नववर्ष है कल की रचनात्मक तस्वीर के रेखांकन का

नववर्ष मुड़कर एक बार अतीत को देख लेने एवं भविष्य को बुनने का स्वर्णिम अवसर। क्या खोया और क्या पाया इस गणित को विश्लेषित करने एवं आने वाले कल की रचनात्मक तस्वीर के रेखांकन का प्रेरक क्षण। क्या बनाना है और क्या मिटाना है, इस अन्वेषणा में संकल्पों की सुरक्षा पंक्तियों का निर्माण करने के लिये अभिप्रेरित करने की चौखट है- नववर्ष। ’आज’, ‘अभी’, ‘इसी क्षण’ को पूर्णता के साथ जी लेने के जागृति का शंखनाद है नववर्ष। बीते कल का अनुभव और आज का पुरुषार्थ ही भविष्य का भाग्य रच सकता है इसीलिये नववर्ष के उत्सव की प्रासंगिकता को नकारा नहीं जा सकता। इसीलिये वर्ष 2024 की निराशाओं, असफलताओं एवं नाउम्मीदों पर पश्चाताप करने की बजाय उम्मीद, आशा एवं जिजीविषा को जीवंत करें। भले ही पछतावा जीवन का एक ऐसा सत्य है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। हालांकि हमें यह सलाह दी जाती है कि अतीत में क्या हुआ, क्या खोया एवं क्यों संकल्प पूरे नहीं हुए, इस पर पछताना ठीक नहीं। बीती बातों को याद करके दुखी होने से केवल मानसिक तनाव, निराशा एवं असंतोष ही उत्पन्न होगा। फिर भी, हम पछतावे को हमारी जीवन यात्रा का अहम हिस्सा मानते हुए नववर्ष का स्वागत नये उजालों से करते हुए इसे प्रेरणा पर्व बनाये।

नए की स्वीकृति के साथ पुराने को अलविदा कहने की इस संधिबेला में किंपलिंग की विश्व प्रसिद्ध पंक्ति याद आ रही है-‘पूर्व और पश्चिम कभी नहीं मिलते।’ पर मैं देख रहा हूं कि पुराना और नया मिलकर संवाद स्थापित कर रहे हैं। जाता हुआ पुराना वर्ष नये वर्ष के कान में कह रहा है, ‘मैंने आंधियाँ अपने सीने पर झेली हैं, तू तूफान झेल लेना, पर मन के विश्वास को टूटने मत देना, संकल्प के दीपक को बुझने मत देना।’ नये भारत के इक्कीसवीं शताब्दी के इस रजत जयन्ती वर्ष में इसी विश्वास को जीवंतता देने के लिये अपनी अनुकरणीय योजनाओं के साथ देश एवं दुनिया में सक्रिय होना है और अनूठा करना है। उसके लिये विश्वास एवं संकल्प वे छोटी-सी किरणें हैं, जो सूर्य का प्रकाश भी देती है और चन्द्रमा की ठण्डक भी। और सबसे बड़ी बात, वह यह कहती है कि ‘अभी सभी कुछ समाप्त नहीं हुआ। अभी भी सब कुछ ठीक हो सकता है।’ मनुष्य मन का यह विश्वास कोई स्वप्न नहीं, जो कभी पूरा नहीं होता। इस तरह का संकल्प कोई रणनीति नहीं है, जिसे कोई वाद स्थापित कर शासन चलाना है। यह तो इंसान को इन्सान बनाने के लिए ताजी हवा की खिड़की है।

जाते हुए वर्ष को अलविदा कहते हुए नए वर्ष की दस्तक आह्वान कर रही है कि अतीत की भूलों से हम सीख लें और भविष्य के प्रति नए सपने, नए संकल्प बुनें। अतीत में जो खो दिया उसका मातम न मनाएं। हमारे भीतर अनन्त शक्ति का स्रोत बह रहा है। समय का हर टुकड़ा विकास एवं सार्थक जीवन का आईना बन सकता है। हम फिर से वह सब कुछ पा सकते हैं, जिसे अपनी दुर्बलताओं, विसंगतियों, प्रमाद या आलस्यवश पा नहीं सकते थे। मन में संकल्प एवं संकल्पना जीवंत बनी रहना जरूरी है। हर बार संकल्प पूरे हों, यह बिल्कुल जरूरी नहीं, क्योंकि जज्बा तब तक लोहा भर है, जब तक मन में दृढ़ता का बसेरा न हो। दृढ़ता आए तो यही जज्बा इस्पात बन जाता है। इसी जज्बे के साथ नये भारत के निर्माता समस्त विश्व के लोगों में एक दूसरे के प्रति विश्वास की भावना उत्पन्न करने, अच्छे नागरिकों का निर्माण करने, समस्त मानवता को मित्रता, भाई-चारे और विश्वास में बांधने के लिये तत्पर है। नैतिक एवं सौम्य गुणों को बढ़ावा देना, परोपकार, जनसेवा एवं समाज उत्थान के लिये व्यापक योजनाओं को आकार देने के लिये अग्रसर हैं, जिन्हें नये वर्ष में आसमानी ऊंचाई देने की प्रतिबद्धता है।

