बच्चे निर्मल मन सदा, बच्चे भगवत रूप।
बच्चे सुख की छाँव हैं, मधुर मुलायम धूप।।
माखन मिसरी मेल हैं, केसर पुष्प सुगंध।
सकल धरा पर शांति के, बच्चे ललित निबंध।।
हरी भरी शुभ प्रकृति हो, रहे न कोई द्वंद्व।
सुमन सुवासित बाग के, बच्चे हैं मकरंद।
बच्चे मोती सीप हैं, बच्चे निर्झर नीर।
राही सत्पथ के सदा, सच्चे साधक वीर।।
निश्छल निर्दोष मुख सजे, भोली सी मुस्कान।
बच्चों के मृदु हास्य से, होता नवल बिहान।।
प्रमोद दीक्षित मलय
शिक्षक, बाँदा (उ.प्र.)