माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (3 सितंबर, 2024 को) मुंबई में महाराष्ट्र विधान परिषद के शताब्दी वर्ष समारोह में अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि महाराष्ट्र विधान परिषद ने अपनी स्थापना के समय से ही राज्य के लोगों की आशाओं एवं आकांक्षाओं को अभिव्यक्ति करने के अवसर दिये हैं। महाराष्ट्र विधान परिषद ने सदैव एक उत्तरदायी उच्च सदन की भूमिका निभाई है। राष्ट्रपति ने परिषद के सभी वर्तमान और पूर्व सदस्यों के योगदान की सराहना की। उन्होंने दोनों सदनों के उन सदस्यों को भी बधाई दी, जिन्हें उनके असाधारण योगदान के लिए पुरस्कृत किया गया है।
माननीय राष्ट्रपति ने कहा कि महाराष्ट्र विधान परिषद ने स्वस्थ चर्चा एवं संवाद की परंपरा को स्थापित करके लोकतांत्रिक मूल्यों को सशक्त किया है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही परिषद के सदस्यों ने जन कल्याण के लिए भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने बताया कि महाराष्ट्र विधान परिषद के पूर्व अध्यक्ष वी.एस. पेज ने रोजगार गारंटी योजना की परिकल्पना की थी। कालांतर में उसी योजना के समान ही एक प्रणाली को राष्ट्रीय स्तर पर ‘मनरेगा’ के रूप में प्रस्तुत किया गया।
राष्ट्रपति ने कहा कि संसद में राज्य सभा और विधान सभाओं में विधान परिषदों को वरिष्ठों का सदन कहा जाता है, जहां पर दो सदन होते हैं। इन सदनों में न्यूनतम आयु सीमा अधिक होने के साथ-साथ वरिष्ठ सदन में अधिक अनुभवी सदस्यों का प्रतिनिधित्व अक्सर देखा जाता है। ऐसे अनुभव वाले सदस्यों ने कई शानदार उदाहरण पेश किए हैं और संसदीय प्रणाली तथा विधानमंडल की कार्य संस्कृति को समृद्ध किया है। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि महाराष्ट्र विधान परिषद इस परंपरा को और सशक्त बनाएगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि महाराष्ट्र संपूर्ण राष्ट्र के सामने सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक प्रगति के उदाहरण प्रस्तुत करता रहा है। वर्ष 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य सकल घरेलू उत्पाद के मामले में महाराष्ट्र देश में पहले स्थान पर है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए विधानमंडल के सदस्यों, राज्य सरकार और महाराष्ट्र की जनता की प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि महाराष्ट्र की विकास यात्रा तीव्र गति से आगे बढ़ती रहेगी। उन्होंने प्रदेश की जनता के उज्ज्वल भविष्य की कामना भी की।