नई दिल्ली। संस्कृत दिवस और स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य में प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, नई दिल्ली द्वारा श्रीराम ऋषि संस्कृत गुरुकुल कराला, नई दिल्ली में भव्य समारोह आयोजित किया गया। प्रारम्भ में छात्रों द्वारा क्षेत्र में तिरंगे के साथ रैली निकाली गयी। गुरुकुल के छात्रों द्वारा संस्कृत में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये। समारोह में मुख्य अतिथि संस्कृत के विद्वान् डॉ.भास्करानन्द पाण्डेय ने कहा कि ‘संस्कृत भाषा में जीवन के लिए उपयोगी सभी विषय हैं। इसके साथ संस्कृत जीवन जीने की कला भी सिखाती है।’
इस अवसर पर प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ.जीतराम भट्ट ने कहा कि ‘श्रावण पूर्णिमा को रक्षा-बन्धन के दिन संस्कृत दिवस इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि यह ऋषियों के प्रति कृतज्ञता का भी दिन है। प्राचीन काल में इस दिन को ऋषितर्पणी भी कहा जाता रहा है। इसी दिन गुरुकुलों में छात्रों की दीक्षा का भी दिन होता है। गुरुकुलों में प्रविष्ट छात्रों का व्रतबन्ध संस्कार भी होता है। यह ज्ञान प्राप्त करने हेतु शुभारम्भ का दिन है। संस्कृत मानवता की शिक्षा देती है। ‘वन्दे मातरम्’ का स्वर संस्कृत गुरुकुलों सें गुंजायमान हुआ था। विश्व की सबसे प्राचीन शिक्षा पद्धति का केन्द्र गुरुकुल है। भारत के स्वतन्त्रता-संग्राम में संस्कृत के गुरुकुलों का बहुत बड़ा योगदान रहा है।’
इस अवसर पर गुरुकुल के मार्गदर्शक श्री जानकी दास गुप्ता ने कहा कि ‘यद्यपि संस्कृत में आजीविका के सभी विषय हैं, तथापि संस्कृत की शिक्षा के लिए समर्पण की आवश्यकता होती है।’ इस अवसर पर आचार्य रामधर द्विवेदी, आचार्य अखिलधर द्विवेदी, श्री रामकरण भी उपस्थित थे। गुरुकुल के प्राचार्य श्री रोहित राज पन्त ने कहा कि ‘समाज में सन्तुलन स्थापित करने के लिए संस्कृत के गुरुकुलों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।’ समारोह का संचालन गुरुकुल के पूर्व छात्र अभिषेक ने किया। इस अवसर पर संस्कृत विद्वानों के साथ अनेक संस्कृत प्रेमी भी उपस्थित थे।