साइबर सुरक्षा हेतु पासवर्ड व मन दोनों मजबूत रखना होगा

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साइबर अपराध एक आपराधिक गतिविधि है जो कंप्यूटर, कंप्यूटर नेटवर्क या नेटवर्क डिवाइस को लक्ष्य करके किया जाता है, साइबर अपराध साइबर अपराधियों या हैकर्स द्वारा किया जाता है। साइबर अपराध व्यक्ति या संगठन द्वारा किया जाता है। कुछ साइबर अपराधी उन्नत तकनीकों का उपयोग करते हैं और तकनीकी रूप से कुशल होते हैं। साइबर अपराधी सिर्फ कंप्यूटर सिस्टम और नेटवर्क में सेंध नहीं लगाते हैं कभी कभी वे मानव मस्तिष्क को भी हैक कर लेते हैं । 

वैश्विक स्तर पर साइबर हमले तीव्र दर से बढ़ रहा है लगभग हर दिन 2,200 से ज़्यादा हमले हो रहे हैं यानि 39 सेकंड में एक हमला।  रिस्कबेस्ड सिक्योरिटी की एक रिपोर्ट से सन् 2019 के पहले नौ महीनों में डेटा उल्लंघनों के कारण लगभग 7.9 बिलियन रिकॉर्ड उजागर हुए थे।  साइबर खतरे के बढ़ने के साथ, साइबर सुरक्षा समाधानों पर वैश्विक खर्च बढ़ रहा है जो 2026 तक वैश्विक स्तर पर लगभग 260 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।

साइबरसिक्यूरिटी वेंचर्स की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक साइबर अपराध से दुनिया को सालाना लगभग 10.5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होने का अनुमान है। यह साइबर अपराधियों के लिए संभावित इनाम है जो उन्हें अवैध गतिविधियों में संलग्न होने के लिए आकर्षित करता है। नेटवर्क का उपयोग करने वाले सभी व्यवसाय कॉर्पोरेट जासूसी या ग्राहक हमलों के लिए लक्ष्य होते हैं।

साइबर अपराध के प्रकार:

  • ईमेल धोखाधड़ी
  • पहचान धोखाधड़ी ( व्यक्तिगत जानकारी चुराकर उसका दुरुपयोग करना)।
  • वित्तीय या कार्ड भुगतान डेटा की चोरी।
  • कॉर्पोरेट डेटा की चोरी और बिक्री।
  • साइबरएक्सटॉर्शन
  • रैनसमवेयर हमले
  • क्रिप्टोजैकिंग
  • साइबर जासूसी (जिसमें हैकर्स सरकारी/कंपनी के डेटा तक पहुंच बनाते हैं)।
  • सिस्टम में इस तरह हस्तक्षेप करना जिससे नेटवर्क को खतरा हो।
  • कॉपीराइट का उल्लंघन करना.
  • अवैध जुआ
  • अवैध वस्तुओं को ऑनलाइन बेचना।
  • बाल पोर्नोग्राफी का अनुरोध करना, निर्माण करना या पास रखना।

साइबर अपराध के कारण:

  • वित्तीय लाभ
  • शक्ति और नियंत्रण
  • विचारधारा या विश्वास में बदलाव
  • बदला

साइबर सुरक्षा युक्तियाँ:

  • अपने सॉफ्टवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम को अपडेट रखें।
  • एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें।
  • मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें जिसका आसानी से अनुमान न लगाया जा सके।
  • अज्ञात प्रेषकों से प्राप्त ईमेल अनुलग्नक न खोलें।
  • अज्ञात प्रेषकों या अपरिचित वेबसाइटों से प्राप्त ईमेल में दिए गए लिंक पर क्लिक न करें।
  • सार्वजनिक स्थानों पर असुरक्षित वाई-फाई नेटवर्क का उपयोग करने से बचें।
  • बातचीत करते या वीडियो कॉल के समय सावधानी रखें।
  • अपनी व्यक्तिगत, गोपनीय एवं वित्तीय जानकारी किसी भी अनजान व्यक्ति से साझा न करें।
  • किसी भी आपदा जैसी स्थिति की जानकारी पर अपना धैर्य बनाए रखें।

