थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी नेपाल की पांच दिवसीय सफल आधिकारिक यात्रा पूरी कर आज स्वदेश लौट आए। इस यात्रा से दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा सहयोग, सांस्कृतिक संबंध और परस्पर सम्मान और सुदृढ़ हुआ। यह क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और साझेदारी बढ़ाने के भारत और नेपाल की सेना की साझा प्रतिबद्धता दर्शाता है।
यात्रा के दौरान थल सेनाध्यक्ष ने नेपाल के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व के साथ व्यापक चर्चा की। नेपाल में उन्होंने राष्ट्रपति श्री राम चंद्र पौडेल, प्रधानमंत्री श्री के.पी. शर्मा ओली और रक्षा मंत्री श्री मनबीर राय के साथ उच्च स्तरीय बैठकें कीं। नेपाली सेनाध्यक्ष जनरल अशोक राज सिगडेल और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ भी उनकी सार्थक चर्चा हुई। बातचीत में खुलेपन और परस्पर सम्मान का भाव रहा, जो द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
यात्रा के मुख्य परिणाम:
- बीर स्मारक पर श्रद्धांजलि: थल सेनाध्यक्ष ने एक भव्य समारोह में टुंडीखेल स्थित बीर स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर नेपाल के वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। बाद में नेपाली सेना मुख्यालय में उन्होंने गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया।
- नेपाली सेना के साथ रणनीतिक चर्चा: यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत-नेपाल संबंधों को सुदृढ़ करना था। जनरल द्विवेदी ने नेपाल के सेनाध्यक्ष जनरल अशोक राज सिगडेल से मुलाकात की और परस्पर हित के विभिन्न पहलुओं तथा द्विपक्षीय रक्षा सहयोग सुदृढ़ करने के उपायों पर चर्चा की। नेपाली सेना के सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) ने उन्हें सैन्य गतिविधियों से अवगत कराया। जनरल द्विवेदी की नेपाल के अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ भी उच्च स्तरीय चर्चा हुई। वार्ता में सैन्य संबंधों को बढ़ाने, संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण सहयोग तथा क्षमता उन्नयन पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे वैश्विक शांति और सुरक्षा की साझा प्रतिबद्धता को बल मिला। दोनों सेनाओं के बीच मैत्री प्रतीक के रूप में भारतीय सेना ने नेपाल की सेना को सुसज्जित अश्व तथा प्रहरी कुत्ते भेंट किए।
- मानद जनरल रैंक के सम्मान से विभूषण: थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी को नेपाल के राष्ट्रपति श्री राम चंद्र पौडेल ने काठमांडू के शीतल निवास में नेपाली सेना के जनरल की मानद उपाधि से विभूषित किया। यह विशिष्ट परंपरा भारतीय और नेपाली सेनाओं के बीच गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाती है।
- सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध: थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने दोनों देशों और सेनाओं के बीच विशिष्ट सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों को अनुभव किया। परस्पर संबंधों को सुदृढ़ करने के इनके महत्व को देखते हुए दोनों देशों की सेनाओं के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान की भी चर्चा की गई।
- सेनाध्यक्ष का शिवपुरी में आर्मी कमांड एंड स्टाफ कॉलेज में संबोधन: शिवपुरी में नेपाल आर्मी कमांड एंड स्टाफ कॉलेज में भावी सैन्य कर्मियों को संबोधित करते हुए जनरल द्विवेदी ने “युद्ध के बदलते स्वरूप” पर व्याख्यान दिया। उन्होंने दोनों देशों की सेनाओं के सामर्थ्य बढ़ाने और क्षमतावर्धन के लिए आपसी जुड़ाव मजबूत और गहरा करने पर जोर दिया।
- पूर्वसैनिकोंके साथ संवाद: सेनाध्यक्ष जनरल द्विवेदी ने पोखरा के पेंशन भुगतान कार्यालय में पूर्व सैनिकों की एक रैली को संबोधित किया। पूर्व गोरखा सैनिकों और वीर नारियों के साथ संवाद में पूर्व गोरखा सैनिकों और भारतीय सेना के बीच स्पष्ट और समृद्ध बंधन दिखा, जो सुदृढ़ संबंधों को दर्शाता है। सेनाध्यक्ष ने नागरिक समाज में पूर्व सैनिकों की भूमिका की सराहना करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान की चर्चा की। रैली के दौरान जम्मू-कश्मीर राइफल्स 18वीं बटालियन के सूबेदार मेजर और मानद कैप्टन गोपाल बहादुर थापा (सेवानिवृत्त) के साथ उनकी बातचीत भावपूर्ण रही, जो उनकी अपनी इकाई के सूबेदार मेजर थे। इस संवाद से पूर्व सैनिकों के साथ उनके व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंध परिलक्षित हुए। उनके कल्याण के प्रति भारत सरकार की अटूट प्रतिबद्धता भी उन्होंने दोहराई, जिसमें पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) के पैनलबद्ध अस्पतालों की संख्या में बढ़ोतरी के अलावा बुटाला और डुंगधी में एक-एक ईसीएचएस पॉलीक्लिनिक स्थापित करने की घोषणा शामिल है। ये पहल पूर्व सैनिकों के कल्याण के प्रति भारत सरकार और भारतीय सेना के संकल्प को दर्शाती है।
- नेपाली सेनाध्यक्ष को भारत यात्रा का निमंत्रण: सेनाध्यक्ष जनरल द्विवेदी ने नेपाली सेनाध्यक्ष को भारत की यात्रा का औपचारिक निमंत्रण दिया, जिसका उद्देश्य मौजूदा यात्रा के परिणामों को और बढ़ाना है।
व्यापक चर्चा और परस्पर सम्मान से पूर्ण इस यात्रा ने भारत और नेपाल की सेनाओं के बीच मजबूत साझेदारी और सुदृढ़ की है। इस यात्रा से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और क्षेत्रीय सुरक्षा पर अधिक ध्यान केन्द्रित होने के साथ सहयोग के एक नया युग आरंभ होने की संभावना है।