इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व योग दिवस मना रहा है और ये दिन एक विशेष महत्व इसीलिए रखता है क्योंकि ये 10वां योग दिवस है। उन्होंने कहा कि 2014 में देश ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए श्री नरेन्द्र मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री नरेन्द्र मोदी जी जब पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा में गए तब उन्होंने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा। श्री शाह ने कहा कि मोदी जी ने ना सिर्फ प्रस्ताव रखा बल्कि हमारे चिरपुरातन विज्ञान और हमारे ऋषि,-मुनियों की एक अनुपम भेंट का परिचय भी विश्व के नेताओं को कराया। उन्होंने कहा कि कुछ ही दिन में 170 से अधिक देशों ने योग दिवस मनाने को सहमति दी और वहीं से पूरा विश्व योग के रास्ते पर चल पड़ा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत ने पूरे विश्व और मानवता को काफी कुछ दिया है लेकिन अगर कोई सबसे बड़ा उपकार और उपहार दिया है तो वह योग को विश्व को देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि मन, शरीर और आत्मा के बीच में एकात्मता लाने का योग से बड़ा कोई और विज्ञान नहीं है और मन के अंदर की अगाध शक्तियों के महासागर में गोता लगाने का एकमात्र माध्यम योग ही है। श्री शाह ने कहा कि अपने मन के अंदर की शक्तियों को आत्मा के साथ जोड़कर विश्व कल्याण के रास्ते पर ले जाने का योग से बड़ा कोई और माध्यम नहीं हो सकता। इसके साथ ही, आज के ज़माने में प्रचलित कई रोगों का उपाय भी योग ही है। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के इस प्रयास से पूरी मानवता के लिए योग को एक बड़ा मंच मिला है। उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व योग को स्वीकार रहा है, सीख रहा है और सिखा रहा है। उन्होंने कहा कि ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में लाखों लोगों ने योग को मन से स्वीकार कर आगे बढ़ाने का काम किया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि गुजरात सरकार और सभी के सहयोग से लगभग सवा करोड़ से ज़्यादा लोगों ने आज सुबह गुजरात में योगाभ्यास किया है। उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार ने योग को बढ़ावा देने और इसे खेल के रूप में भी मान्यता देने का काम किया है। श्री शाह ने कहा कि हमारे वेदों द्वारा दिए गए वसुधैव कुटुंबकम के सूत्र को चरितार्थ करने का काम योग कर रहा है। उन्होंने कहा कि 21 जून के दिन पूरी दुनिया में अलग-अलग समय पर कहीं ना कहीं योग हो रहा है। श्री शाह ने कहा कि योग के माध्यम से हम निष्काम कर्म की कल्पना को निरंतर प्रयास से सिद्ध कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व के कल्याण के मंत्र को ज़मीन पर उतारने के लिए भी निरंतर योगाभ्यास ज़रूरी है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमारे ऋषियों का दिया गया ज्ञान ही हमें आगे बढ़ा सकता है। हमारे शारीरिक सामर्थ्य, मन की शांति और कल्पनाओं के विस्तार, चेतना शक्ति के केन्द्रीकरण औऱ पूरे देश की सामूहिक ऊर्जा की जागृति के लिए योग से बड़ा कोई साधन हो नहीं सकती। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने योग दिवस की भेंट देकर पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और ज्ञान का ध्वज फहराने का काम किया है।
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