सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) और भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद (IIMA) ने डेटा-संचालित नीति निर्माण और नवाचार को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए साझेदारी को मजबूत करने का निर्णय लिया है। इस सहयोग के तहत, आईआईएम अहमदाबाद परिसर में “शोध एवं नीति के लिए सार्वजनिक डेटा एवं प्रौद्योगिकी में उभरते रुझान” विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह पहल भारत की राष्ट्रीय डेटा पारिस्थितिकी व्यवस्था को और अधिक समृद्ध बनाने तथा साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की उपस्थिति
इस कार्यशाला में कई दिग्गज विशेषज्ञों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव एवं एनएसओ प्रमुख डॉ. सौरभ गर्ग, आईआईएम अहमदाबाद के निदेशक प्रो. भारत भास्कर, सांख्यिकी मंत्रालय के महानिदेशक श्री पी.आर. मेश्राम, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, आईआईएमए के संकाय सदस्य, छात्र, और प्रमुख शैक्षणिक व शोध संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
कार्यशाला के दौरान सार्वजनिक डेटा, उभरती हुई प्रौद्योगिकियां और शैक्षणिक सहयोग जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। मुख्य फोकस नीतिगत चुनौतियों को दूर करने के लिए डेटा और आधुनिक तकनीकों के उपयोग पर रहा।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा-संचालित नीति निर्माण
आईआईएम अहमदाबाद के निदेशक प्रो. भारत भास्कर ने नीति निर्माण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की क्रांतिकारी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एआई के माध्यम से निर्णय लेने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और तर्कसंगत बनाया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने ऐतिहासिक डेटा से उत्पन्न पूर्वाग्रहों के प्रति भी आगाह किया और कहा कि सटीकता एवं निष्पक्षता बनाए रखने के लिए उचित सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं। उनका मानना है कि सार्वजनिक हित को प्राथमिकता देते हुए डेटा और एआई का अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए।
भारत में डेटा की शक्ति और संभावनाएं
डॉ. सौरभ गर्ग ने भारत में प्रशासनिक डेटा के विशाल भंडार की क्षमता पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह डेटा वैकल्पिक डेटासेट के साथ एकीकृत कर नीति निर्माण को और अधिक प्रभावी बनाने का अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है। दशकों पुराने डेटासेट को आधुनिक तकनीकों के माध्यम से पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है, ताकि इसे एआई और अन्य विश्लेषणात्मक टूल्स के लिए तैयार किया जा सके। उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका की बात कही।
ऐतिहासिक समझौता और भविष्य की रणनीति
कार्यशाला का एक प्रमुख आकर्षण सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और आईआईएम अहमदाबाद के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर रहा। यह समझौता डेटा नवाचार में सहयोगी प्रयासों की रूपरेखा तैयार करेगा, जिससे शैक्षणिक अनुसंधान को नीति निर्माण में प्रभावी रूप से जोड़ा जा सकेगा।
कार्यशाला के दौरान आईआईएमए के संकाय के साथ एक केंद्रित सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें दोनों संस्थानों की विशेषज्ञता का लाभ उठाने के उपायों पर गहन चर्चा की गई। यह तय किया गया कि एनएसओ इंडिया और आईआईएमए के बीच निरंतर सहयोग के लिए एक संस्थागत प्रारूप तैयार किया जाएगा और मानव संसाधन विकास को प्राथमिकता दी जाएगी।
साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण की ओर एक सशक्त कदम
इस कार्यशाला ने सार्वजनिक डेटा को अत्याधुनिक तकनीकों के साथ एकीकृत करने की जरूरत और इसकी भूमिका को और अधिक स्पष्ट किया। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, अकादमिक संस्थानों के साथ मिलकर भारत के सांख्यिकीय तंत्र को अधिक मजबूत और आधुनिक बनाना चाहता है।
यह सहयोग एक प्रभावी, नवोन्मेषी और समावेशी डेटा-संचालित नीति तंत्र की ओर एक महत्वपूर्ण पहल है। यह न केवल नीति निर्माण में सुधार लाएगा बल्कि राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणाली में नवाचार और उत्कृष्टता को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।