दुनिया में कुछ ही ऐसे भाग्यशाली लोग होते हैं, जिनके जीवन में पछतावा नहीं होता या बहुत कम होता है, क्योंकि वे जीवन को अपने तरीके से जीते हैं। युवावस्था में जीवन की गति तेज होती है। तब इतनी सारी चुनौतियां सामने होती हैं और इतने सारे विकल्प कि आगे बढ़ने की कोशिश में पछताने का वक्त नहीं मिलता। लेकिन जैसे-जैसे हम बूढ़े होते हैं और जीवन की गति धीमी होती जाती है, हम अतीत की सफलताओं-असफलताओं, हर्ष-विषाद, सुख-दुख, उन्नति-अवनति आदि चीजों पर सोचने लगते हैं। यह समय आत्मनिरीक्षण का होता है, जिसमें हम अपने जीवन की यात्रा और उसके अनुभवों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। भीष्म पितामह जैसी शख्सियत को भी मृत्यु शैय्या पर पछतावा था कि उन्होंने अधर्म का साथ दिया। जीवन भर के उनके अच्छे कर्म उस समय याद नहीं आ रहे थे, और वह अपने एक निर्णय के कारण अपने जीवन के अंतिम क्षणों में पछता रहे थे। लेकिन हमें पछतावे से जीवन को धुंधलाना नहीं हैं, बल्कि नये संकल्पों से आगे बढ़ना है।

आप अपनी जिंदगी किस तरह जीना चाहते हैं? यह तय होना जरूरी है, आखिरकार जिंदगी है आपकी! दरअसल, जीवन एक व्यवस्था है। ऐसी व्यवस्था, जो जड़ नही,ं चेतन है। स्थिर नहीं, गतिमान है। इसमें लगातार बदलाव भी होने है। जिंदगी की अपनी एक फिलासफी है, यानी जीवन-दर्शन। सनातन सत्य के कुछ सूत्र, जो बताते हैं कि जीवन की अर्थवत्ता किन बातों में है। ये सूत्र हमारी जड़ों में हैं-पुरातन ग्रंथों में, हमारी संस्कृति में, दादा-दादी के किस्सों में, लोकगीतों में। जीवन के मंत्र ऋचाओं से लेकर संगीत के नाद तक समाहित है। हम इन्हें कई बार समझ लेते हैं, ग्रहण कर पाते हैं तो कहीं-कहीं भटक जाते हैं और जब-जब ऐसा होता है, जिंदगी की खूबसूरती गुमशुदा हो जाती है।

जीवन का एक-एक क्षण जीना है- अपने लिए, दूसरों के लिए यह संकल्प सदुपयोग का संकल्प होगा, दुरुपयोग का नहीं। बस यहीं से शुरू होता है नीर-क्षीर का दृष्टिकोण। यहीं से उठता है अंधेरे से उजाले की ओर पहला कदम। सच तो यह है कि नई जिन्दगी की शुरुआत ही नया वर्ष है। समझदार लोगों के लिये नववर्ष का जश्न पछतावा नहीं, बल्कि आभार जताने का मौका देती है। उन सबके लिये आभार, जिनसे हमने सीखा एवं पाया है। आभार एवं कृतज्ञता उन रास्तों के लिये, जो हमारे लिये आशीर्वाद बन गये और उस शांत यकीन के लिये जो बताता है कि जिन्दगी की अनिश्चितताओं में भी एक दैवीय व्यवस्था काम करती है हमारी नाउम्मीदी को उम्मीद में बदलने के लिये।

नववर्ष की याद दिलाने वाली एक बात यह है कि हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हो, कहीं-न-कहीं कोई है जो हमारे लिये चीजों को आसान बनाने पर काम कर रहा है। ब्रह्माण्ड की जिस भी शक्ति को आप मानते हैं, वह आपके लिये, दोस्तों, परिवारजनों, अजनबियों और दैनंदिन के कामों के लिये एक रास्ता तैयार कर रही है, यही आपकोे मंजिल तक ले जायेगा। इसलिये थोड़ा रुके, सोचे, हौसल्लों को जीवंतता दे और फिर नयी शुरुआत करें। जान ले कि आप अकेले नहीं है और वह अदृश्य शक्ति एवं आस्था आपको मंजिल तक पहुंचाने में जुटी है।

जीवन को केवल पीछे मुड़कर समझा जा सकता है, लेकिन इसे आगे बढ़कर जीना भी पड़ता है। हम अपनी बातों और कार्यों की जिम्मेदारी लें, लेकिन कभी भी इन्हें अपने मन में इतना भारी न होने दें कि वे हमारे विकास को रोकें। यह महत्वपूर्ण है कि हम हार से सीखें और उन्हें अपने अनुभव का हिस्सा बनाएं, ताकि और अधिक समझदारी से जीवन में आगे बढ़ सकें और जीत को गले लगा सके। प्रयास यही रहे कि हमारे विकास में यह रुकावट न डाल पाए। जाते हुए वर्ष को अलविदा कहने एवं नये वर्ष का स्वागत करने की यह चौखट कल्पना, ईमानदारी और आत्ममंथन की मांग करती है, जिससे हम अपने जीवन के फैसलों को और अधिक सटीक और तर्कसंगत बना सकते हैं। नए साल की शुरुआत जीवनशैली में बदलाव करने, बुरी आदतों को छोड़ने और अपने संकल्प को बेहतर बनाने के लिए एक बेहतरीन समय है। नए साल के सबसे लोकप्रिय संकल्पों में अधिक महत्वपूर्ण है अपने आत्मविश्वास को कमजोर न होने देना।

ललित गर्ग
ललित गर्ग
आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »