाजार विकसित करने के बोर्ड के प्रयासों के अंतर्गत, अप्रयुक्त बाजारों में नए शोरूम/बिक्री केंद्र खोलने का प्रस्ताव है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय  रोजगार के अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में बहुत योगदान देता है। श्री वर्मा ने आगे कहा कि कॉयर उद्योग अपने उत्पादों के उपयोग के मामले में नए रास्ते खोल रहा है और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए योजनाओं और सेवाओं के लोकप्रियकरण के साथ पैन इंडिया की ओर बढ़ रहा है।

देश में कॉयर उद्योग के समग्र सतत विकास के लिए केन्‍द्र सरकार द्वारा कॉयर उद्योग अधिनियम, 1953 के अंतर्गत, कॉयर बोर्ड की स्थापना की गई थी। इस अधिनियम के अंतर्गत, बोर्ड के कार्यों में वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकीय और आर्थिक अनुसंधान के कामों को हाथ में लेना, उनमें मदद करना और इन कामों को प्रोत्‍साहन देना, आधुनिकीकरण, गुणवत्ता सुधार, मानव संसाधन विकास, बाजार संवर्धन और इस उद्योग से जुड़े सभी लोगों का कल्याण करना शामिल है। कॉयर बोर्ड एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन आता है। बोर्ड का मुख्यालय केरल में कोच्चि में है और यह बोर्ड देश भर में 28 विपणन केन्‍द्र सहित 48 प्रतिष्ठान चला रहा है। पिछले 70 वर्षों से, कॉयर बोर्ड इस उद्योग का संचालन कर रहा है और ये उद्योग आज देश के ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कॉयर उद्योग ज्‍यादातर केरल में थे, जिसे बोर्ड के प्रयासों से अब देश के अन्य भागों में भी फैलाया गया है।

कॉयर उद्योग अधिनियम के अंतर्गत अनिवार्य कार्य कॉयर बोर्ड द्वारा विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों के अंतर्गत किए जाते हैं, जिनमें अनुसंधान एवं विकास कार्यकलाप, प्रशिक्षण कार्यक्रम, कॉयर इकाइयां स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना, घरेलू तथा निर्यात बाजार का विकास और कामगारों के लिए कल्याणकारी कदम आदि शामिल हैं।

  • कॉयर उद्योग देश के विभिन्न राज्यों में 7 लाख से अधिक कॉयर कामगारों, मुख्यतया महिलाओं, का भरण-पोषण करता है।
  • ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि कॉयर उद्योग से जुड़े कार्यबल में लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं हैं और यह उद्योग देश के कई तटीय जिलों के ग्रामीण महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • देश में 1956 पंजीकृत कॉयर निर्यातक हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि 11 कॉयर निर्यातक हैं, हालांकि यूपी कॉयर उद्योग के लिए गैर-पारंपरिक क्षेत्र है।
  • भारत से कॉयर और कॉयर उत्पादों का निर्यात मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान 1400 करोड़ रुपये से बढ़कर 4000 करोड़ रुपये को पार कर गया है।
  • पीएमईजीपी (प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम) के अंतर्गत देश के विभिन्न राज्यों में कॉयर इकाइयां शुरू की गई हैं।
  • कॉयर कारीगरों को पीएम विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है।
  • कॉयर उत्पाद प्रकृति में पर्यावरण के अनुकूल हैं और इन्‍होंने पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा “इको मार्क” प्रमाणन प्राप्त किया है।
  • कॉयर उत्पाद पर्यावरण की रक्षा करते हैं और ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ काम करने में मदद करते हैं।
  • पानी बचाने के लिए “कॉयर पिथ” का इस्तेमाल किया जाता है।
  • मिट्टी को बचाने के लिए “कॉयर जियोटेक्स्टाइल” का इस्तेमाल किया जाता है।
  • पेड़ों और जंगल को बचाने के लिए “कॉयर वुड” का इस्तेमाल किया जाता है।
  • बोर्ड के अनुसंधान संस्थान कताई और उत्पाद विविधीकरण के क्षेत्र में विभिन्न सीएसआईआर इकाइयों और विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर कॉयर में नए अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं शुरू कर रहे हैं।
  • कॉयर बोर्ड द्वारा फाइबर निष्कर्षण से तैयार उत्पादों तक बहुत सारी उन्‍नत मशीनरी का आविष्कार किया गया।
  • भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) ने वर्ष 2011 से सड़कों के निर्माण के लिए कॅयर जियोटेक्सटाइल के उपयोग को एक नई सामग्री के रूप में मान्यता दी है।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने पहले ही राष्ट्रीय राजमार्गों के तटबंध स्थिरीकरण के लिए कॉयर जियोटेक्सटाइल के इस्‍तेमाल पर निर्देश जारी किए हैं।
  • आरडीएसओ, रेल मंत्रालय ने अप्रैल, 2022 में रेल तटबंधों और प्राकृतिक पहाड़ी ढलानों तथा कटिंग में COIR GEOTEXTILES के उपयोग के लिए दिशानिर्देश RDSO/2020/GE:G-0022 जारी किए थे।
  • भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार, पीएमजीएसवाई-III के अंतर्गत, ग्रामीण सड़कों की 5 प्रतिशत लंबाई का निर्माण कॉयर जियो टेक्सटाइल्स का उपयोग करके किया जाएगा।
  • कॉयर बोर्ड की पहलों ने उत्पाद विकास और विविधीकरण गतिविधियों की एक श्रृंखला को जन्म दिया है जिसने उपभोक्ता की जरूरतों को पूरा करते हुए कई मूल्यवर्धित उत्पादों को लॉन्च करने में मदद की है।
  • कॉयर बोर्ड के उठाए गए कदमों से उत्पाद विकास और विविधीकरण गतिविधियों की एक श्रृंखला शुरू हुई है, जिससे उपभोक्ता की आवश्‍यकताओं को पूरा करने वाले कई मूल्यवर्धित उत्पादों को लॉन्च करने में सहायता मिली है। मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए कॉयर जियोटेक्सटाइल्स का उपयोग, कॉयर पिथ को एक मूल्यवान जैव-उर्वरक और मृदा कंडीशनर में बदलने और कॉयर गार्डन सामान जैसे कॉयर के नए उपयोगों ने भारत और विदेशों में लोकप्रियता हासिल की है। पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के प्रति बढ़ते आकर्षण ने घरेलू और विदेशी बाजार में कॉयर और कॉयर उत्पादों को मदद की है।

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