तेलंगाना के नारायणपेट जिले में मिड-डे मील खाने के बाद बीमार पड़े 30 छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन हैरानी तब हुई जब अगले ही दिन कई छात्रों को अस्पताल में कीड़ों वाला खाना परोसे जाने का आरोप लगा।
यह घटना नारायणपेट सरकारी अस्पताल की है, जहां 16 छात्रों ने शिकायत की कि उन्हें उपमा में कीड़े मिले। हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने दावा किया कि छात्रों को उपमा नहीं, बल्कि पोंगल (दक्षिण भारतीय चावल-दाल का व्यंजन) परोसा गया था।
क्या है मामला?
इस घटना से एक दिन पहले, मघनूर ज़िला परिषद सरकारी हाई स्कूल में मिड-डे मील खाने के बाद छात्रों ने पेट दर्द और उल्टी की शिकायत की थी। इसके बाद उन्हें मक्तल सरकारी अस्पताल ले जाया गया और फिर नारायणपेट अस्पताल रेफर किया गया।
छात्रों का बयान
एक छात्र ने कहा, “हमें उपमा दिया गया। कुछ लोग खाने लगे। फिर अस्पताल के लोगों ने कहा कि उसमें कीड़े हैं और उसे फेंक दिया।”
विपक्ष का हमला
स्थानीय विपक्षी नेताओं ने अस्पताल का दौरा किया और इस घटना पर राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने गरीब छात्रों को खराब खाना दिए जाने को लेकर सरकार पर कड़ा प्रहार किया।
मुख्यमंत्री का कड़ा रुख
मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने स्कूल में फूड पॉयजनिंग की घटना पर जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने नारायणपेट के ज़िला कलेक्टर को लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है, जिसमें दोषियों का निलंबन भी शामिल है।
रेड्डी ने छात्रों के स्वास्थ्य की जानकारी लेते हुए अधिकारियों को बेहतर इलाज मुहैया कराने को कहा। उन्होंने दोहराया कि राज्य सरकार छात्रों को पौष्टिक और सुरक्षित भोजन प्रदान करने में किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं करेगी।
क्या सरकार जागेगी?
मिड-डे मील और अस्पतालों में परोसे जा रहे भोजन की गुणवत्ता पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। यह घटना उन जिम्मेदार अधिकारियों पर बड़ा सवाल खड़ा करती है, जिनके भरोसे बच्चों की सेहत छोड़ी गई है।
आपके विचार में, क्या ऐसी घटनाओं पर सरकार सख्त कार्रवाई करेगी?