22 अगस्त बहुला चौथ
– सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”
बहुलाचतुर्थी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी को मनाई जाती है और इस दिन भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है। साथ में गाय माता की पूजा भी होती है। संकष्टी चतुर्थी होने के कारण इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक पुराणों के अनुसार भगवान कृष्ण की गौशाला में एक गाय थी जिसका नाम बहुला था। इस चतुर्थी का नाम इसी गाय के नाम पर बहुला चतुर्थी पड़ा है। बहुला चतुर्थी कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश के साथ भगवान कृष्ण की गौशाला की गाय बहुला की पूजा होती है। भगवान कृष्ण की इस गाय की कहानी बेहद रोचक है. बहुला चतुर्थी व्रत से संबंधित कथा प्रचलित है। जब भगवान विष्णु का कृष्ण रूप में अवतार हुआ तब इनकी लीला में शामिल होने के लिए देवी-देवताओं ने भी गोप-गोपियों का रूप लेकर अवतार लिया। कामधेनु नाम की गाय के मन में भी कृष्ण की सेवा का विचार आया और अपने अंश से बहुला नाम की गाय बनकर नंद बाबा की गौशाला में आ गई। भगवान श्रीकृष्ण का बहुला गाय से बड़ा स्नेह था। एक बार श्रीकृष्ण के मन में बहुला की परीक्षा लेने का विचार आया। जब बहुला वन में चर रही थी, तब भगवान सिंह रूप में प्रकट हो गए। मौत बनकर सामने खड़े सिंह को देखकर बहुला भयभीत हो गई। लेकिन हिम्मत करके सिंह से बोली, ‘हे वनराज मेरा बछड़ा भूखा है। बछड़े को दूध पिलाकर मैं आपका आहार बनने वापस आ जाऊंगी। ‘सिंह ने कहा कि सामने आए आहार को कैसे जाने दूं, तुम वापस नहीं आई तो मैं भूखा ही रह जाऊंगा। बहुला ने सत्य और धर्म की शपथ लेकर कहा कि मैं अवश्य वापस आऊंगी। बहुला की शपथ से प्रभावित होकर सिंह बने श्रीकृष्ण ने बहुला को जाने दिया। बहुला अपने बछड़े को दूध पिलाकर वापस वन में आ गई। बहुला की सत्यनिष्ठा देखकर श्रीकृष्ण अत्यंत प्रसन्न हुए और अपने वास्तविक स्वरूप में आकर कहा कि ‘हे बहुला, तुम परीक्षा में सफल हुई। अब से भाद्रपद चतुर्थी के दिन गौ-माता के रूप में तुम्हारी पूजा होगी। तुम्हारी पूजा करने वाले को धन और संतान का सुख मिलेगा। ‘धार्मिक हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार बहुला चतुर्थी सत्य और धर्म की जीत का व्रत है। संतान सुख और तरक्की के लिए यह व्रत बहुत लाभकारी माना जाता है। बहुला चतुर्थी के दिन गाय माता की पूजा करना शुभफलदायी और धन दायक होता है। बहुला चौथ के दिन ग्वाले अपनी गाय का दूध नहीं दोहते हैं। इस दिन गाय का दूध उनके बछड़ों को पीने के लिए छोड़ दिया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ बहुला नाम की धर्मपरायण गाय की पूजा की जाती है।