सिडनी में रविवार को खेले गए पांचवें टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को छह विकेट से हराते हुए बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 10 साल बाद वापस अपने नाम कर ली। इस हार के साथ ही भारतीय टीम विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल की दौड़ से बाहर हो गई। ऑस्ट्रेलिया ने पांच मैचों की सीरीज 3-1 से अपने नाम की और अब 11 से 15 जून के बीच लॉर्ड्स में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ फाइनल खेलेगा।
162 रनों का लक्ष्य भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता था, लेकिन नए टेस्ट कप्तान जसप्रीत बुमराह की पीठ की समस्या के चलते गेंदबाजी करने में असमर्थता ने भारत के प्रयासों को कमजोर कर दिया। जब विराट कोहली टीम का नेतृत्व करते हुए मैदान पर आए, तो यह स्पष्ट था कि इतने छोटे लक्ष्य को बचाना लगभग असंभव होगा।
बुमराह बने “प्लेयर ऑफ द सीरीज”
जसप्रीत बुमराह ने पांच मैचों में 32 विकेट लेकर “प्लेयर ऑफ द सीरीज” का पुरस्कार जीता, लेकिन यह भारतीय टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के लिए कोई सांत्वना नहीं था। मैच के बाद बुमराह ने कहा, “थोड़ा निराशाजनक है, लेकिन आपको अपने शरीर का सम्मान करना होता है। शायद मैंने सीरीज के सबसे रोमांचक विकेट पर गेंदबाजी करने का मौका खो दिया।”
गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों में कमजोरी
प्रसिद्ध कृष्णा (3/65) और मोहम्मद सिराज (1/69) बुमराह के स्तर की गेंदबाजी नहीं कर सके और उनकी कमजोर लाइन-लेंथ ने ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों को 27 ओवर में लक्ष्य पूरा करने का मौका दे दिया। उस्मान ख्वाजा (41), ट्रैविस हेड (34 नाबाद) और डेब्यूटेंट बो वेबस्टर (39 नाबाद) ने आसानी से औपचारिकताएं पूरी कर दीं।
ऑस्ट्रेलिया की घातक गेंदबाजी
ऑस्ट्रेलिया के स्कॉट बोलैंड (6/45) और पैट कमिंस (3/44) ने भारतीय टीम को सिर्फ 157 रन पर समेट दिया। ऋषभ पंत (61) और यशस्वी जायसवाल (22) के अलावा बाकी बल्लेबाज मिलकर सिर्फ 74 रन जोड़ सके।
भारतीय क्रिकेट के लिए सवालों के घेरे
इस सीरीज ने भारतीय टीम की बल्लेबाजी कमजोरियों और बुमराह पर अत्यधिक निर्भरता को उजागर किया। नियमित कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली का खराब फॉर्म टीम के लिए बड़ी चिंता का विषय रहा। जायसवाल (391 रन) सीरीज के टॉप स्कोरर रहे, जबकि नितीश रेड्डी (298 रन), केएल राहुल (276 रन), और पंत (255 रन) ने थोड़ा योगदान दिया।
कोच और सीनियर खिलाड़ियों पर उठे सवाल
बीसीसीआई कोच गौतम गंभीर की भूमिका पर भी विचार कर सकती है। गंभीर के कार्यकाल में भारत ने 10 में से 6 टेस्ट मैच गंवाए हैं। टीम में तालमेल की कमी और कोच के सख्त रवैये ने ड्रेसिंग रूम में असंतोष बढ़ाया है।
भविष्य की उम्मीदें और चुनौतियां
सीरीज में एकमात्र सकारात्मक बात यशस्वी जायसवाल का शानदार प्रदर्शन और नितीश रेड्डी की प्रतिभा रही। हालांकि, भारत को अपने गेंदबाजी विभाग और सीनियर बल्लेबाजों की भूमिका पर गंभीरता से काम करना होगा।
अब भारतीय क्रिकेट के लिए यह एक कठिन बदलाव का समय है, जहां युवा खिलाड़ियों को मौका देकर भविष्य के लिए एक नई टीम तैयार करनी होगी।