सुरेश सिंह बैस शाश्वत
बिलासपुर। न्यायधानी में आवारा और पालतू कुत्ते लोगों की जान के दुश्मन बन रहे हैं। आवारा कुत्तों के आतंक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक शहर में साठ से ज्यादा मामले डॉग बाइट के हो चुके हैं। शहरी क्षेत्र में ऐसे आवारा कुत्तों की संख्या हजारों में है। रात में तो यह आवारा कुत्ते और भी खतरनाक साबित होते हैं। वहीं कुछ पालतू कुत्तों के मालिकों की नासमझी की वजह से भी पालतू कुत्तों को खुला छोड़ देने के कारण अक्सर लोग चोटिल हो जाते हैं। शहर में कुत्ते के काटने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। इन घटनाओं में कई लोग घायल हो चुके हैं।
कुत्ते के काटने की घटनाएं
0 देवरीखुद के वार्ड 43 के सफ़ेद खदान इलाके में एक कुत्ते ने आठ बच्चों को काटा था. इस घटना में तीन बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था!
0 तोरवा सहित अन्य इलाकों में पागल कुत्ते ने चार बच्चों समेत 12 लोगों को काटा था।
0 आवारा कुत्तों के हमले में एक लॉ छात्रा बाल-बाल बची थी!
कुत्तों से बच्चों बुजुर्गों को सबसे ज्यादा खतरा
राहगीरों के अलावा बच्चों बुजुर्गों को सबसे ज्यादा खतरा बना हुआ है। क्योंकि बच्चे अनजाने में इनके करीब चले जाते हैं,तो बुजुर्ग भी इनके चपेट में आ जाते हैं। बुजुर्ग व बच्चे शीघ्र फुर्ती से बचाव नहीं कर पाते, कुत्ते भी इनको अपना शिकार मानकर आसानी से उन पर झपट पड़ते हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें आवारा व पालतू कुत्तों ने बच्चे बुजुर्ग को गंभीर हालत तक पहुंचाया है।
बिलासपुर में डाग बाईट की बढ़ती घटना
बता दें शहर ही में आवारा कुत्तों से लोग परेशान हैं। सड़कों पर आवारा घूम रहे कुत्ते अब राहगीरों को निशाना बना रहे हैं। बात यदि आंकड़ों की करें तो अब तक सरकारी और निजी अस्पतालों में डॉग बाइट के साठ से ज्यादा मामले पहुंच चुके हैं। वहीं रोजाना लगभग बीस से तीस मामले में कुत्तों के काटने के कारण एक्सीडेंट भी हो रहे हैं। निगम कुत्तों की संख्या को रोकने के लिए नसबंदी जैसे कार्यक्रम तो चला रहा है, लेकिन ये भी नाकाफी साबित हो रही है।

कैसे होंगे आवारा कुत्ते कंट्रोल
पहले के समय में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ने पर उन्हें जहर देकर मारा जाता था, लेकिन पशु क्रूरता कानून बनने के बाद ऐसा करने पर रोक लगा दी गई है। इस मामले में पशुप्रेमियों का कहना है कि कुत्तों का आतंक खत्म करने या उनकी जनसंख्या कम करने का प्रयास किसी एक के करने से नहीं होगा, बल्कि शासन प्रशासन के साथ ही आम जनता को भी इसके लिए सामने आना चाहिए। “कुत्तों के जनसंख्या कम करने के लिए भले ही नसबंदी अभियान चलाया गया है। लेकिन आवारा कुत्तों को किसी एक जगह रखने शेल्टर बनाने की आवश्यकता है. शेल्टर होने पर यह कुत्ते सड़कों पर नहीं रहेंगे, बल्कि इन्हें आशियाना मिल जाएगा।ऐसे में कुत्तों का सड़कों से आतंक भी खत्म हो जाएगा।
सरकार को बनवाने चाहिए शेल्टर्स सेंटर
इस बारे में लोगों का कहना है कि सरकार को कुत्तों के लिए शेल्टर सेंटर बनाना चाहिए, फिर उसे सामाजिक संस्थाओं को संचालित करने के लिए देना चाहिए। ताकि कुत्तों की देखरेख भी अच्छी हो सके और उन्हें पेट भर खाना मिल सके। कई बार कुत्त भूखे होने की वजह से आक्रामक हो जाते हैं और लोगों को बेवजह आक्रामक होकर आने जाने वाले राहगीरों को काटकर घायल कर देते हैं।
डॉग बाइट के क्या है कानूनी नियम
इस पर विशेष लोक अभियोजक विनोद भारत ने कानूनी कार्रवाई को लेकर बताया कि, डॉग बाइट केस में सबसे पहले यह देखना होगा कि कुत्ता पालतू है या आवारा। अगर पालतू कुत्ता काटता है तो पुलिस थाने में भी शिकायत की जा सकती है। कुत्ते के मालिक के खिलाफ पालतू जीव को ध्यान से नहीं रखने के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि, डॉग बाइट में चोट के हिसाब से सजा हो सकती है। इसमें गंभीर चोट में सात साल तक की भी सजा हो सकती है। वहीं अगर अगर आवारा कुत्ते काटते हैं या क्षेत्र में कुत्तों का आतंक है तो नगर निगम निदान 1100 में कॉल कर सकते हैं। वही नगर निगम के हेड ऑफिस या जोन ऑफिस में भी शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा निगम के खिलाफ भी शिकायत हो सकती है। पालतू कुत्ते के द्वारा घायल करने के ऐसे ही रायपुर के केस में पालतू पिटबुल डॉग के डिलीवरी बॉय पर हमला करने पर मालिक अक्षय राव की गिरफ्तारी भी हुई थी। हालांकि कुछ समय बाद उसे जमानत मिल गई। पिटबुल केस में धारा 291 बीएनएस के तहत एफआईआर हुई थी। इस धारा के मुताबिक, जानबूझकर या लापरवाही से किसी भी पालतू जानवर के साथ ऐसे उपाय करने से चूक जाता है जो मानव जीवन के लिए खतरा हो तो कारावास से दंडित किया जाएगा।
