श्री अर्जुन मुंडा ने वर्चुअल माध्यम से झारखंड के खरसावां जिले के पदमपुर में ‘जनजातीय संस्कृति और विरासत के संरक्षण और संवर्धन केंद्र’ की स्थापना के लिए से 10 करोड़ रुपये की परियोजना की आधारशिला रखी

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री; कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज वर्चुअल माध्यम से झारखंड के खरसावां जिले के पदमपुर में ‘जनजातीय संस्कृति और विरासत के संरक्षण और संवर्धन केंद्र’ की आधारशिला रखी। यह संग्रहालय झारखंड राज्य में आदिवासी समुदाय की समृद्ध विरासत को चित्रांकित करने और संरक्षित करने का एक अनुठा प्रयास है, तथापि समृद्ध आदिवासी जीवन शैली और संस्कृति को दर्शाता है।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभा को संबोधित करते हुए श्री मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार पिछले 10 वर्षों से ‘परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के साथ-साथ विकास’ के सिद्धांत पर अथक रूपसे कार्यरत है। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय ज्ञान प्रणालियों, परंपराओं और सांस्कृतिक लोकाचार के संरक्षण और प्रोत्‍साहन को अत्यधिक महत्व दिया है। प्रधानमंत्री के विज़न के अनुसार भविष्‍य के सुदृढ़ आत्मनिर्भर भारत के लिए आदिवासी समुदाय को प्रोत्साहित और सशक्त बनाना हमारा कर्तव्य और साझा जिम्मेदारी है।

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने झारखंड के खरसावां जिले में इस केंद्र की स्थापना के लिए 10 करोड़ रुपये का बजट आवंटित करके इस पहल को स्‍वीकृति दे दी है। यह क्षेत्र की भौतिक और अमूर्त जनजातीय संस्कृति, इसके इतिहास और विरासत को दर्शित करेगा। इसके अलावा, यह आदिवासी समुदायों को उनके विकास में सहायता प्रदान करने के लिए ज्ञान और सूचना का केंद्र होगा। इस केंद्र को भविष्य में एक जीवंत केंद्र के रूप में विकसित करने का लक्ष्य है, जिसमें कारीगरों को अपने कौशल का प्रदर्शन करने और पर्यटन के केंद्र के रूप में कार्य करने के लिए मंच प्राप्‍त होगा।

एक अन्य कार्यक्रम में, श्री अर्जुन मुंडा ने आज नई दिल्ली में भारतीय आदिम जाति सेवक संगठन (बीएजेएसएस) में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित पुनर्निर्मित राष्ट्रीय अद्वितीय जनजातीय संग्रहालय, ई-लाइब्रेरी और अनुसूचित जन‍जाति बालिका छात्रावास का उद्घाटन किया। बीएजेएसएस की स्थापना वर्ष 1948 में श्री अमृतलाल विट्ठलदास ठक्कर द्वारा की गई थी, उन्हें ठक्कर बापा के नाम से जाना जाता था, वो एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता थे, उन्होंने आदिवासी लोगों के उत्थान के लिए कार्य किया था। श्री मुंडा ने स्वीकार किया कि नई दिल्ली के झंडेवालान में स्थित आदिवासी कलाकृतियों और पुस्तकालय के बीएजेएसएस संग्रहालय में दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह है, यह एक सांस्कृतिक विरासत है, जिसे यदि संरक्षित, सुरक्षित और इसकी देखभाल नहीं की जाती, तो यहसांस्कृतिक विरासत लुप्‍त हो सकती थी।

आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, श्री मुंडा ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान को दोहराया कि इस अमृतकाल में भारत की आदिवासी विरासत, संस्कृति, परंपराओं को जीवंत रखने के लिए व्यापक जागरूकता की अलख जगाने की आवश्‍यकता है और स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी नायकों द्वारा दिए गए बलिदानों को उचित मान्यता प्रदान की जानी चाहिए। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रीने कहा, इस संकल्प के साथ, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने बीएजेएसएस भवन में जनजातीय संग्रहालय को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया और परियोजना के लिए 3 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आबंटित की। श्री मुंडा ने खुशी व्यक्त की कि मंत्रालय की पहल से इस भवन और संग्रहालय का पुनरुद्धार हुआ है, साथ ही यहां स्थित पुस्तकालय को डिजिटल भी किया जा रहा है ताकि दुर्लभ पुस्तकों को एकत्र और संरक्षित किया जा सके। इसके अलावा, उन्‍होंने कहा कि विभिन्न प्रकार की जानकारी प्रदान करने के लिए संग्रहालय में विभिन्न स्थानों पर इंटरैक्टिव डिजिटल कियोस्क स्थापित किए गए हैं।