साइबर अपराध व सुरक्षा में मनोविज्ञान की उपयोगिता:

मनोविज्ञान के नियम एवं सिद्धांतों का उपयोग साइबर अपराधियों के व्यवहार व कारणों को समझने, साइबर सुरक्षा में संलग्न पेशेवरों को ट्रेनिंग एवं प्रोत्साहन, साइबर सुरक्षा के लिए लोगों में जागरूकता लाने तथा साइबर अपराध से पीड़ित व्यक्तियों में होने वाले मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं के प्रबंधन तथा भविष्य के लिए सतर्क बनाने हेतु किया जाता है।

सबसे पहले मनोविज्ञान के माध्यम से साइबर अपराधियों के व्यक्तित्व गुणों, व्यवहार पैटर्न्स की जानकारी प्राप्त किया जा सकता है तथा साइबर अपराध को प्रोत्साहित करने वाले कारकों की पहचान कर उन्हें अवरोधित किया जा सकता है। ऐसे कड़े प्रावधान की जाने की आवश्यकता है जिसमें साइबर अपराध से अर्जित संपत्ति का न केवल रिकवरी किया जाए बल्कि उससे कई गुना ज्यादा हर्जाना वसूल करने के साथ- साथ जेल की सजा एवं अन्य सजा के उपायों पर विचार किया जाए।

मनोवैज्ञानिक साइबर सुरक्षा के लिए कार्य कर रहे व्यक्तियों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहायता देने के साथ-साथ उन्हें सतत रूप से सतर्क व अभिप्रेरित रहकर कार्य करने के लिए प्रेरित करने में सहायता दे सकते हैं। साइबर सुरक्षा में उन व्यक्तियों की ही सेवा ली जानी चाहिए जिनकी इस क्षेत्र में कार्य करने की रुचि हो। मनोवैज्ञानिक साइबर सुरक्षा पेशेवर को ऐसे हमलों को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय बनाने में सहयोग कर सकते हैं।

मनोवैज्ञानिकों की भूमिका जो लोग साइबर क्राइम के लिए जोखिम में हैं उनके बचाव के लिए उन्हें मानसिक रूप से तैयार करने में सहायता प्रदान करना है क्योंकि साइबर अपराधी व्यक्ति के संवेग का उपयोग करता है जब व्यक्ति उच्च संवेग की स्थिति में होता है तो संज्ञानात्मक क्षमताओं जैसे निर्णय लेने की क्षमता, प्रत्यक्षीकरण, चिंतन व अन्य का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता है। इसीलिए साइबर अपराधी किसी व्यक्ति को शिकार बनाने के लिए उसमें भय, असमंजस, लालच जैसे नकारात्मक संवेगों के उच्च स्तर का उपयोग करते हैं मनोवैज्ञानिक लोगों को मानसिक व सांवेगिक रूप से मजबूत करके उन्हें साइबर ठगी से बचाने में सहयोग दे सकते हैं। 

साइबर क्राइम से पीडित लोगों को परामर्श व मनोचिकित्सा सेवाओं के द्वारा मनौवैज्ञानिक/मानसिक समस्याओं ( संवेगिक प्रक्रियाएं, हेल्पलेसनेस की भावना, अपने बारे में नकारात्मक विचार, अंतरवैयक्तिक समस्याएं, नशा, लत की समस्या,   तनाव, दुश्चिंता, कम आत्मविश्वास, काम में अरूचि, स्वयं को दोष देना, नींद की समस्या, ध्यान की समस्या, भूख की समस्या व अन्य) से बाहर निकलने में मनोवैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, समय रहते यदि पीडित के तनाव का प्रबंध नहीं किया जाता है तो इससे उन्हें शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है या वह आत्महत्या जैसे स्वघाती व्यवहार भी कर सकता है।

डॉ मनोज कुमार तिवारी 
डॉ. मनोज कुमार तिवारी
वरिष्ठ परामर्शदाता ए आर टी सेंटर, आई एम एस, बीएचयू, वाराणसी

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