उमेश कुमार सिंह
विश्वमोहन जी अपने राजनीतिक विचारों एवं लेखन के कारण इन्हें आपात काल में जून 1975 से मार्च 1977 तक आंतरिक सुरक्षा अधिनियम में निरूद्ध किया गया। इनकी पूर्व में प्रकाशित पुस्तकों कृषि जिसमें कृषि क्षेत्र की अवहेलना तथा कृषि उत्पाद को प्रभावित करने वाले कारणों को दर्शाया गया है तथा भारतीय समाज में जातिगत असमानता का प्रश्न जिसमें जातिगत असमानता के पीछे के आर्थिक कारणों का विश्लेषण किया गया है का अच्छा स्वागत हुआ। जनवरी 2023 में प्रकाशित पुस्तक ‘‘भारत चीन: नए रिश्ते नयी राहें’’ को भी पाठकों का पूर्ण समर्थन मिल रहा है। डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित पुस्तक अनुच्छेद 370 क्यों आया? कहां गया! इसी श्रृंऽला से जुड़ने वाली एक और पुस्तक है। इसके लेखक है विश्वमोहन।
भारतीय संविधान से अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर राज्य से संबंधित अस्थाई उपबंध अनुच्छेद 370 एवं अनुच्छेद 35। को समाप्त कर देने के बाद इस प्रश्न ने पुनः भारतीय जनमानस की जिज्ञासा को इस ओर आकर्षित किया है। प्रस्तुत पुस्तक में जम्मू-कश्मीर राज्य का ऐतिहासिक संदर्भों सहित भारत का संवैधानिक विकास तथा विभाजन कश्मीर के एकीकरण एवं कश्मीर युद्ध में संयुक्त राष्ट्र संघ, अनुच्छेद 370 का उद्भव, क्षरण एवं अंत आदि का पूरा तथ्यात्मक एवं निष्पक्ष विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। आशा है कि पूर्व की भांति प्रबुद्ध पाठकों का पूर्ण समर्थन प्राप्त होगा।
कश्मीर के प्रश्न ने स्वाधीन भारत के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय नीतियों को सर्वाधिक प्रभावित किया है। पिछले 76 वर्षों से पाकिस्तान के साथ चल रहे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष युद्धों ने एवं उसके द्वारा प्रायोजित आतंक एवं हिंसा से हमें जन धन की अपूरणीय क्षति हो रही है। आंतरिक रूप से भी कश्मीर की राजनीति असहज एवं हिंसा पूर्ण ही रही है। चार खंडों में प्रस्तुत यह पुस्तक (अनुच्छेद 370 क्यों आया? कहां गया!) कश्मीर तथा भारत के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंधों, भारत की स्वाधीनता, उसके सांप्रदायिक विभाजन, आधुनिक भारत एवं कश्मीर का एकीकरण, कश्मीर युद्ध एवं संयुक्त राष्ट्र संघ अनुच्छेद 370 की उत्पत्ति, क्षरण एवं समाप्ति को पूरी समग्रता में सामने लाती है। 142 पृष्ठों में लिखी गयी इस पुस्तक के लेखन में सबसे बड़ी बाधा यह थी कि इस विषय के सभी अभिलेख अंग्रेजी भाषा में है। प्रयास यह है कि इसे त्रुटिमुक्त रूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। यह पुस्तक विषय के मेधापूर्ण विश्लेष्ण एवं भाषा के लालित्य की दृष्टि से अनुपम है।