बीएजेएसएस को राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई)के संसाधन केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई) नई दिल्ली (जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत) और भारतीय आदिम जनजाति सेवा संगठन (बीएजेएसएस) के बीच 21 फरवरी, 2022 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

MoU signed between National Tribal Research Institute (NTRI) New Delhi and the Bharatiya Adim Janajati Seva Sangathan (BAJSS) to establish BAJSS as resource center of NTRI

Key Highlights: 

  • National Tribal Research Institute, New Delhi, under the mentorship of TRI Uttarakhand, signs MoU with the Bharatiya Adim Janajati Seva Sangathan (BAJSS), New Delhi, to preserve, protect and digitize rare books on tribals and renovation and digitization of the tribal Museum
  • Establishing a Digital Library with a repository of rare books and creating a Resource Centre at NTRI, New Delhi

The National Tribal Research Institute, New Delhi and Bhartiya Adim Janjati Seva Sangathan (BAJSS) signed an MoU for developing BAJSS as resource center of NTRI in the presence of Sh. Arjun Munda, Minister of Tribal Affairs on 21st February 2022. Sh. S.S.Toliya Director TRI Uttrakhand signed the MoU on behalf of NTRI and Sh. Nayan Chandra Hembram, President of Bharatiya Adim Janajati Seva Sangathan (BAJSS) signed on behalf of Institute. 

On the occasion, Sh, Arjun Munda said that since Independence, several eminent personalities have been associated with BAJSS and Dr Rajendra Prasad was its first chairman.He said that BAJSS was established in 1948 by Sh. Thakkar Bapa, an eminent social worker for all-Inclusive & all-round upliftment of the tribal Communities of India.The eminent leaders-Social Workers like Sh. U.N. Dhebar, and Sh. Moraraji Desai have been associated with the organization and have offered their valuable services for the upliftment of tribal community.The Institution building at Jhandewala has collection of rare books in their library and a Museum with tribal artifacts.  This heritage would have been lost if it is not preserved, repaired & maintained. By making BAJSS as the NTRI’s Resource Centre, when the country is celebrating its 75th year of Independence, the students, researchers and visitors interested in tribal culture and history would be able to optimally use the facilities available in Delhi and coming generations will also come to know about rich cultural heritage.  

Shri Anil Kumar Jha, Secretary of Ministry of Tribal Affairs said that the project has been undertaken under the guidance of Tribal Affairs Minister, who visited the premises with the officers of Ministry and had advised to develop the unique heritage as the resource centre of upcoming NTRI.  Sh. Jha lauded the efforts of TRI Uttarakhand and TRI Odisha who have chalked out a plan to preserve this unique heritage. 

Shri Nayan Chandra Hembram, President of BharatiyaAdimJanajati Seva Sangathan (BAJSS) thanked the Hon’ble Minister for visiting the site with the team of officers and undertaking the preservation of books and restoration of museum, which were otherwise neglected.   He also briefed about pan India activities of BAJSS and its role in tribal policies and issues since independence. 

Shri SN Tripathi, Director General, IIPA, said that IIT Kanpur is developing National Digital Library and when the books are digitized, these can be added to the vast resource available in national digital library.

Dr. Navaljit Kapoor, Joint Secretary, MoTA briefed about the details of activities which would be undertaken in the restoration project and the time line to complete the project.

A total amount of Rs.150 Lakhs has been sanctioned by the Ministry for preservation and digitization of Rare Books in BAJSS Library & to develop it in to an E-Library and for revamping of the tribal Museum, digitization of artefacts and making interactive kiosks so as to preserve the unique cultural heritage.  

Shri Rajendra Kumar, Director TRI; Shri S.S. Tolia, Director, TRI Uttarakhand, Dr AB Ota, Director, SCSTRTI Odisha and Ms Nupur Tiwary from NTRI, Ms Meenakshi from UNDP and other key functionaries of BAJSS were present on the occasion.

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