भारतीय रासायनिक परिषद (आईसीसी) को 25 नवंबर, 2024 को रासायनिक हथियार निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) के राज्यों के सम्मेलन (सीएसपी) के 29 वें सत्र के दौरान आयोजित समारोह में 2024 ओपीसीडब्ल्यू द हेग पुरस्कार प्रदान किया गया। इस अवसर पर 193 राज्यों के प्रतिनिधि और दुनिया भर से वैश्विक रासायनिक उद्योग के विशेषज्ञ उपस्थित थे। यह पहली बार है कि इस पुरस्कार द्वारा किसी रासायनिक उद्योग निकाय के प्रयासों को मान्यता दी गई है। ओपीसीडब्ल्यू के महानिदेशक, राजदूत फर्नांडो एरियस और द हेग नगरपालिका के मेयर श्री जान वैन ज़ेनन ने यह पुरस्कार प्रदान किया।
परिषद की ओर से आईसीसी के महानिदेशक श्री डी. सोथी सेल्वम ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। ओपीसीडब्ल्यू में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि तथा भारत के राष्ट्रीय प्राधिकरण रासायनिक हथियार सम्मेलन (एनएसीडब्ल्यूसी) के अध्यक्ष भी इस समारोह में उपस्थित थे।
रासायनिक हथियार सम्मेलन (सीडब्ल्यूसी) 1997 में लागू हुआ, और वर्तमान में इसमें 193 देश इसका हिस्सा हैं। हेग में अपने सचिवालय के साथ ओपीसीडब्ल्यू रासायनिक हथियार सम्मेलन के लिए कार्यान्वयन निकाय है, जिसका उद्देश्य दुनिया को रासायनिक हथियारों से मुक्त करना है। भारत इस सम्मेलन का मूल हस्ताक्षरकर्ता है। एनएसीडब्ल्यूसी भारत का राष्ट्रीय प्राधिकरण जिस पर सम्मेलन को लागू करने की जिम्मेदारी है।
2013 में, रासायनिक हथियारों को खत्म करने के व्यापक प्रयासों के लिए ओपीसीडब्ल्यू को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस उपलब्धि की विरासत को संरक्षित करने के लिए, ओपीसीडब्ल्यू ने 2014 में हेग नगरपालिका के सहयोग से ‘ओपीसीडब्ल्यू-द हेग पुरस्कार’ की स्थापना की। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों और संगठनों को मान्यता देता है जो रासायनिक हथियार सम्मेलन के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
रासायनिक उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत के प्रमुख निकाय के रूप में, आईसीसी की भारतीय रासायनिक उद्योग में 220 बिलियन डॉलर यानि 80 प्रतिशत से अधिक की भागीदारी है। यह पुरस्कार रासायनिक सुरक्षा को बढ़ावा देने, कन्वेंशन के अनुपालन और भारत में उद्योग-व्यापी सुरक्षा तौर-तरीको को बढ़ाने में आईसीसी द्वारा निभाई गई भूमिका को मान्यता देता है। रासायनिक हथियार कन्वेंशन हेल्पडेस्क जैसी पहलों के माध्यम से, आईसीसी ने उद्योग अनुपालन को बढ़ाया है और रासायनिक घोषणाओं के लिए कुशल ई-फाइलिंग की सुविधा प्रदान की है। इसके अतिरिक्त, आईसीसी की ‘नाइसर ग्लोब’ पहल का भारत में रासायनिक परिवहन सुरक्षा पर काफी प्रभाव पड़ा है, जो वास्तविक समय निगरानी और आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताओं की पेशकश करता है। आईसीसी ने अपने ‘जिम्मेदार देखभाल’ (आरसी) कार्यक्रम और आरसी के सुरक्षा कोड की शुरूआत के माध्यम से रासायनिक सुरक्षा और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अन्य गतिविधियां शुरु की हैं। औद्योगिक सुरक्षा को बढ़ाने और दुनिया के सबसे बड़े रासायनिक क्षेत्रों में से एक कन्वेंशन के राष्ट्रीय कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना जिम्मेदार औद्योगिक प्रबंधन और इस सम्बंध में सीड्ब्लयूसी के उद्देश्यों के प्रति उत्कृष्ट उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
***