विप्रो अर्थियन पर्यावरण मित्र कार्यक्रम से रूबरू हुए शैक्षिक संवाद मंच के शिक्षक

अतर्रा (बांदा)। शैक्षिक संवाद मंच उत्तर प्रदेश के शिक्षक-शिक्षिका अभिमुखीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत गत दिवस विप्रो अर्थियन पर्यावरण मित्र पुरस्कार 2024 के संदर्भ में विस्तृत ऑनलाइन प्रशिक्षण प्रदान किया गया। कार्यक्रम के मास्टर ट्रेनर डॉ. मनोज वार्ष्णेय सेनानी (प्रवक्ता डायट आगरा) एवं जितेन्द्र पटेल कोआर्डीनेटर सीईई रहे। मनोज वार्ष्णेय ने बताया कि भारत की अग्रणी आईटी कंपनी विप्रो अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के अंतर्गत पर्यावरण शिक्षण केंद्र लखनऊ के साथ मिलकर अर्थियन पर्यावरण मित्र पुरस्कार प्रदान करती है। इस पुरस्कार हेतु निर्धारित थीम पर प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग करने वाले विद्यालय आवेदन कर सकते हैं। प्रोजेक्ट हेतु तीन थीम निर्धारित है, जल एवं स्वच्छता, कचरा प्रबंधन व जैव विविधता एवं हरियाली।  इनके अंतर्गत ऊर्जा व संस्कृति एवं धरोहर आदि लक्ष्यों को भी शामिल किया जाता है। प्रोजेक्ट को दो खंडों में विभाजित किया गया है। खंड–ए में अनिवार्य और चयनात्मक गतिविधियां शामिल है जबकि खंड–बी में अनिवार्य गतिविधियां और निबंध शामिल है। प्रोजेक्ट के लिए 100 अंकों का खंडवार विभाजन भी किया गया है।

पर्यावरण शिक्षण केंद्र लखनऊ के कोऑर्डिनेटर जितेंद्र पटेल ने बताया कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत बेसिक शिक्षा के बच्चे बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। गत वर्ष शिक्षक सतपाल सिंह और पविता कुशवाहा के नेतृत्व में बेसिक शिक्षा परिषद आगरा के दो विद्यालयों को यह पुरस्कार मिला था। इस प्रोजेक्ट को कक्षा 6 से 8 तक के लिए डिजाइन किया गया था किंतु इसमें अब प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को भी शामिल किया जा सकता है।

 उक्त जानकारी देते हुए शैक्षिक संवाद मंच के वरिष्ठ सदस्य साहित्यकार दुर्गेश्वर राय, गोरखपुर ने बताया कि कार्यक्रम के प्रारंभ में शैक्षिक संवाद मंच  के संस्थापक प्रमोद दीक्षित मलय ने अतिथियों का परिचय कराया। मलय ने मंच के आदर्श पुरुष गिजुभाई बधेका के जीवन और मंच के उद्देश्य विद्यालय बनें आनंदघर पर चर्चा करते हुए बताया कि आगामी विश्व शिक्षक दिवस के अवसर पर मंच द्वारा गिजुभाई बधेका राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान किया जाना है जिसके लिए पंजीकरण प्रक्रिया चल रही है। इसके अतिरिक्त मंच द्वारा इस वर्ष तीन साझा संग्रहों का प्रकाशन किया जाना है। “मेरी शिक्षकीय यात्रा” और “मेरा कमरा मेरा जीवन”। कविता संग्रह ‘नदी बहने लगी है’  का विमोचन अक्टूबर माह में प्रस्तावित है। इन संग्रहों में शामिल होने के लिए रचनाकार शिक्षक अपनी रचनाएं प्रेषित कर सकते हैं। 

कार्यक्रम के चौथे सत्र में शिक्षकों के प्रश्नों का जवाब देते हुए मास्टर ट्रेनर द्वारा बताया गया एक विद्यालय से 3 से 5 बच्चे और एक गाइड प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रोजेक्ट की रिपोर्ट 100 से 300 पेजों की तैयार की जानी है। कार्यक्रम का सफल संचालन  मंच के कानपुर देहात एडमिन विनीत कुमार मिश्रा ने किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से मंच से जुड़े 80 से अधिक शिक्षक शिक्षिकाओं ने जुड़कर इस पुरस्कार के बारे में जानकारी प्राप्त किया। शैक्षिक संवाद मंच उत्तर प्रदेश द्वारा शिक्षकों के संवर्धन और बच्चों की मानसिक विकास हेतु इस तरह के प्रशिक्षण का नियमित आयोजन किया जाता है।

 इस आनलाइन प्रशिक्षण में छत्तीसगढ़ प्रभारी धर्मानंद गोजे, राजस्थान प्रभारी विजय प्रकाश जैन, जलज कुमार वर्मा (एकलव्य), पविता कुशवाहा, सत्य पाल सिंह, अमिता सचान, ज्योति जैन, अनुष्का जड़िया, ज्योति विश्वकर्मा, प्रदीप कुमार बाथम, कविता सिंह, दुर्गेश्वर राय, सौरभ कुमार गुप्ता, बलराम दत्त गुप्ता, लतारानी, विनीत कुमार मिश्र, भानु प्रताप यादव, डॉ.श्रवण कुमार गुप्त, सुनीता वर्मा, राजन लाल, दीप्ति राय, निशा मालवीय, प्रदीप कुमार, पायल मलिक, कनक, रामकिशोर प्रजापति, ऋतु श्रीवास्तव, मीरा रविकुल, अपर्णा नायक, रीता गुप्ता, सरस्वती, प्रीति श्रीवास्तव, अवनीश कुमार यादव, रश्मि शर्मा, श्वेता चौहान, बिजेंद्र सिंह, अर्जुन सिंह, विनय कुमार सोनकर, सन्तोष कुशवाहा, नीतू पँवार, विनीत शर्मा, मनीषा कटियार, लुबना वसीम, डॉ विवेक मणि त्रिपाठी, प्रिया सिंघल, मीरा देवी, अरविन्द ओहलन, इंदु यादव, मोनिका सिंह, रमा दीक्षित, रश्मि तिवारी, विभा पाण्डेय,  राजन कमल, विनोद शर्मा, संजय वस्त्राकर, मीरा कुमारी,अनामिका ठाकुर, मीनाक्षी सिंह, आलोक प्रताप सिंह, शिवेन्द्र सिंह, अमित मिश्रा, शुभा देवी, समीक्षा गायकवाड़ आदि शिक्षक-शिक्षिकाएं शामिल हुए।

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