चंदौसी के गांव आटा निवासी डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी ने राजसमंद में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय बालसाहित्य समागम में किया प्रतिभाग
चंदौसी तहसील के गांव आटा निवासी डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी ने राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित चिल्ड्रेन’स पीस पैलेस में अणुव्रत विश्व भारती सोसाइटी की बाल पत्रिका बच्चों का देश के त्रिदिवसीय रजत जयंती समारोह और ‘बालसाहित्य समागम’ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया और ‘बाल साहित्य : भविष्य की चुनौतियां और समाधान’ विषय पर अपने विचार रखे। राजसमंद के नान्दोली में सविता इंटरनेशनल स्कूल में बच्चों से संवाद कार्यक्रम का आयोजन ‘बच्चों का देश’ तथा विद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में किया गया, जिसमें डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी ने बच्चों को बाल कविताएं सुनाकर उनका मनोरंजन किया, जीवन में आगे बढ़ने के लिए के कई मंत्र दिए। पत्रिकाएं पढ़ने और मोबाइल से दूरी बनाने पर जोर दिया।
बतौर अतिथि डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी ने उक्त विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि “बचपन के निर्माण में परिवार, वातावरण, विद्यालय और बच्चों को पढ़ने को मिलने वाले साहित्य की बड़ी भूमिका है। हमारा बालक अनुकरण करके सीखता है, बड़े जैसा करते हैं, बालक भी वैसा ही करता और सीखता है। इसलिए उन्हें ऐसा साहित्य, ऐसा माहौल देना होगा, जो उन्हें अच्छा नागरिक बनने में सहायक हों।”
ज्ञात हो, राजसमंद जिले में स्थित चिल्ड्रेन’स पीस पैलेस में अणुव्रत विश्व भारती सोसाइटी की बाल पत्रिका बच्चों का देश पिछले 25 वर्षों से निरंतर निकल रही है। इस पत्रिका में डॉ. सिरसवारी लिखते रहे हैं। इसके रजत जयंती के अवसर पर देश भर से 11 राज्यों के 100 से अधिक बालसाहित्यकारों के साथ डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी ने प्रतिभाग किया, बच्चों के बीच कहानी कविताएं सुनाईं, उनसे संवाद किया।
इस कार्यक्रम में ख्यातिप्राप्त बालसाहित्यकार डॉ. दिविक रमेश, परशुराम शुक्ल, डॉ. सुरेन्द्र विक्रम, मनोहर चमोली ‘मनु’, उदय किरौला समेत 100 से अधिक बाल रचनाकार सम्मिलित हुए।